ये है दिल्ली मेरी जान

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लिमटी खरे 

सौ करोड़ से संवरेगी नेहरू गांधी परिवार की तस्वीर

भारत गणराज्य की स्थापना के बाद जितने भी प्रधानमंत्री हुए हैं उनमें से नेहरू गांधी परिवार (महात्मा गांधी नहीं) के योगदान को अविस्मरणीय बनाने और कांग्रेस की नजर में भविष्य के वजीरेआजम राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने के मार्ग प्रशस्त करने के लिए अंबिका सोनी के नेतृत्व वाला सूचना प्रसारण विभाग एक दो नहीं पूरे सौ करोड़ रूपए फूंकने की तैयारी में है। सूचना प्रसारण मंत्रालय का सांग एण्ड ड्रामा डिवीजन गांधी परिवार के तीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, श्रीमति इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को आजादी के उपरांत भारत गणराज्य के समग्र विकास का समूचा श्रेय देते हुए एक सीडी का निर्माण कराया गया है। इस सीडी में अटल बिहारी बाजपेयी और लाल बहादुर शास्त्री को महज तीन सेकन्ड का समय उनका फोटो दिखाते हुए दिया गया है। बाकी के वजीरे आजम का जिकर ही नहीं है इस सीडी में। जनता के गाढ़े पसीने की कमाई के सौ करोड़ रूपए फूंक दिए गए और विपक्ष मूकदर्शक बना बैठा है।

थापर की देहरी पर कत्थक करता एमपीपीसीबी

औद्योगिक घरानों की शान समझे जाने वाले गौतम थापर के स्वामित्व वाले आवंथा समूह के सहयोगी प्रतिष्ठान झाबुआ पावर लिमिटेड के द्वारा छटवीं सूची में अनुसूचित सिवनी जिले के आदिवासी बाहुल्य घंसौर तहसील में लगाए जाने वाले 1200 मेगावाट के मामले में मध्य प्रदेश का प्रदूषण नियंत्रण मण्डल (पीसीबी) पूरी तरह थापर मय ही दिखाई दे रहा है। जनसुनवाई के दौरान पीसीबी ने 1200 मेगावाट के कार्य सारांश की सुनवाई अचानक ही 1260 में तब्दील कर दी। अपनी ओर से अनेक बातों को जानबूझकर थापर को लाभ पहुंचाने की दृष्टि से छिपाया। इसकी कार्यवाही को सार्वजनिक भी नहीं किया। कहा जा रहा है कि लोकसुनवाई में भी पीसीबी ने थापर का ही साथ दिया। अगर इसी तरह से एकतरफा लोकसुनवाई करवाया जाना था तो इसकी औपचारिकता शायद नहीं ही थी। वन मंत्री जयंती नटराजन अगर इसकी जांच करवा लें तो लोकसुनवाई शून्य घोषित होने में समय नहीं लगने वाला।

बड़े घोटाले की महंगी जांच!

देश को शर्मसार कर देने वाले कामन वेल्थ घोटाले की जांच भी आम नहीं खास ही है। इसकी जांच के लिए पाबंद शुगलू कमेटी ने कर माह तकरीबन एक कराड़ रूपए खर्च किए हैं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ बिजनेस स्टडीज के फैकल्टी मेंबर डॉ. नवेद खान ने इस संबंध में सूचना मांगी थी। कॉमनवेल्थ घोटाले की जांच के लिए 25 अक्टूबर 2010 को आदेश जारी किए थे। 23 मार्च तक कमेटी ने तनख्वाह पर 48.07 लाख, कार्यालय पर 14.18 लाख तो प्रोफेशनल एक्सपेंसेस पर तीन करोड़ 39 लाख 32 हजार 250 रुपये खर्च आया है। कमेटी ने अंतरिम रिपोर्ट 29 जनवरी-2011 को दाखिल की थी,। जाहिर है जब घोटाला इतना बड़ा है तो उसकी जांच करने वाली कमेटी का खर्च भी तो उसी के अनुरूप होना चाहिए।

