देश में झुंड प्रतिरोधक क्षमता विकसित करना अर्थव्यवस्था के लिए लाभकारी सिद्ध होगा

केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा देश में कोरोना महामारी के बचाव के लिए 24 घंटे सातों दिन टीका लगाये जाने की व्यवस्था कुछ ही समय में विकसित किए जाने की अनुशंसा की है ताकि टीका लगाए हुए लोगों के दायरे को बढ़ाते हुए देश की अर्थव्यवथा को पुनः तेजी से दौड़ाया जा सके। हाल ही में जारी किए गए अपने मासिक प्रतिवेदन में केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने बताया है कि देश में झुंड प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के लिए 70 करोड़ युवाओं को टीके की कम से कम खुराक 30 सितम्बर 2021 के पूर्व लगाई जाना अत्यंत आवश्यक है। इससे देश के उपभोक्ता एवं उत्पादकों में आत्मविश्वास का स्तर बढ़ेगा एवं यह आर्थिक विकास को शीघ्र ही गति देने में सहायक सिद्ध होगा। इसका आशय यह है कि अगले केवल लगभग 3.5 माह के दौरान लगभग 1 करोड़ से अधिक लोगों को प्रतिदिन टीका देना होगा तभी उक्त लक्ष्य को 30 सितम्बर 2021 तक हासिल किया जा सकता है।

देश में आज की परिस्थितियों में देशवासियों को कोरोना महामारी से बचाने के लिए उन्हें टीका लगाना ही एकमात्र उपाय उपलब्ध है। कोरोना महामारी की प्रथम लहर के बाद भारत की अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़ने की ओर अग्रसर हो रही थी कि अचानक दूसरी लहर ने अर्थव्यवस्था को पुनः एक झटका दे दिया। स्वास्थ्य एवं अर्थव्यवस्था दोनों ही नजरियों से टीका ही एक उपाय के तौर पर उभर कर सामने आ रहा है। टीका लगाने से कोरोना महामारी से बचा जा सकता है अथवा यदि कोरोना से संक्रमण होता भी है तो यह उतना पैना नहीं होगा कि संक्रमित व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाए। देश की कुल जनसंख्या के एक बहुत बड़े वर्ग का टीकाकरण कर लिया जाय अब इस ओर केंद्र सरकार द्वारा गम्भीर प्रयास किए जा रहे हैं। इससे देश में कोरोना से लड़ाई के विरुद्ध आत्मविश्वास पैदा होगा। लोग बगैर किसी डर के घरों से बाहर निकल सकेंगे और इससे बाजारों में रौनक पुनः लौट सकती है। देश की बड़ी आबादी पर्यटन के लिए अपने शहरों से बाहर जा सकती हैं। निर्माण उद्योग भी पुनः अपने उच्च स्तर को प्राप्त कर सकता है इससे पर्यटन एवं निर्माण के क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इन्हीं कारणों से केंद्र सरकार का सोचना है कि 30 सितम्बर 2021 के पूर्व देश में 70 करोड़ लोगों का टीकाकरण कर लिया जाय। केंद्र सरकार ने, टीका उत्पादकों से चर्चा करने के उपरांत, ताकि आगे आने वाले समय में टीकों की उपलब्धता में किसी भी प्रकार की परेशानी खड़ी न हो, अब इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कमर कस ली है। इसके लिए राज्य सरकारों का भी सहयोग लिया जा रहा है। अब टीकों की उत्पादकों से अभिप्राप्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी इससे राज्य सरकारों पर दबाव कम होगा और राज्य सरकारें केवल टीकाकरण की ओर पूरा ध्यान केंद्रित कर सकेंगी। टीकाकरण का पूरा खर्च भी अब केंद्र सरकार द्वारा ही वहन किया जायेगा।

टीकों का निर्माण करने वाली कम्पनियों को केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक सहायता उपलब्ध कराते हुए टीकों के निर्माण को बढ़ाने के प्रयास भी किये जा रहे हैं। साथ ही अन्य देशों में टीकों का निर्माण करने वाली कम्पनियों को भी भारत में ही इन टीकों के निर्माण हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है। अब टीकों का निर्माण करने वाली कम्पनियों द्वारा निर्मित किए गए 100 टीकों में से 75 प्रतिशत टीके केंद्र सरकार द्वारा खरीदे जाएंगे एवं शेष 25 प्रतिशत टीके इन कम्पनियों द्वारा बाजार में बेचा जा सकेगा। इससे इन कम्पनियों को यह निश्चिंतिता रहेगी कि उनके द्वारा उत्पादित टीकों का 75 प्रतिशत भाग तो तुरंत ही बिक जाएगा।    

