सावन पर दोहे

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आर के रस्तोगी

सावन में साजन न मिले,मन हो जात है अधीर |
सजनी को साजन मिले,मन हो जात है अमीर ||

सजनी सज धज के निकली,साजन हुआ शिकार |
नयनो से बाण चलत है,तब धनुष बाण  बेकार ||

कोयल कानो में कूक रही,सुना रही है ये गीत |
इस सावन में हो जायेगा,प्रेमी प्रेमिका में प्रीत ||

काले मेघ उमड़ घुमड़ कर,सजनी को खूब डराये |
बिजली चमक दमक कर,सजनी को खूब सताये || 

बैरी बादल बरस रहे है,मोर मचा रहे खूब शोर |
सावन भैया तुम जल्दी आना,हो न सजनी बोर ||

दादुर मोर चकोर सब कर रहे है सावन की बाट |
सावन की शीतलता मिल जाये,हो जायेगे ठाठ ||

आर के रस्तोगी 
गुरुग्राम मो 9971006425

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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