pravakta.com
सावन पर दोहे - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
आर के रस्तोगी सावन में साजन न मिले,मन हो जात है अधीर |सजनी को साजन मिले,मन हो जात है अमीर ||सजनी सज धज के निकली,साजन हुआ शिकार |नयनो से बाण चलत है,तब धनुष बाण बेकार ||कोयल कानो में कूक रही,सुना रही है ये गीत |इस सावन में हो जायेगा,प्रेमी प्रेमिका…