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साहित्य का प्रदेय - साहित्य परिषद् का अगला त्रेवार्षिक सोपान - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
हिन्दी के प्रमुख साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने साहित्य को “जनता की चित्तवृत्ति का संचित प्रतिबिंब” माना है। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी ने साहित्य को “ज्ञानराशि का संचित कोश” व “समाज का दर्पण” कहा है। अनेकों विद्वानों, साहित्यकारों, संतो, महात्माओं के मतानुसार साहित्य समाज की प्रेरकशक्ति है। निस्संदेह समाज ने…