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अंधकार की नहीं चलेगी - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मां बोली सूरज से बेटे,सुबह हुई तुम अब तक सोये| देख रही हूं कई दिनों से,रहते हो तुम खोये खोये| जब जाते हो सुबह काम पर,डरे डरे से तुम रहते हो| क्या है बोलो कष्ट तुम्हें प्रिय,साफ साफ क्यों रहते हो| सूरज बोला सुबह सुबह ही, कोहरा मुझे ढांप लेता…