शत् शत् नमन देव दयानंद

 विमलेश बंसल आर्या

                          

 

ॠषि दयानंद के चरणों में शत् शत् बार नमन।

हमारा खिले आर्य उपवन – 2॥

 

1 वेद सुधा रसपान करेंगे,

यज्ञों से हर घर को भरेंगे।

शुद्ध हो पर्यावरण-2॥

हमारा……

 

2.स्व सस्कृति से प्यार करेंगे,

शिक्षा और संस्कार भरेंगे।

दूर हों दुख दुर्गुण-2॥

हमारा……

 

3.सच्चे सैनिक वीर बनेंगे,

धीर और गंभीर बनेंगे।

गूँजे विश्व गगन-2॥

हमारा……

 

4.एक प्रभु का ध्यान करेंगे,

सुखद राष्ट्र निर्माण करेंगे।

विमल हो तन मन धन-2॥

हमारा……

ॠषि दयानंद………

हमारा………

1 COMMENT

  1. कविता में लेखिका ने महर्षि दयानंद और आर्य समाज के प्रति अपने श्रद्धांजलि प्रस्तुत की है जो कि प्रशंसनीय है। बधाई।

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