मोटी-मोटी फीस के नाम पर बच्चों की ‘हत्या’

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आशीष रावत

आप सभी को याद होगा कि 5 सितम्बर, 2017 की रात्रि बेंगलुरु में गौरी लंकेश की हत्या कर दी गई थी। हत्या किसने की ये अभी किसी को पता नहीं चला लेकिन दिल्ली के प्रेस क्लब आॅफ इंडिया में जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के कन्हैया कुमार, शेहला रशीद और कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी. राजा ने गौरी लंकेश की हत्या को विचारधारा से जोड़ते हुए भाजपा और संघ परिवार पर आरोप लगाने शुरू कर दिए। चलिए, एक समय के लिए मान लिया जाए कि गौरी लंकेश को वामपंथी पत्रकार होने की सजा दी गई मगर गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ने वाले सात वर्षीय प्रद्युम्न ठाकुर नामक बच्चा न तो वामपंथ से था, न ही दक्षिणपंथ से और न ही वो दलित या अन्य समुदाय से था तो इस बच्चे के प्रति इन वामियों का दिल बिल्कुल भी नहीं पसीजा। शर्म है ऐसे लोकतंत्र पर जो इंसानियत को बेचकर विचारधारा का नंगा नाच करते हैं।

 

प्राइवेट स्कूलों में ये कोई नया मामला नहीं है। इससे पहले भी कई प्राइवेट स्कूलों पर भी इस तरह के आरोप लग चुके हैं लेकिन इन सबसे सबक न लेकर प्राइवेट स्कूल केवल फीस बढ़ोत्तरी आए दिन करते रहते हैं। वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट के मुताबिक देश के आठ करोड़ चालीस लाख बच्चे विद्यालय ही नहीं जाते हैं। अब तक ये संख्या और बढ़ गई होगी। ये आंकड़ा बहुत गंभीर है। आपको जानकर हैरानी होगी कि आठ करोड़ चालीस लाख छात्रों की संख्या इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, इटली, और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की जनसंख्या से भी अधिक है। यानी हमारे देश में स्कूल ना जाने वाले छात्रों की संख्या इन विकसित देशों की जनसंख्या से भी ज्यादा है। यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक 65 फीसदी बच्चे स्कूलों में यौन शोषण के शिकार हो रहे हैं। इनमें बारह वर्ष से कम उम्र के लगभग 41.17 फीसदी, 13 से 14 वर्ष के 25.73 फीसदी और 15 से 18 वर्ष के 33.10 फीसदी बच्चे शामिल हैं। वहीं महिला एवं बाल विकास कल्याण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक हर तीन में से दो स्कूली बच्चे यौन उत्पीड़न का शिकार होते हैं। जबकि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के मुताबिक पिछले तीन वर्ष में स्कूलों के भीतर बच्चों के साथ होने वाली शारीरिक प्रताड़ना, यौन शोषण, दुव्र्यवहार और हत्या जैसे मामलों में तीन गुना बढ़ोत्तरी हुई है।

 

गतवर्ष यानी जनवरी, 2016 में भी दिल्ली के वसन्त कुंज इलाके के रेयान इंटरनेशनल स्कूल में कक्षा एक के एक छात्र की मौत हो गई थी, उसका शव पानी की टंकी में मिला था। इस केस में भी प्रिंसिपल को सस्पेंड किया गया था। वर्ष 2014 में बेंगलुरू में एक घटना घटी थी, जिसमें एक शिक्षक पर यह आरोप लगा था कि उसने क्लास एक की एक छह वर्ष की बच्ची का यौन शोषण किया। शिक्षक ने पुलिस पूछताछ में अपराध कबूल भी कर लिया था। उसने कहा था कि उसने दो दिन बच्ची का यौन शोषण किया। बच्ची ने घर जाकर जब दर्द की शिकायत की तो उसके माता-पिता उसे लेकर डॉक्टर के पास गए, जहां यह पता चला कि बच्ची के साथ रेप हुआ है। इस घटना के कुछ ही दिन पहले बेंगलुरू में नर्सरी की एक बच्ची जो मात्र तीन वर्ष की थी उसका यौन शोषण भी स्कूल में हुआ था। रेयान इंटरनेशल स्कूल रेयान इंटरनेशनल ग्रुप के अधीन है। जिसका उद्देश्य गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देना है। इस ग्रुप के पहले स्कूल की स्थापना 1976 में मुंबई में हुई थी। आज की तारीख में इसके 304 स्कूल देश और विदेश में हैं। ग्रेस पिंटो इस ग्रुप की मैनेजिंग डायरेक्टर हैं और ए.एफ. पिंटो चेयरमैन हैं। सिर्फ दिल्ली में ही इस ग्रुप के कुल 11 स्कूल हैं।

 

ऐसे में प्रश्न उठना लाजिमी है कि मोटी-मोटी फीस वसूलने के अलावा इन स्कूलों की जिम्मेदारी नहीं बनती कि बच्चों को सुरक्षा उपलब्ध करवाई जाए? बच्चे को कौन स्कूल छोड़ने आता है कौन लेने आता है क्या ये जानकारी भी माता-पिता रखेंगे? बच्चे की बाथरूम में कौन जाता है, बच्चे के साथ कैसा व्यवहार हो रहा है, क्या ये सब जानकारी भी माता-पिता ही रखेंगे। अगर ये सब जानकारी माता-पिता को ही रखनी होती तो बच्चे को स्कूल के भरोसे नहीं छोड़ा जाता। जो ये प्राइवेट स्कूल बच्चों के माता-पिता के खून-पसीने की कमाई मोटी-मोटी फीस के रूप में लेते हैं उनकी ये जिम्मेदारी बनती है कि उनकी बच्चों को पूरी सुरक्षा मुहैया करवाई जाए और आश्वस्त किया जाए कि आपका बच्चा जैसे घर में सुरक्षित है वैसे ही स्कूल में भी सुरक्षित है। अगर स्कूल ये सुनिश्चित करने में असमर्थ हैं तो ऐसे न जाने कितने प्रद्युम्न स्कूलों की असुरक्षा की बलि चढ़ते रहेंगे। अन्त में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्य सरकार से अनुरोध करता हूं कि प्रद्युम्न हत्याकांड की सीबीआई जांच करवाने की जल्द निर्देश दिए जाएं।

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