देश के नए ‘ भागीरथ ‘ को शुभकामनाएं

राकेश कुमार आर्य

देश के मतदाताओं ने एक ‘ फकीर की झोली ‘ भर दी है । यह शब्द कृतज्ञतावश हमारे देश के सबसे अधिक लोकप्रिय प्रधानमंत्री के रूप में स्थापित हो चुके श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी के हैं । जिन्होंने चुनाव परिणाम आने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं के समक्ष उपरोक्त वचन कहे । नेता भाषण देते हैं , लेकिन अनेकों भाषणों के कुछ अंश और कभी कभी तो दो-चार शब्द ऐसे खड़े रह जाते हैं कि जो इतिहास लिख देते हैं । सचमुच ये शब्द नहीं होते , अपितु उस व्यक्ति के चिंतन की गहराई का प्रतीक होते हैं ।उनसे पता चलता है कि वह अपने आप को ‘समझता क्या है ?’ जब राजा अपने आप को फकीर समझने लगे तो समझो कि वह दार्शनिक है , और जो राजा दार्शनिक हो जाए तो समझो कि वह राजा ऐसा दार्शनिक हो गया है जो राजधर्म को बहुत गहराई से समझता है । महामति चाणक्य ने कहा था कि ‘ राजा दार्शनिक और दार्शनिक राजा होना चाहिए । ‘ भारत ने बहुत देर पश्चात जाकर अपने एक महामति प्रधानमंत्री चाणक्य की इस राजधर्म संबंधी उद्घोषणा को यथार्थ में चरितार्थ होते देखा है। वास्तव में एक ‘फकीर दार्शनिक ‘ ही अपने देश की जनता या मतदाताओं से सीधा संवाद स्थापित कर सकता है और उनसे सीधा जुड़कर देश की समस्याओं के साथ एकाकार होकर उन्हें सुलझाने के लिए 24 घंटे पुरुषार्थकर सकता है । मोदी ने यह कर दिखाया है । इसलिए देश के लोगों ने उनके पुरुषार्थशील व्यक्तित्व को पुरस्कृत करते हुए उन्हें दोबारा देश का प्रधानमंत्री चुनने का महत्वपूर्ण युगांतरकारी और ऐतिहासिक निर्णय दिया है । 
जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने विगत 30 मई को राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में अपने मंत्रिमंडल के 58 सहयोगियों के साथ शपथ ग्रहण करते हुए दोबारा देश के प्रधानमंत्री के पद का दायित्व संभाल लिया है। 
चंद्रगुप्त मौर्य जब सिंहासनारूढ़ हुए, तब उन्होंने कहा था : “आज सपनों के साकार होने का दिन है। वे सपने जो आचार्य चाणक्य की आंखों ने देखे। वे सपने जो देश को महानता की ऊंचाइयों पर फिर से देखने के सपने हैं। जो आम नागरिक की आशाओं से जुड़े हैं। वे सपने जो हमारे शत्रुओं के दुः स्वप्न हैं।”
कुछ ऐसे ही शब्द मोदीजी ने अपने राजनीतिक गुरु और पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी को याद करते हुए कहे हैं । उन्होंने कहा है कि — “मैं हर एक मौके पर प्यारे अटल जी को याद करता हूं । वे यह देखकर बहुत खुश होते कि भाजपा को लोगों की सेवा करने का इतना अच्छा मौका मिला । अटल जी के जीवन और कार्य से प्रेरित होकर हम सुशासन बढ़ाने और जीवन को बदलने का प्रयास करेंगे ।”
यह किसी नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री की अपने पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री को दी गई भावपूर्ण श्रद्धांजलि ही नहीं है , अपितु उसके सपनों को और उसके संकल्पों को सच कर दिखाने का एक पैमाना भी है कि वह चाहता क्या है और देश को देना क्या चाहता है ? निश्चय ही मोदी जी देश को सुशासन देना चाहते हैं , ऐसा सुशासन जो जीवन को बदलने का संकल्प व्यक्त करता हो । जो व्यक्ति को उस शासित नहीं ,अनुशासित भी नहीं ,अपितु आत्मानुशासित करने की शक्ति और सामर्थ्य भी रखता हो ।
