अपराधों में अव्वल उत्तर प्रदेश

crimestateडा. राधेश्याम द्विवेदी
वेस्ट यूपी में पिस्टलों की सप्लाई :-वेस्ट यूपी के कुख्यात बदमाशों को पिस्टल और रिवाल्वर सप्लाई करने वाले गिरोह का मेरठ पुलिस ने भंडाफोड़ किया। पुलिस ने गिरोह के दो लोगों को दबोचते हुए आठ पिस्टल और दो रिवाल्वर बरामद की हैं। पुलिस के मुताबिक इन आरोपियों ने वेस्ट यूपी के अधिकांश गैंगों को हथियार सप्लाई किए हैं। आरोपियों ने बिहार के मुंगेर की पिस्टल बनाने की फैक्ट्री वेस्ट यूपी के कई जिलों में होना बताया है।एसपी सिटी ओपी यादव ने पुलिस लाइन में प्रेसवार्ता की। बताया कि परतापुर पुलिस व क्राइम ब्रांच टीम ने वेस्ट यूपी में अवैध हथियार के दो सप्लायरों परवेज उर्फ फर्रो पुत्र खलील निवासी सराय बहलीम कोतवाली और कय्यूम पुत्र हमीद निवासी नूरनगर स्टेशन के पास लिसाड़ी गेट को गिरफ्तार किया।दोनों आरोपियों ने बताया कि वे कुख्यात योगेश भदौड़ा, ऊधम सिंह, मोनू, राहुल खट्टा, मुकीम काला, सुंदर भाटी, बलराज भाटी आदि गैंगों को पिस्टल, रिवाल्वर सप्लाई करते है। इनका नेटवर्क वेस्ट यूपी के जिलों में फैला हुआ है।पुलिस ने इनकी निशानदेही पर आठ पिस्टल .32 बोर और दो रिवाल्वर .32 बोर की बरामद की। आरोपियों ने बताया कि आठ पिस्टल और दो रिवाल्वर की डिमांड जहीरुद्दीन निवासी सराय बहलीम कोतवाली ने मंगवाए थे। पुलिस ने जहीरूद्दीन की तलाश में कई जगह दबिश दी, लेकिन उसका सुराग नहीं लगा।
पुराने हथियार नए बना देते हैं:-हथियारों की सर्विस करने में आरोपी कय्यूम बहुत अच्छा मिस्त्री है। पुराने हथियारों को नया बनाकर मोटी कीमत पर बेच देते है। पुलिस कय्यूम को हथियारों की पॉलिस, मरम्मत और सप्लाई करने के मामले में वर्ष 2013 में जेल भेज चुकी है।आरोपियों ने बताया कि 50 से 80 हजार रुपये में वह बदमाशों को पिस्टल और रिवाल्वर बेचते थे। इस गैंग का बदमाशों से सीधा नेटवर्क जुड़ा था। पुलिस ने पहले भी इस गिरोह को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह फरार हो जाते थे।क्राइम ब्रांच प्रभारी संजीव यादव ने बताया कि ऑटोमेटिक हथियारों को डीलिंग यह गिरोह सब्जी या फलों के ठेले पर करते थे, ताकि किसी को शक न हो। हथियारों की खेप कहां पहुंची और किस गैंग में जाएगी, इसके लिए अलग अलग बदमाश लगे होते हैं।
अपराधों के मामले में उत्तर प्रदेश देश में अव्वल:-गृह मंत्रालय,नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो और स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों में कहा गया है कि हत्या और बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों के मामले में उत्तर प्रदेश देश में अव्वल है। वर्ष 2015 में यूपी में हुए ऐसे जघन्य अपराधों की संख्या दूसरे राज्यों की तुलना में कहीं ज्यादा है। इतना ही नहीं, वर्ष 2015 में दलितों के खिलाफ अत्याचार के सबसे ज्यादा 8358 मामले भी उत्तर प्रदेश में ही दर्ज किए गए हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों में यह तथ्य उजागर हुए हैं। वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2015 में देश भर में गंभीर अपराधों की घटनाओं में करीब 5 फीसदी की कमी आई है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण रूप से आंकड़ा अब भी बेहद ज्यादा है।
