दाऊद इब्राहिम पर फिर बेपर्दा हुआ पाकिस्तान

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-अरविंद जयतिलक

अंडरवल्र्ड डाॅन व 1993 के मुंबई सीरियल बम विस्फोटों के गुनाहगार दाऊद इब्राहिम पर पाकिस्तान फिर बेपर्दा हुआ है। उसने वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) में सख्ती से बचने के लिए आखिरकार स्वीकार लिया है कि दाऊद इब्राहिम कराची में ही है। उसने 88 प्रतिबंधित संगठनों और उनके आकाओं पर वित्तीय प्रतिबंध की जानकारी एफएटीएफ को सौंप दी है। उल्लेखनीय है कि पेरिस स्थित एफएटीएफ ने 2018 में पाकिस्तान को ग्रे सूची में रखा था और अब इस मसले पर अक्टुबर में बैठक होनी है। पाकिस्तान को अच्छी तरह मालूम है कि अगर उसने आतंकियों का वित्तपोषण बंद नहीं किया तो उसे एफएटीएफ द्वारा काली सूची में डाला जाना तय है। इसका परिणाम यह होगा कि उसे विदेशों से आर्थिक मदद मिलनी बंद हो जाएगी। अगर एफएटीएफ ने पाकिस्तान को काली सूची में डाल दिया तो उसकी दुर्दशा तय है। उसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक समेत अनेक वैश्विक वित्तीय संस्थाओं से कर्ज मिलना मुश्किल होगा। साथ ही मूडी, एस एंड पी, और फिच जैसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां उसकी साख गिरा सकती हैं। ऐसी स्थिति में अंतर्राष्ट्रीय बाजार से उसके लिए फंड जुटाना लोहे के चने चबाने जैसा होगा। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पिछले कुछ साल से पांच फीसद की दर से बढ़ रही है और इस साल सरकार का लक्ष्य इसे 6 फीसद ले जाने का था। लेकिन कोरोना की वजह से सब चैपट हो गया है। सउदी अरब ने भी कर्ज देने से मना कर दिया है। अब अगर वह काली सूची में आ गया तो उसकी अर्थव्यवस्था का रसातल में जाना तय है। किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष से मिलने वाली सहायता पर निर्भर है। अगर अर्थव्यवस्था में उठापटक हुआ तो फिर पाकिस्तान में निवेश की गति धीमी होगी और निवेशक भाग खड़े होंगे। विदेशी निवेशक और कारोबारी यहां कारोबार करने से पहले हजार बार सोचेंगे। अगर कहीं शेयर बाजार और लुढ़का तो वित्तीय अनिश्चितता की स्थिति उत्पन होनी तय है। ऐसे हालात में 126 शाखाओं वाला सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय बैंक स्टैंडर्ड चार्टर्ड सहित सिटी बैंक, ड्यूश बैंक इत्यादि अपना कारोबार समेट सकते हैं। साथ ही आयात-निर्यात प्रभावित होगा और यूरोपीय देशों को निर्यात किए जाने वाले चावल, काॅटन, मार्बल, कपड़े और प्याज सहित कई उत्पादों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। फिर घरेलू उत्पादकों को भी भारी नुकसान उठाना होगा। विशेषज्ञों की मानें तो ऐसी अराजक आर्थिक स्थिति में चीन पाकिस्तान में ज्यादा से ज्यादा निवेश कर अपना हित संवर्धन करेगा जिससे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रतिकूल पड़ना तय है। पाकिस्तान की मौजुदा परिस्थियों पर गौर करें तो उत्पादन और खपत दोनों में जबरदस्त गिरावट है और कीमतें आसमान छू रही हैं। गरीबी और बेरोजगारी रिकार्ड स्तर पर है। युवाओं की आबादी का बड़ा हिस्सा नौकरी के लिए पलायन कऱ रहा है। अभी बीते साल ही 10 लाख युवाओं ने देश छोड़ा है। लोगों को स्थिरता और सुरक्षा देने वाली सामाजिक-पारिवारिक व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो आज पाकिस्तान की एक तिहाई आबादी गरीबी रेखा से नीचे है। नए मानकों के आधार पर जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार पाकिस्तान में गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजर-बसर करने वालों की तादाद 6 करोड़ के पार पहुंच चुकी है। पाकिस्तान के केंद्रीय योजना व विकास मंत्रालय के मुताबिक देश में गरीबों को अनुपात बढ़कर 40 प्रतिशत के पार पहुंच चुका है। जबकि 2001 में गरीबों की तादाद दो करोड़ थी। आज की तारीख में पाकिस्तान के हर नागरिक पर तकरीबन 1 लाख 60 हजार रुपए कर्ज है। विदेशी लेन-देन और विदेशी मुद्रा प्रवाह में कमी के चलते पहले से ही सिर से उपर चढ़ा पाकिस्तान का चालू खाता घाटा बढ़ा हुआ है। वैसे भी मौजूदा समय में पाकिस्तान के चालू खाते में घाटे का अंतर 7 प्रतिशत के पार पहुंच चुका है। विदेशी मुद्रा भंडार लगातार कम हो रहा है। गौर करें तो इस हालात के लिए पाकिस्तान स्वयं जिम्मेदार है। वह आतंकियों को प्रश्रय दे रहा है। उसकी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के इशारे पर ही हक्कानी समूह जैसे अनगिनत आतंकी संगठन अफगानिस्तान में तबाही मचाते हैं। ये