मानवता का इतिहास इस बात का साक्षी है कि शपथ ग्रहण समारोह में शासकों के द्वारा दिए गए उद्बोधन आगे चलकर उनकी राज्य व्यवस्था की पहचान बनते हैं। मोदी ने अब तक जो कुछ बोला है ,उसको सच करके दिखाया है । इसलिए वह आज भी जो कुछ कह रहे हैं या आज भी जिस प्रकार अपने आप को एक फकीर के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं तो वह भी केवल इसीलिए कर रहे हैं कि उन्हें अभी और बहुत दूर तक जाना है । देश की विकराल समस्याएं उनके मानस में झंझावात बनकर खड़ी हैं। जिन्हें वे धीरे-धीरे शांत कर देना चाहते हैं अर्थात उनका समाधान कर देना चाहते हैं। सचमुच मोदी के विराट व्यक्तित्व का कोई सानी नहीं। उन्हें 353 सीटें ही सुनामी के रूप में नहीं मिली है अपितु उनके सामने सुनामी के रूप में ही समस्याएं भी खड़ी हैं । उनका सुनामी विशाल ह्रदय इन सारी सुनामी समस्याओं का समाधान करने के लिए भी संकलित है। यह देश का सौभाग्य है कि इतने विराट व्यक्तित्व का प्रधानमंत्री हमें मिला है । 
लंका विजय के बाद भगवान श्री राम ने अयोध्या में अपने अत्यंत संक्षिप्त उद्बोधन में कहा था :– ” हम उन सभी जन आकांक्षाओं को पूरा करने का उत्कृष्ट और आदर्श प्रयास करेंगे जिनके लिए नागरिकों ने इतने वर्षों प्रतीक्षा की यह राम का नहीं आप सभी का राज्य होगा।” 
इसे और भी संक्षिप्त करते हुए मोदी ने कह दिया है कि सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास जीतकर हम चलेंगे । इस प्रकार भारत का लोकतंत्र पहली बार सबके मंगल की कामना करते हुए अपने नायक के नेतृत्व में आगे बढ़ने के लिए संकल्पित है । वास्तव में यही सच्ची धर्मनिरपेक्षता है और यही वास्तविक राजधर्म भी है कि जब सब सब के कल्याण की प्रार्थना करें और सब सब के कल्याण के लिए संकल्पित हों । भारत के लोकतंत्र का यह मूलभूत सिद्धांत भी है और उसका मूलभूत आधार भी है । मोदी भारत के लोकतंत्र के इसी मौलिक सिद्धांत के प्रतीक बनकर हमारे बीच में उपस्थित हैं । 
नए राज द्वारिका के बसने और अपने राज्यारोहण के समय भगवान श्री कृष्ण ने भी कहा था :– ” अब हम शांति ,उन्नति और समृद्धि की उन सभी जन आकांक्षाओं को पूरा करेंगे जो केवल नागरिकों की कल्पनाओं में थीं।”
हमारे देश की जनाकांक्षाएं लंबे समय से अपने आपको दबी हुई और उपेक्षित अनुभव कर रही थीं । अब उसकी जनाकांक्षाओं का कमल खिला है । सर्वत्र फैली कीचड़ की राजनीति में कमल खिलाना सचमुच भारत के सौभाग्य का प्रतीक है । मोदी जी ने अपने चुनावी भाषणों में यह कहा भी था कि ” मैं गालियों के कीचड़ में कमल खिलाता हूं ।” अब उन्हें भारत के आंगन में फैली हुई राजनीति की कीचड़ में कमल खिलाने हैं । सारे देश को विश्वास है कि प्रधानमंत्री श्री मोदी जन अपेक्षाओं पर खरा उतरेंगे और सर्वत्र फैली पड़ी कीचड़ का सदुपयोग करते हुए लोगों के सपनों का भारत बनाने का भागीरथ प्रयास करेंगे । हम मोदी जी को एक भागीरथ के रूप में उनके दूसरे कार्यकाल के लिए अपनी शुभकामनाएं अर्पित करते हैं ।

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राकेश कुमार आर्य
उगता भारत’ साप्ताहिक / दैनिक समाचारपत्र के संपादक; बी.ए. ,एलएल.बी. तक की शिक्षा, पेशे से अधिवक्ता। राकेश आर्य जी कई वर्षों से देश के विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में स्वतंत्र लेखन कर रहे हैं। अब तक चालीस से अधिक पुस्तकों का लेखन कर चुके हैं। वर्तमान में ' 'राष्ट्रीय प्रेस महासंघ ' के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं । उत्कृष्ट लेखन के लिए राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह जी सहित कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए जा चुके हैं । सामाजिक रूप से सक्रिय राकेश जी अखिल भारत हिन्दू महासभा के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अखिल भारतीय मानवाधिकार निगरानी समिति के राष्ट्रीय सलाहकार भी हैं। ग्रेटर नोएडा , जनपद गौतमबुध नगर दादरी, उ.प्र. के निवासी हैं।

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