यूपी में हत्या के मामले:- आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015 में यूपी में हत्या के सबसे ज्यादा 4732 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद बिहार में 3178, महाराष्ट्र में 2509, मध्य प्रदेश में 2339, पश्चिम बंगाल में 2096 मामले दर्ज किए गए। महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में यूपी सबसे आगे रहा। यहां ऐसे 35527 मामले दर्ज किए गए। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 33218 और महाराष्ट्र में 31126 मामले दर्ज किए गए। मध्य प्रदेश में 28165 मामले दर्ज हुए। इससे साफ है कि यूपी में महिलाओं के खिलाफ रोजाना औसतन 97 अपराध हो रहे हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में पूर्वोत्तर के राज्यों की स्थिति बेहतर है। नगालैंड में 90, मिजोरम में 158, मणिपुर में सिर्फ 266 मामले सामने आए।
यूपी में बलात्कार के मामले कम :-पिछले साल देश भर में बलात्कार के 34,651 मामले दर्ज किए गए। राज्यों में मध्य प्रदेश और केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली इस सूची में शीर्ष पर है। मध्य प्रदेश में बलात्कार के 4,391, उत्तर प्रदेश में 3,025 मामले दर्ज हुए। पंजाब में 2,164, हिमाचल प्रदेश में 733 मामले दर्ज किए गए। वहीं, केंद्र शासित प्रदेशों में बलात्कार की सर्वाधिक घटना, 2,199 मामले, दिल्ली में दर्ज किए गए।
यूपी में ज्यादा किसान भड़के:-सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में तो 2014 की तुलना में 2015 में कमी आई है, लेकिन किसान के आंदोलन के दौरान हुई हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं। 2015 में ऐसी 2638 घटनाएं दर्ज हुईं। इस मामले में भी यूपी नंबर वन है। छात्रों की हिंसा की घटनाएं भी हुई हैं। इनमें 3600 लोगों की गिरफ्तारी हुई । जो 2014 की तुलना में दोगुनी है।
8210 करोड़ रुपये कीमत के सामान चोरी:- वर्ष 2015 में देशभर में छोटी-बड़ी कुल 8210 करोड़ रुपये कीमत के सामन की चोरी हुई। जिसमें से महज 1350 करोड़ रुपये ही बरामद किए जा सके। वर्ष 2015 में कुल चोरी का पचास फीसदी 4533 करोड़ अकेले महाराष्ट्र से चोरी हुई। जबकि बरामदगी केवल 5 फीसदी ही हुई। वहीं दिल्ली में 719 करोड़ रुपये की चोरी हुई, लेकिन पुलिस महज 125 करोड़ ही बरामद कर पाई। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक देश में चोरी की वारदात में 2014 के मुकाबले 9.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
लखनऊ-आगरा में सबसे ज्यादा हुए अपराध:-देश के 53 बड़े शहरों में होने वाले जघन्य अपराधों के आंकड़ों में एनसीआरबी ने उत्तर प्रदेश के जिन सात शहरों को शामिल किया है, उनमें लखनऊ और आगरा में सबसे अधिक अपराध हुए। प्रदेश में 2015 में लखनऊ में सबसे अधिक 118 नागरिकों की हत्याएं हुईं। 2014 में यहां 109 हत्याएं हुई थीं। वहीं 92 हत्याओं के साथ मेरठ दूसरे और 74 हत्याओं के साथ आगरा तीसरे नंबर पर रहा। देश के स्तर पर सबसे अधिक 490 हत्याएं राजधानी दिल्ली में हुईं।लखनऊ में हर दिन 24 रेप, 21 अटेम्ट टू रेप, 13 मर्डर, 33 किडनैपिंग, 19 दंगे और 136 चोरियां। कुल एक दिन में 7650 क्राइम की घटनाएं। ये देश के सबसे बड़े क्राइम स्टेट यूपी का 1 दिन का रिपोर्ट कार्ड है । अब जरा इसे 365 दिन से गुणा कीजिए तो सर चकरा देने वाला डाटा सामने आएगा। ऐसा तब है जब यूपी पुलिस आए दिन कई अपराधों के मामलों में रिपोर्ट तक दर्ज नहीं करती है।
70%से ज्यादा घटनाएं सपा विधायकों और मंत्रियों के इलाके में:- देश में क्राइम का रिकॉर्ड रखने वाली सरकारी संस्था नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक, पिछले 4 साल में यूपी में 93 लाख से ज्यादा क्राइम की घटनाएं हुई हैं। इनमें से 71% क्राइम सपा के विधायक, नेताओं या अखिलेश सरकार में अब तक बने मंत्रियों के जिलों में हुआ है। पिछले एक साल में सबसे ज्यादा 2.78 लाख अपराध की घटनाएं लखनऊ में हुई हैं। यहां 9 में से 7 विधायक सपा के हैं। इनमें से 3 राज्य सरकार में मंत्री भी हैं।