आतंकी संगठन कई बार अमेरिका एवं भारतीय दूतावासों पर भी हमला कर चुके हंै। हक्कानी समूह को पाकिस्तान का प्रश्रय प्राप्त है। इसके अलावा लश्करे तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद जैसे आतंकी संगठन भी पाकिस्तान में शरण लिए हुए हैं। याद होगा अभी गत वर्ष पहले अमेरिकी विदेश विभाग की वार्षिक रिपोर्ट से उद्घाटित हुआ कि पाकिस्तान के संघ प्रशासित कबायली क्षेत्र (फाटा), पूर्वोत्तर खैबर पख्तुनवा और दक्षिण-पश्चिम ब्लूचिस्तान क्षेत्र में कई आतंकी संगठन पनाह लिए हुए हैं और यहीं से वे स्थानीय, क्षेत्रीय और वैश्विक हमलों की साजिश बुन रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक हक्कानी नेटवर्क, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, लश्कर-ए-झंगवी और अफगान तालिबान जैसे अन्य आतंकी समूह पाकिस्तान और पूरे क्षेत्र में अपनी गतिविधियों की योजना के लिए इन पनाहगाहों का फायदा उठा रहे हैं। दुनिया के सामने उजागर हो चुका है कि पाकिस्तान की मदद से ही जम्मू-कश्मीर में लश्करे तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद, हरकत-उल-मुजाहिदीन, हरकत-उल-अंसार, हिजबुल मुजाहिदीन, अल-उमर-मुजाहिदीन और जम्मू-कश्मीर लिबरेशन जैसे आतंकी संगठन सक्रिय हैं। यहां ध्यान देना होगा कि एफएटीएफ ही नहीं बल्कि अमेरिका ने भी पाकिस्तान को आतंकवाद का गढ़ घोषित कर उसे दी जाने वाली सहायता पर रोक लगा रखा है। अमेरिकी कांग्रेस की सालाना रिपोर्ट में कहा जा चुका है कि पाकिस्तान आतंकवाद पर दोहरा रुख अपनाते हुए आतंकी संगठनों को मदद पहुंचा रहा है। अब जब उसे एफएटीएफ की कार्रवाई का डर सताने लगा है तो उसने स्वीकार लिया कि दाऊद पाकिस्तान में ही है। याद होगा कि पाकिस्तान ने एफएटीएफ की कार्रवाई से बचने के लिए 26 सूत्रीय कार्रवाई योजना का प्रस्ताव दिया था जिसमें इस्लामिक स्टेट, अलकायदा, लश्कर ए तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद, हक्कानी नेटवर्क, जमात-उद-दावा, फलाह-ए-इंसानियत और तालिबान से जुड़े लोगों की वित्तीय मदद रोकने की पेशकश के साथ इसे लागू करने के लिए वक्त मांगा था। अब वह समयावधि पूरी हो रही है। नतीजा पाकिस्तान घुटने पर आ गया है। जहां तक दाऊद इब्राहिम का पाकिस्तान में होने का सवाल है तो यह पहली बार नहीं है कि जब उसके द्वारा स्वीकारा गया है। याद होगा कि गत वर्ष पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विशेष दूत शहरयार खान ने लंदन स्थित इंडियन जर्नलिस्ट एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में स्वीकारा था कि ‘दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में ही है। लेकिन चंद घंटे बाद ही उनके सुर बदल गए। फिर वे कहते सुने गए कि ‘गृहमंत्रालय को शायद दाऊद के बारे में पता होगा, लेकिन विदेश मंत्रालय को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। मुझे तो यह भी पता नहीं कि वह पाकिस्तान में रह रहा है। ध्यान देना होगा कि पाकिस्तान ही नहीं बल्कि आईएसआईएस और अलकायदा पर प्रतिबंध की निगरानी करने वाली संयुक्त राष्ट्र की समिति ने भी कड़ी जांच के बाद पाकिस्तान के भीतर दाऊद इब्राहिम के छः पतों को सही पाया था। याद होगा गत वर्ष पहले पश्चिमी देश की एक खुफिया एजेंसी ने दाऊद इब्राहिम के पाकिस्तान में होने का खुलासा किया था। खुफिया एजेंसी ने दाऊद इब्राहिम और दुबई के एक प्रापर्टी डीलर के बीच बातचीत रिकार्ड किया था जिसमें उसका लोकेशन पाकिस्तान के कराची के उपनगर क्लिफटन में होने का पता चला। वेब-पोर्टल न्यूज मोबाइल द्वारा बातचीत का टेप जारी किए जाने के बाद भी पाकिस्तान ने इंकार कर दिया था। याद होगा गत वर्ष पहले पकड़े गए आतंकी अब्दुल करीम टुंडा ने भी कहा था कि दाऊद इब्राहिम पाकिस्तान में ही है। उसने खुलासा किया था कि उसकी डी कंपनी नकली नोट और नशे के कारोबार के अलावा रीयल स्टेट और क्रिकेट मैच फिक्सिंग के धंधे में लिप्त है। भारतीय खुफिया एजेंसियां भी कई बार कह चुकी हैं कि दाऊद इब्राहिम पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के संरक्षण में करांची में है। इसके लिए कई अकाट्य प्रमाण भी दिए जा चुके हैं। लेकिन अभी तक पाकिस्तान मानने को तैयार नहीं था। लेकिन एफएटीएफ की कार्रवाई के डर ने उसे सच बोलने को मजबूर कर दिया। अब उचित होगा कि भारत दाऊद इब्राहिम के प्रत्यर्पण के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाए और दुनिया भर में उसकी कारस्तानी को उजागर करे।   

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