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लबादों में लिपटी मौत! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
अंतिम संस्कार में स्वाहा होते संस्कार हमारे अपनों के शव ही अब अछूत गठरियां हैं। अत्यंत आत्मीय की अकाल मृत्यु पर भी बेजान पुतला बने रहना हमारी नियती है। और पिता अपनी संतान का कंधा तक न मिलने को अभिशप्त। समान पोशाक, समान पीड़ा, समान निर्वासित भाव और दर्द भी एक समान।…