सबसे ज्यादा दंगे बीजेपी-बसपा विधायकों के इलाकों में:-पिछली बसपा सरकार में 22,347 दंगे हुए थे, तो अखिलेश सरकार में ये आंकड़ा बढ़कर 25,007 हो गया। पिछले 1 साल में सबसे ज्यादा दंगे क्रमश: आगरा, गोरखपुर और आजमगढ़ में हुए हैं। आजमगढ़ को छोड़कर (10 में से 9 विधायक सपा के) बाकी जिलों में सपा से ज्यादा विधायक बसपा या भाजपा के हैं।
मायावती सरकार से 16% ज्यादा क्राइम अखिलेश कार्यकाल में:-मायावती सरकार की तुलना में अखिलेश सरकार में अब तक क्राइम में 16% इजाफा हुआ है।जहां बसपा के शासन में हर दिन यूपी में एवरेज 5783 क्राइम की घटनाएं हो रही थीं, वहीं मौजूदा सरकार में ये आंकड़ा बढ़कर 6433 पहुंच गया है। पिछले 4 महीनों में (15 मार्च से 18 जुलाई के बीच) यूपी में 1012 रेप, 4520 महिला उत्पीड़न, 1386 लूट और 86 डकैती की घटनाएं हुई हैं। यानी हर दिन 8 रेप, 38 महिला उत्पीड़न और 12 लूट।
मौजूदा सरकार में FIR दर्ज होती है, इसलिए बढ़ा क्राइम:-सपा सरकार में मंत्री एसपी यादव ने बताया कि क्राइम का आंकड़ा इसलिए बढ़ रहा है, क्योंकि सपा सरकार में मुक़दमे दर्ज किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा यह सभी जानते हैं कि मायावती सरकार में मुक़दमे दर्ज नहीं होते थे।अखिलेश सरकार में मुकदमा दर्ज कर जांच होती है और दोषियों पर कार्रवाई होती है। ऐसे में, आंकड़ा बढ़ना लाजिमी है।
महिलाओं के खिलाफ 61% बढ़ा क्राइम:- भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने कानून एवं व्यवस्था के मोर्चे पर घिरी उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों के हमले को अपनी इस रिपोर्ट के साथ नई धार दे दी है कि प्रदेश में महिला के खिलाफ होने वाले अपराधों में तेज बढोत्तरी हुई है। विधानसभा में 31 मार्च 2015 को समाप्त हुए वर्ष के लिए प्रस्तुत कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2010-11 से लेकर 2014-15 के बीच प्रदेश में महिला के खिलाफ होने वाले अपराधों में 61 प्रतिशत की बढोत्तरी हुई है। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर प्रदेश में सत्तारूढ समाजवादी पार्टी के लिए कैग की यह रिपोर्ट परेशानी पैदा करने वाली हो सकती है, क्योंकि मार्च 2012 से वही सरकार में है। कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2013-14 में महिला के खिलाफ अपराधों में बहुत तेजी से बढोत्तरी हुई। वर्ष 2012-13 में जहां यह संख्या 24552 थी वह 2013-14 में 31810 हो गई और वर्ष 2014-15 में भी इसमें कोई कमी नहीं हुई।
विपक्षी दलों ने कैग रिपोर्ट को प्रदेश में कानून एवं व्यवस्था बिगड़ते जाने के आरोप की पुष्टि करार देते हुए कहा कि अखिलेश सरकार बेनकाब हो गई है। भाजपा के प्रदेश महासचिव विजय बहादुर पाठक ने कहा कि कैग की रिपोर्ट हमारे आरोपों की पुष्टि करती है और अब इस पर कोई विवाद नहीं बचता कि अखिलेश सरकार महिला के खिलाफ होने वाले अपराधों को रोक पाने में विफल साबित हुई है। कांग्रेस विधायक अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा कि कैग रिपोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि सपा के शासनकाल में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति सबसे खराब है।
