रक्षा बंधनः भाई बहन स्नेह

1
150

-बीनू भटनागर- poem   1 रक्षा बंधन, भाई बहन स्नेह, प्यारा त्योहार। सखी सहेली, सावन की बारिश, अंग भिगोये। 3- हर सिंगार खिलते ही, झड़ते ख़ुशबू फैले। 4- नौका विहार, झील के उस पार, कुमुद खिले। 5 नीढ़ छोड़के पंछी निकले, दूर सांझ लौटेंगे। 6. प्रत्यूष काल, सुनहरा सा जाल, धूप की ज्योति। मंद समीर के प्रवाह के संग सुगंध फैली। विपदा आवे, कष्ट घने, जो लावे शीघ्र न जावें। ख़ुशी जो आवे, मन बहला कर, शीघ्र ही जावे। याद आओ तो चले भी आओ, अब राह निहारूं।

1 COMMENT

  1. ये हाइकू हैं किसी भूलचूक की वजह से सही तरीक़े से नहीं प्रकाशित हुए क्षमा करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here