ग्रामीण इलाकों को भी टीकाकरण के दायरे में लाकर ग्रामीणों का टीकाकरण तेजी से हो इस हेतु प्रयास किए जा रहे हैं क्योंकि कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने ग्रामीणों को भी प्रभावित किया है। इस तरह से कुल मिलकर सभी मोर्चों पर कार्य किया जा रहा है। देश में सभी समाजों एवं निजी क्षेत्र को भी इस काम में मदद करने हेतु निवेदन किया जा रहा है। अकेले केंद्र सरकार यह इतना बड़ा कार्य नहीं कर सकती है। टीकों के निर्माण, अभिप्राप्ति के साथ साथ टीकों के वितरण पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि किसी भी राज्य में टीकों की उपलब्धता पर कोई विपरीत असर नहीं पड़े। दूर दराज़ ग्रामीण इलाकों में भी टीका समय पर उपलब्ध रहे इस हेतु प्रयास किए जा रहे हैं। लक्ष्य बहुत ही बड़ा है परंतु देश में इस समय इसके अलावा और कोई विकल्प भी नहीं है। अभी लगभग 30 लाख टीके प्रतिदिन लगाए जा रहे हैं इसे बढ़ाकर एक करोड़ से अधिक टीके प्रतिदिन तक ले जाना है। देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए यह कार्य तो करना ही होगा।

सबसे पहिले स्वास्थ्य सेवाओं एवं अन्य सेवाओं में कार्यरत लोगों को टीका लगाया गया इसके बाद 60 वर्ष से अधिक की आयु के लोगों को और अब 18 वर्ष से अधिक की आयु का लोगों को भी टीका लगाया जा रहा है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि कोरोना महामारी के समय में अस्पतालों में टीका लगाने वाले लोगों की भीड़ नहीं हो। हालांकि कोरोना के संक्रमण के धीरे धीरे कम होने के साथ ही अब कुछ जगह पर वॉक इन टीका लगने का काम भी शुरू किया जा चुका है। अब तो धीरे धीरे और भी छूट दी जा सकती है जैसे पंजीकरण कराने के बाद अब कहीं भी और कभी भी टीका लगवाया जा सकता है। अब टीका लगाने की प्रक्रिया को बहुत आसान बनाया जा रहा है। शुरुआत में जरूर कुछ नियम बनाए गए थे ताकि स्थिति नियंत्रण में रहे।

भारत में आज डिजिटल, संप्रेषण एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली मजबूत हो गई है अतः देश में इस प्रणाली का भी पूरा पूरा लाभ लिया जा सकता है। भारत में अपार क्षमताएं एवं सम्भावनाएं मौजूद हैं जिनका पूरा उपयोग करते हुए प्रतिदिन एक करोड़ लोगों को टीका लगाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। टीकाकरण के कार्यक्रम में तकनीक का भरपूर इस्तेमाल भी किया जा रहा है पंजीकरण कराने के साथ ही टीका लगे हुए व्यक्तियों को प्रमाण पत्र जारी करने के लिए इस प्लैट्फोर्म का उपयोग किया जा रहा है।

अब तो कोरोना महामारी का दूसरा दौर ढलान पर है एवं देश में टीकाकरण के कार्य में भी तेजी लायी जा रही है ऐसे में अब केंद्र एवं राज्य सरकारों को अपने पूंजीगत ख़र्चों में वृद्धि करनी चाहिए ताकि रोजगार के नए अवसर निर्मित हों और उत्पादित वस्तुओं की मांग पैदा हो। इससे देश के गरीब वर्ग में आत्मविश्वास पैदा होगा और देश की अर्थव्यवस्था को गति मिल सकेगी। केवल केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारें ही क्यों अब तो निजी क्षेत्र को भी आगे आना चाहिए और अपनी उत्पादन क्षमता को बढ़ाना चाहिए। आज की परिस्थितियों में अधूरी पड़ी परियोजनाओं को प्राथमिकता सूची में डालकर शीघ्र पूर्ण करने के प्रयास किए जाने चाहिए। निर्माण क्षेत्र को गति दी जानी चाहिए एवं ग्रामीण इलाकों में नए नए अस्पतालों का निर्माण भी किया जा सकता है ताकि ग्रामीण इलाकों में भी स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार हो सके। इन सभी उपायों से देश की अर्थव्यवस्था में पुनः एक बार V आकर की रिकवरी प्राप्त की जा सकती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here