मनरेगा को पलीता लगाते मन से

मध्य प्रदेश सरकार द्वारा केंद्र सरकार की महात्वाकाक्षी भी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून योजना में तबियत से पलीता लगाया जा रहा है। केंद्र सरकार द्वारा दी जाने वाली अरबों रूपयों की इमदाद को शिवराज सिंह चौहान के संगी साथी मजे ले लेकर खा रहे हैं। भाजपा शासित राज्यों में मनरेगा के बेहद बुरे हाल हैं। कांग्रेस द्वारा केंद्र पोषित इस योजना की मानीटरिंग जिला स्तर पर नहीं की जा पाना संगठनात्मक अक्षमता का परिचायक माना जा सकता है। कांग्रेस केंद्र में भी सत्ता के मद में इतनी चूर है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा बनाई गई विजलेंस मानीटरिंग कमेटी की बैठकें मध्य प्रदेश, गुजरात, बिहार, झारखण्ड, उत्तराखण्ड में पांच सालों से नहीं हुई और मंत्रालय को पता ही नहीं चला। आलम देखकर लग रहा है कि उपर से नीचे तक सर्वदलीय भ्रष्टाचार का नायब उदहारण बनकर रह गया है भारत गणराज्य।

गड़करी का कांटा निकालने गले मिल सकते हैं मोदी आड़वाणी!

केंद्र और सूबों में भ्रष्टाचार की आंधी को देखकर भारतीय जनता पार्टी का आंग अब भरने लगा है। भाजपा को लगने लगा है कि आने वाले समय में भ्रष्टाचार, घपले, घोटाले से लदी फदी अनगिनत छेदवाली नाव पर सवार कांग्रेसनीत संप्रग वैसे भी डूबने के कगार पर है। आने वाले आम चुनावों में अगर भाजपा ने दम मार लिया तो उसे सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकेगा। भाजपाध्यक्ष नितिन गड़करी की छवि साफ सुथरी तो है पर राष्ट्रव्यापी नहीं बन पाई है। दूसरी ओर आड़वाणी और नरेंद्र मोदी भाजपा के आज स्टार बन चुके हैं। भाजपा में एक हवा चली है जिसके मुताबिक गड़करी को हाशिए पर लाने के लिए मोदी और आड़वाणी हाथ मिला रहे हैं। उधर सुषमा स्वराज, शिवराज सिंह चौहान और अरूण जेतली भी पीएम बनने की संभावनाएं तलाशने में लगे हैं। देखा जाए तो आड़वाणी और मोदी में अभी मोदी का पड़ला ही भारी दिख रहा है।

दो दो रूपए में बिक रहे आधार फार्म

एक तरफ तो संसद की स्थाई समिति ने यूनिक आईडेंटी फिकेशन नंबर वाले आधार कार्ड के ओचित्य पर ही सवाल लगा दिए वहीं दूसरी ओर देश में अनेक स्थानों पर आधार के फार्म दो से पांच रूपए तक बिकने की खबरें आम हो गईं हैं। केंद्र सरकार द्वारा आधार कार्ड बनवाने के लिए देश की बड़ी फर्मों को ठेका दिया है। कहा जा रहा है कि इस ठेके में आधार कार्ड की फार्म से फोटो आदि खीचने की जवाबदेही ठेकेदार पर आहूत की गई है। एमपी के सिवनी में कर्वी नामक एक ठेकेदार सहित देश के अनेक हिस्सों में द्वारा फार्म दिखाकर उसकी फोटोकापी करवाने को मजबूर किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि ठेकेदार के गुर्गे आसपास ही दो से पांच रूपए प्रतिफार्म बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं। अधार पंजीयन के मामले में इस तरह आम आदमी लुट रहा है पर मौन साध रखा है केंद्र सरकार ने!

जोर पकड़ने लगी प्रथक महाकौशल की मांग

छोटे राज्य विकास के लिए मार्ग प्रशस्त करते हैं, इसी तर्ज पर देश के हृदय प्रदेश औषधीय संपदा आदि समेटे महाकौशल प्रांत के पास राजनैतिक तौर पर भी काफी समृद्धि है। महाकौशल का अगर निर्माण होता है तो इसकी राजधानी निश्चित तौर पर संस्कारधानी जबलपुर ही बनेगी। जबलपुर में भेड़ाघाट का जलप्रपात, कान्हा और पेंच नेशनल पार्क, भेडिया बालक मोगली की कर्मस्थली, तेज तपस्वी जगतगुरू शंकराचार्य स्वरूपानंद जी की जन्मभूमि, आध्यात्मिक गुरू रजनीश, महर्षि महेश योगी, आबू वाले बाबा, स्वामी प्रज्ञानंद, स्वामी प्रज्ञनानंद की तपस्थली,, रानी दुर्गावती, शंकरशाह, रघुनाथ शाह जैसे कुशल शासकों का राज्य, पातालकोट में भारिया जनजाति तो मण्डला डिंडोरी के आदिवासियों का रहनसहन, जबलपुर में सेना की वाहन निर्माणी, बारूद निर्माणी, न जाने क्या क्या नहीं है महाकौशल प्रांत में। अब प्रथक महाकौशल के लिए यहां के जनादेश प्राप्त नेता ही माटी का कर्ज नहीं उतार रहे हैं, वरना न जाने कब का हो चुका होता महाकौशल का निर्माण।

क्या है हमारी राष्ट्रभाषा?