रिपोर्ट में कैग ने बढ़ती आपराधिक घटना के लिए पुलिस बल की कमी को भी एक कारण बताते हुए कहा कि प्रदेश में प्रति एक लाख की आबादी पर पुलिसकर्मियों की स्वीकृत क्षमता 178.48 के मुकाबले केवल 81 पुलिस कर्मी ही तैनात है। कैग ने कहा कि देश में होने वाली कुल आपराधिक घटना में 12.7 प्रतिशत के साथ उत्तर प्रदेश सबसे उपर है और यहां महिला के विरूद्व अपराध की घटनाएं सर्वाधिक हैं,पुलिसकर्मियों की संख्या में 55 प्रतिशत की कमी है और यदि इसे दूर नहीं किया गया तो स्थिति और भी बिगड सकती है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पुलिस बल में महिलाआें की संख्या 33 प्रतिशत किए जाने की सलाह के विपरीत उत्तर प्रदेश में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या मात्र 4.55 प्रतिशत ही है। इसलिए नाबालिग लड़कियों एवं महिलाआ के विरूद्व होने वाले अपराधों की बढती संख्या को देखते हुए महिला पुलिसकर्मियों की संख्या में पर्याप्त बढोत्तरी की जानी चाहिए। अपनी रिपोर्ट में कैग ने जो आंकडा दिया है, उसके मुताबिक वर्ष 2012-13 में बलात्कार का शिकार होने वाली नाबालिग लड़कियों की संख्या 1033 थी वह 2014-15 में 1619 पर पहुंच गई। इसी दौरान नाबालिग लड़कियों की अस्मत लूटने की कोशिश की घटनाएं 2280 से बढ़कर वर्ष 2014-15 में 4297 तक पहुंच गई। इससे पूर्व प्रश्नकाल के दौरान सरकार ने भाजपा विधान दल के नेता सतीश महाना के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि मार्च 2016 से 18 अगस्त 2016 तक प्रदेश में बलात्कार की 1012, महिला के उत्पीड़न की 4520 , लूट की 1386 तथा डकैती की 86 घटनाएं हुई है। सरकार ने सदन को यह भी बताया कि एसी घटनाओं पर प्रभावी अंकुश के लिए सभी जिलों में अपर पुलिस अधीक्षक के तहत विशेष अपराध शाखा का गठन किया गया है। यह भी बताया कि एसे क्षेत्रों की पहचान की जा रही है जहां महिलाआ के खिलाफ होने वाली आपराधिक घटना की आशंका ज्यादा रहती है। यूपी में नया गुंडा एक्ट लागू :-उत्तर प्रदेश में क्राइम कंट्रोल के लिए सरकार ने कानूनों को पहले से ज्यादा सख्त बनाने की शुरुआत की है. जिसके चलते यूपी में नया गुंडा एक्ट लागू हो गया है. इसके तहत मानव तस्करी, बंधुआ मजदूरी और जाली नोटों के धंधे आदि क्राइम भी गुंडा एक्ट के दायरे में आएंगे. इसके अलावा पुलिस आरोपियों को इस एक्ट के तहत 60 दिन तक रिमांड में रख सकेगी.2014 में यूपी सरकार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि वह गुंडा एक्ट 1970 में बदलाव करे. सरकार ने मार्च में यूपी गुंडा निंयत्रण संशोधन विधेयक के साथ ही गिरोहबंद और समाज विरोधी क्रियाकलाप निवारण संशोधन कानून को विधानमंडल में पास कराकर राज्यपाल के पास भेज दिया. राज्यपाल ने इस प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास भेज दिया था. बीते दिनों राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपराधों पर लगाम लगाने के लिए इन दोनों कानूनों में बदलाव की मंजूरी दे दी थी. इसके बाद विधी विभाग ने को यूपी गुंडा नियंत्रण संशोधन अधिनियम 2015 की अधिसूचना जारी कर दी.इस नए कानून के तहत मानव तस्करी, गोहत्या, पशु तस्करी, मनी लांड्रिंग, बंधुआ मजदूरी, बाल मजदूरी, जाली नोट, नकली दवाओं का व्यापार और अवैध खनन जैसे अपराधों में शामिल लोगों पर भी गुंडा एक्ट लगाया जा सकेगा. इन अपराधों में जमानत आसानी से नहीं होगी. अपराधियों की संपत्ति जब्त होने का प्रावधान भी होगा. आरोपियों को 14 दिन के बजाए 60 दिन तक हवालात में डाला जा सकेगा. गुंडा एक्ट और गैंगस्टर एक्ट दोनों में ही डीएम को कार्रवाई करने का अधिकार होगा.

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