देश का दुश्मन हम सबका दुश्मन

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सुरेश हिन्दुस्थानी

जो अपनों का नहीं होता, उस पर विश्वास करना कठिन होता है। पाकिस्तान में वर्तमान में इसी प्रकार का वातावरण निर्मित होता हुआ दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान की सरकार और आतंकवाद का समर्थन करने वालों के मध्य बहुत बड़ी खाई पैदा होती हुई दिखाई देने लगी है, लेकिन इसका परिणाम क्या होगा, इसके बारे में जल्दबाजी करना ठीक नहीं होगा। क्योंकि पाकिस्तान के बारे में यह कहना समीचीन ही होगा कि वह आतंकवादियों के विरोध के नाम पर केवल खानापूर्ति ही करेगा। हम जानते हैं कि आज इस्लामिक आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है, इसलिए विश्व का कोई भी देश आतंकवाद को रोकने के लिए चलाए गए अभियान को भरपूर समर्थन देगा, यह तय सा दिखाई देने लगा है।

जैसे ही पाकिस्तान की ओर से सर्जीकल स्ट्राइक को झूठ बताया, वैसे ही भारत में पाकिस्तान जैसे स्वर उठने शुरु हो गए। इस बात का पाकिस्तान ने पूरा फायदा उठाया, उसने पूरी दुनिया में इस झूठ को प्रचारित करने के लिए अपने दूत भेज दिए। लेकिन उनके दूतों को पूरी विश्व बिरादरी से कोई समर्थन नहीं मिला। इस बात से अब पाकिस्तान में इस बात को को लेकर चिन्तन मनन प्रारंभ हो गया है कि आतंकवाद का क्या किया जाए। हालांकि पाकिस्तान ने पहले भी आतंकवाद के मुद्दे पर पूरी दुनिया को दिखाने के लिए कार्यवाही करने की बात कही थी, लेकिन उसके परिणाम में पाकिस्तान में आतंकवादियों की कार्यवाही पहले से ज्यादा बढ़ गई हैं। अब भले ही पाकिस्तान में आतंकवाद के विरोध में कार्यवाही किए जाने के स्वर सुनाई देने लगे हैं, लेकिन अब भी पाकिस्तान पर विश्वास करना लगभग कठिन सा ही लग रहा है। विश्व को यह दिखाने के लिए कि पाकिस्तान भी आतंकवाद के विरोध में है, कार्यवाही करने की बात करने लगा है। वैसे एक बात स्पष्ट रुप से कही जा सकती है कि सर्जीकल स्ट्राइक सेना का अभियान होता है, सरकार का नहीं। लेकिन आज भारत देश के विरोधी पक्ष को यह अभियान फर्जी दिखाई देने लगा है, इसलिए सब ओर से प्रमाण मांगने के स्वर सुनाई दे रहे हैं। विपक्ष और सत्ता पक्ष के स्वरों में भिन्नता का मतलब दुश्मन देश का मनोबल बढ़ाना है।

भारत असीमित संभावनाओं वाला देश होने के कारण विश्व के कई देश भारत की तरफ आना चाहते हैं, यहां तक कि चीन जैसे दुश्मन देश भी भारत के बिना अपना व्यापार नहीं चला सकता। आज भारत का बाजार चीन द्वारा निर्मित वस्तुओं से भरा पड़ा है। देश के चार प्रमुख त्यौहारों पर चीनी वस्तुओं की भरमार रहती है। इससे चीन को भारत से बड़ी रकम प्राप्त होती है। इसी धन को चीन संभवत: भारत के विरोध में उपयोग करता है। वर्तमान समय में यह तय हो चुका है कि चीन और पाकिस्तान घोषित तौर पर भारत के दुश्मन हैं। जो भारत का दुश्मन है, वह हर भारतीय का दुश्मन है। यहां पर यह कहना भी समीचीन लगता है कि भारत ने कभी भी अपनी ओर से पाकिस्तान के विरोध में किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं की। पाकिस्तान की कार्यवाही का जवाब ही दिया है। इसके अलावा भारत ने केवल आतंकवाद के विरोध में अपनी कार्यवाही की। इससे यह साबित होता है कि पाकिस्तान आतंकवाद के विरोध में की गई कार्यवाही को ही अपने विरोध की कार्यवाही समझ बैठा है। वास्तव में पाकिस्तान आतंकवाद का खात्मा करना चाहता है तो उसे भी भारत के अभियान का समर्थन करना चाहिए।