भारत गणराज्य की स्थापना के साथ बीसवीं सदी तक तो देश की राष्ट्रभाषा हिन्दी ही थी, पर आज देश की राष्ट्रभाषा हिन्दी और अंग्रेजी का सम्मिश्रण ‘हिंगलिश‘ है या हिन्दी इस बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ कहा नहीं जा सकता है। कांग्रेस का नेतृत्व कितना शक्तिशाली है इस बात का उदहारण इसी बात से मिलता है कि आधी सदी से ज्यादा देश पर राज करने के बाद भी वह समूचे देश में राष्ट्रभाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं दिला पाई। आज भी उच्च और सर्वोच्च न्यायालय का काम ब्रितानी आंग्ल भाषा में ही संपादित होता है। अनेक प्रतियोगी परीक्षाओं का माध्यम अंग्रेजी ही है। हाल ही में गृह मंत्रालय की राजभाषा इकाई ने एक परिपत्र जारी किया है जिसमें कहा गया है कि विशुद्ध हिंदी के इस्तेमाल से आम जनता में अरुचि पैदा होती है। परिपत्र में अनुशंसा की गई है कि आधिकारिक कामों के लिए कठिन हिंदी शब्दों की जगह देवनागरी लिपि में अंग्रेजी के वैकल्पिक शब्दों का इस्तेमाल किया जा सकता है।

शीला ले सकती हैं सेवानिवृत्ति

कामन वेल्थ गेम्स की लपटों से झुलसीं दिल्ली की निजाम श्रीमति शीला दीक्षित अगर सीएम का पद छोड़ती हैं तो उनके पुत्र संदीप दीक्षित दिल्ली की कमान संभालने आतुर दिख रहे हैं। वे इस मामले में खासे आश्वस्त नजर आ रहे हैं कि दिल्ली में अगली सरकार कांग्रेस की बनने से कोई रोक नहीं सकता है। संदीप के करीबी सूत्रों का कहना है कि 70 सदस्यीय विधानसभा में संदीप दीक्षित का मानना है कि दो दर्जन से ज्यादा सीटें तो एसी हैं जो कांग्रेस का गढ़ हैं। यहां किसी को भी खड़ा कर दिया जाए ये कांग्रेस के पाले में ही जाएंगी। संदीप के करीबी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के पुत्र संदीप यह सोचकर गदगद हैं कि आने वाले विधान सभा चुनावों कांग्रेस की गिनती 24 से आंरभ होगी। उधर पिछले दिनों भोपाल एक्सप्रेस रेलगाड़ी में उनके पास से गुमे फिर मिले दस लाख रूपए के रहस्य पर से अभी पर्दा उठा नहीं है, भाजपा इस मामले को उनके खिलाफ ब्रम्हास्त्र की तरह इस्तेमाल कर सकती है।

आईडिया नहीं अभिषेक को कोस रहे उपभोक्ता

आदित्य बिरला के स्वामित्व वाले आईडिया सेल्यूलर की विशेषकर ग्रामीण इलाकों में घटिया सेवाओं के चलते अब लोगों के मन में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के कुलदीपक सिने अभिनेता अभिषेक बच्चन के प्रति घ्रणा के भाव जगते जा रहे हैं। आईडिया की गलत नीतियों के कारण अब लोग आईडिया की सेवाओं के स्थान पर आईडिया के ब्रांड एम्बेसेडर अभिषेक बच्चन को ही कोसते नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि आईडिया सेल्युलर द्वारा अपने बिजनेस प्रमोशन के लिए मशहूर अभिनेत्री एश्वर्य राय के पति अभिषेक बच्चन को ब्रांड एम्बेसेडर के बतौर इंगेज किया है। सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री जया बच्चन के पुत्र तथा एश्वर्य राय के पति होने के नाते भी इन साभी के प्रशंसकों की आंखों का तारा बने अभिषेक बच्चन से प्रभावित होकर न जाने कितने लोगों के द्वारा आईडिया का कनेक्शन लिया गया। अब आईडिया ने अभिषेक को कोसने का नया आईडिया अघोषित तौर पर मार्केट में लांच कर ही दिया है।

