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जाते-जाते तुम बहुत कुछ दे गए स्‍वामी महाराज शांतिलाल पटेलजी.......... - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डॉ. मयंक चतुर्वेदी जीवन सतत है और देह क्षणभृंगुर। देह पंचमहाभूतों का सार तत्‍व है और यह देह तभी अपने आकार को प्राप्‍त करती है, जब चेतना इसमें प्रतिष्‍ठ‍ित होती है। मृत्‍यु लोक जीवन के नानाविध रूपों के प्रकटीकरण का आश्रयस्‍थल है। जहां न जाने कितने प्रकार के जीव अपने…