वर्तमान में जिस प्रकार से भारत देश में सर्जीकल स्ट्राइक के प्रमाण मांगने की होड़ चल रही है, उससे भारत को कितना फर्क पड़ रहा होगा, यह तो हमें नहीं मालूम, लेकिन यह जरुर कहा जा सकता है कि इससे पाकिस्तान के आतंकवादी आकाओं को निश्चित ही राहत मिली होगी। राजनीतिक कारणों से प्रमाण मांगने के खेल के पीछे कहीं पाकिस्तान के तार तो नहीं हैं। इस बात की जांच अवश्य ही की जानी चाहिए कि कुछ दिन पहले सर्जीकल के बारे में प्रशंसा करने वालों के स्वर एकदम कैसे बदल गए। कांगे्रस के नेता सेना की सर्जीकल स्ट्राइक की कार्यवाही को मौत का खेल बता रही है। वास्तव में कांगे्रस यही चाहती है कि हमारे सैनिक मरते रहें, और कोई कार्यवाही न करें। कौन नहीं जानता कि एक समय सैनिकों द्वारा आतंकियों के विरोध में की गई कार्यवाही के परिणाम स्वरुप भारतीय सैनिकों पर ही आरोप लगाकर आतंकवादियों का मनोबल बढ़ाने का काम किया गया था। बाटला हाउस की मुठभेड़ को भी लोग अभी भूले नहीं होंगे। इसमें भी कांगे्रस के नेताओं ने सुरक्षा बल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे, लेकिन बाद में यही प्रमाणित हुआ था कि सैनिकों ने जो कार्यवाही की थी, वह एक दम ठीक थी।

कांगे्रस पार्टी द्वारा आज यह कहा जा रहा है कि उसने भी सर्जीकल स्ट्राइक जैसी कार्यवाही को अंजाम दिया था। इसके विपरीत सोशल मीडिया पर इसका खंडन भी प्रसारित किया जा रहा है। कांगे्रस की सरकार के समय किए गए सर्जीकल स्ट्राइक पर सवाल उठने लगे हैं, ऐसे में निश्चित रुप से कांगे्रस को सबूत देने का काम करना चाहिए। वैसे एक बात ध्यान देने योग्य है कि किसी भी देश में रक्षा मामलों में इस प्रकार की बयानबाजी नहीं की जाती जैसी भारत में हो रही है। देश की सुरक्षा के नाम पर सारा देश एक दिखाई देना चाहिए, लेकिन हमारे देश की विसंगति देखिए, सेना की कार्यवाही को ही कठघरे में खड़ा कर दिया।

सबसे बड़ा सवाल यह है कि देश बड़ा है आदमी। वास्तव में व्यक्ति के अंदर जो भी योग्यताएं हैं, वह सभी देश की देन हैं। भारत ही नहीं दुनिया का कोई भी व्यक्ति अपने देश से बड़ा नहीं होता। पाकिस्तान के कलाकारों ने भारत से वापस जाने के बाद भी अपने ही देश को प्रधानता दी और देना भी चाहिए। इसके विपरीत हमारे देश में क्या हो रहा है। कला के नाम पर देश को ही भूलने की भूल कर रहे हैं। फिल्म जगत भारत का एक हिस्सा है, कोई विदेशी कलाकार भारतीय फिल्मों में काम करके भले ही करोड़ों रुपए कमा ले, लेकिन वह अपने देश के बारे में ही सोचता है। भारत के कलाकारों को भी अपने देश के बारे में सबसे पहले सोचना चाहिए।

यहां पर हमें एक बात का अवश्य ही ध्यान रखना होगा कि जो व्यक्ति देश के विरोध में कदम उठाता है, वह किसी न किसी प्रकार से अपने आपको ही धोखा देता है। हमारे अंदर कोई प्रतिभा है तो उसका उपयोग देश के हित में सबसे पहले करना चाहिए। वर्तमान में पूरे भारतीय समाज को भारतीयता का चिन्तन करने की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है। आज समाज में दो प्रकार की चिन्तन धारा प्रवाहित हो रही है या पैदा की जा रही है। सकारात्मक चिन्तन की दिशा में सोचने वालों की सक्रियता का अभाव दिखाई देने लगा है, इसके विपरीत नकारात्मक चिन्तन का प्रवाह अपनी गति में लगार विस्तार ही करता जा रहा है। सद्प्रवृति पैदा कर सकने वाला भारतीय समाज आज निष्क्रियता की अवस्था की ओर कदम बढ़ाता हुआ दिखाई दे रहा है। अब समय आ गया है कि सकारात्मक चिन्तन करने वाले समाज को आगे आकर भारतीयता की रक्षा के लिए आगे आना होगा। तभी हमारा देश और समाज सुरक्षित हो सकेगा।

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