शिव का सीना चौड़ा किया खाकी ने

मध्य प्रदेश पुलिस ने नेशनल लेबल पर अपनी उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल कर सूबे का नाम रोशन किया है। इंटरनेट की दुनिया में भारत का परचम लहरा रहा है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। इंटरनेट पर अपराधों की तादाद भी तेजी से बढ़ी है। इसी के मद्देनजर देश भर में सूबाई पुलिस ने साईबर सेल का गठन किया। मध्य प्रदेश पुलिस का साईबर सेल इस साल टॉप पर रहा है। मध्य प्रदेश के खाते में आई इस उपलब्धि से देश के हृदय प्रदेश में खाकी का सीना चौड़ा होना स्वाभाविक ही है। एमपी पुलिस के लिए यह गौरव की बात है कि देश में साइबर अपराधों पर लगाम लगाने में मध्य प्रदेश पुलिस इस साल अव्वल रही है। इसके लिए केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, नैसकॉम एवं डीएससीआई (डाटा सिक्योरिटी काउंसिल ऑफ इंडिया) ने नई दिल्ली में राज्य साइबर पुलिस, मप्र को देश के सर्वाेच्च सम्मान ‘इंडिया साइबर कॉप’ अवॉर्ड दिया है।

अजहर करा सकते हैं यूपी में किरकिरी

पूर्व क्रिकेट कप्तान और कांग्रेस के उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद के संसद सदस्य अजहरउद्दीन इन दिनों राहुल गांधी के लिए नासूर बनकर उभर रहे हैं। अजहर ने यूपी में चुनाव अभियान में शामिल होने से इंकार कर दिया है। देखा जाए तो अजहर केंद्रीय खेल मंत्री अजय माकन से खासे नाराज लग रहे हैं। माकन ने कह दिया था कि 1996 में कांबली के वर्ल्ड कप के सेमीफायनल में अजहर ने फिक्सिंग की थी। राहुल गांधी को यह भी बताया गया है कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का परफार्मेंस सुधरवाने में अजहर ने खासी मदद की थी। अब अजहर पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा है और केंद्रीय खेल मंत्री ने भी इस आरोप की पुष्टि कर दी है। इन परिस्थितियों में अजहर को यूपी चुनाव में सामने रखना कांग्रेस के लिए आत्मघाती कदम ही साबित होने वाला है।

पुच्छल तारा

भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा भारत निर्माण के द्वारा नेहरू गांधी परिवार को महिमा मण्डित करने के लिए हजारों करोड़ रूपयों की होली जलाई जा रही है। इसके लिए तरह तरह के विज्ञापन, होर्डिंग, बेनर पोस्टर्स तैयार करवाए जा रहे हैं। आई एण्ड बी मिनिस्टर अंबिका सोनी को सुझाव देते हुए नागपुर महाराष्ट्र से उत्कर्षा घ्यार ने एक सचित्र ईमेल भेजा है। उत्कर्षा लिखती हैं कि भारत निर्माण अभियान की तर्ज पर अब कांग्रेस और केंद्र सरकार को भारत विनाश अभियान चलाया जाना चाहिए। इस अभियान की पंच लाईन होना चाहिए:-

‘‘भारत विनाश का सपना बुना!

घोटाले हुए कई गुना!!‘‘ 

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लिमटी खरे
हमने मध्य प्रदेश के सिवनी जैसे छोटे जिले से निकलकर न जाने कितने शहरो की खाक छानने के बाद दिल्ली जैसे समंदर में गोते लगाने आरंभ किए हैं। हमने पत्रकारिता 1983 से आरंभ की, न जाने कितने पड़ाव देखने के उपरांत आज दिल्ली को अपना बसेरा बनाए हुए हैं। देश भर के न जाने कितने अखबारों, पत्रिकाओं, राजनेताओं की नौकरी करने के बाद अब फ्री लांसर पत्रकार के तौर पर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारा अब तक का जीवन यायावर की भांति ही बीता है। पत्रकारिता को हमने पेशा बनाया है, किन्तु वर्तमान समय में पत्रकारिता के हालात पर रोना ही आता है। आज पत्रकारिता सेठ साहूकारों की लौंडी बनकर रह गई है। हमें इसे मुक्त कराना ही होगा, वरना आजाद हिन्दुस्तान में प्रजातंत्र का यह चौथा स्तंभ धराशायी होने में वक्त नहीं लगेगा. . . .

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