विकास और जातिवाद के बीच महायुद्ध होगा बिहार का चुनाव

biharबिहार के मुजफ्फरपुर में २५ जुलाई को आयोजित प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद अब यह तय हो गया है कि इस बार बिहार विधानसभा के चुनावें में जनता को अब केवल यह तय करना है कि वह देश के साथ कदमताल मिलाकर विकास चाहती है या फिर एक बार फिर वह जातियुद्ध के दौर में जाकर अपना भविष्य बर्बाद करना चाहती है। पीएम मोदी की रैली में भीड़ देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो रहा है। अब बिहार विधानसभा चुनावों को लेकर टीवी व सोशलमीडिया में भी बहसों व सर्वेक्षणों का दौर प्रारम्भ हो गया है। कुछ सर्वे बिहार में लालू नीतीश गठबंधन को आगे बतारहे हैं वहीं कुछ राजग गठबंधन को बढ़त दिखा रहे हैं। इन सर्वेक्षणों में अभी तक यह बात तो साफ हो चुकी है बिहार की लगभग ४५ प्रतिशत से कुछ अधिक जनता विकास को आधार मानकर वोट करने जा रही है। जबकि जाति के आधार पर वोट डालने का प्रतिशत भी केवल ३० तक ही सीमित रह रहा है। अपनी रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली की संसदीय सियासत से दूर व पूरी तरह से चिंतामुक्त होकर बिहार के विकास पर जोर दिया और एक प्रकार से बिहार को विशेष पैकेज देने का संकेत भी दे गये। रैली में उन्होंने साफ कहा कि अभी संसद का सत्र चल रहा है इसलिए वह अभी इसका ऐलान नहीं कर सकते हैं।बिहार को बिजली रेल सड़क सहित तमाम योजनाओं व परियोजनाओं के लिए व्यापक धन देने का ऐलान कर भी गये। इस रैली में राजग के सभी घटक दलांे के नेता भी उपस्थित थे। रैली की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने पीएम मोदी को भगवान श्रीराम कहकर संबोधित किया जबकि स्वयं  की तुलना विभीषण और मुख्यमंत्री नीतिश की तुलना रावण से कर डाली।

बिहार से प्राप्त हो रहे समाचारों के  अनुसार पीएम मोदी की रैली में ऐतिहासिक भीड़ थी। युवाओं में खासा जोश था। रैली में लोगांे को आने से रोकने के लिए नीतीश सरकार का प्रशासन पूरा जोर लगा रहा था। स्कूलों में अवकाश कर दिया गया था। आतंकी हमले की संभावना के मददेनजर चप्पे – चप्पे पर सुरक्षाबल तैनात थे। पीएम मोदी का पूरा का पूरा भाषण केवल बिहार के विकास पर फोकस था। पीएम मोदी के भाषण के बाद जैसी की आशा की जा रही थी बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने संवाददाता सम्मेलन में पीएम मोदी के भाषण की खिल्ली उड़ायी और दावा किया कि पीएम मोदी केवल उन्हीं की पुरानी योजनाओं और कार्यक्रमों की री पैकजिंग कर रहे हैं। अब बिहार में सांप और जहर के साथ रामायण और महाभारत के प्रसंग सुनायी  पडने लग गये है। बिहार के नेताओं का मानसिक संतुलन बिगड़ने लगा है। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालूप्रसाद यादव का कहनाहै कि वे बिहार से मोदी को नथुनी पहनाकर भगा देंगे। यहीं नहीं उन्होनेे मोदी की तुलना कालियानाग तक से कर दी है। बिहार का एक सजायाफ्ता कैदी व जमानत पर सशर्त छूटा अपराधी देश के प्रधानमंत्री के खिलाफ बेहद अपमानजनक टिप्पणी कर रहा है। लालू यादव की यह टिप्पणी सोशल मीडिया में वायरल हो रही है और लोग लालू के प्रति कमेंट कर रहे हैं। यह भारतीय लोकतंत्र का सबसे निम्नतर स्तर है। यहां पर लोग विचारों के आदान- प्रदान व स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति का इसी प्रकार से दोहन कर रहे हैं।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के परिवार के लिए यह चुनाव राजनैतिक अस्तित्व का सवाल खड़ कर रहा है। यह चुनाव पीएम मोदी के लिए उतनी बड़ी अग्निपरीक्षा नही हैं जितनी बड़ी की लालू यादव के लिए है। यही कारण है कि वह यह चुनाव किसी भी प्रकार से जीतना चाहते हैं। यही कारण है कि वह जाति के आंकड़ों को सार्वजनिक करने के लिए जोर दे रहें हैं। बिहार की जनता को गुमराह करने के लिए उपवास पर बैठंे और वहीं बिहार बंद का भी आयोजन कर रहे हैं। यह सबकुछ बिहार को अंधकारमय भविष्य की ओर ही ले जायेगा। पीएम मोदी ने अपनी रैली में कहा कि राजद का अर्थ होता है “रोजना जंगलराज का डर।”   जिसके कारण लालू यादव और नीतिश  कुमार कुछ अधिक ही परेशान हो उठे हैं। लालू व नीतिश कभी रात के अंधेरे में व सुबह- सुबह ही मीडिया को अपनी फोटो दे रहें हैं ताकि जनता में यह साफ संदेश जाये कि  वह एक हैं। जबकि वास्तविकता कुछ और ही है लालू अपनी जातिगत राजनीति से बाज नहीं आ रहे हैं जबकि विकास का मुददा अब राजग उनसे छीनने का प्रयास कर रहा है। हालांकि बिहार के विकास में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार का बड़ा योगदान रहा है तथा  उन्हें विकास पुरूष कहा भी जा रहा है। जबकि दूसरी ओर बिहार की जनता ने लालू यादव के पुराने जंगलराज को देखा है भुगता है व सहन भी, किया है। कहा जा रहा है कि यदि बिहार में नीतिश कुमार पूरी तरह से विकास के मुददे को आधार बनाकर अकेले चुनाव  मैदान में उतरते तो वह अच्छी तरह से मैदान में मुकाबला कर सकते थे। बिहार के चुनावों में एक बात यह हुई है कि   भाजपा के कददावर सांसद शत्रुध्न सिंहा ने मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से मुलाकात कर डाली और पता नहीं किन लोगों के कहने या दबाव में आकर आतंकी याकूब की दयायाचिका राष्ट्रपति के पास भेज दी। सूत्र बता रहे हैं कि अब भाजपा नेतृत्व शत्रु को उनकी जगह बता देना चाह रहा है।

दूसरी ओर अभी भाजपा गठबंधन के लिए सबसे बड़ी समस्या उम्मीदवारों का चयन हो गया है। बिहार के विधानसभा चुनावों में जो लोग लालू व नीतिश के खिलाफ बगावत करके भाजपा  गठबंधन की ओर आकर्षित हो रहे हैं और पीएम मोदी के हाथ मजबूत करना चाह रहे हैं उन लोगों का समायोजन करना एक टेढ़ी खीर बना है। वहीं भाजपा विरोधी दल भाजपा पर दबाव डाल रहे हैं कि वह अपने नेता का नाम बताये। जबकि भाजपा को हर हालत में बिहार का मैदान जीतना है इसलिए दिल्ली जैसी गलतियां बिहार में नहीं करना चाहती है। बिहार का चुनाव अभी पूरी तरह से मोदी के नेतृत्व में ही लड़ने की तैयारी है। यही कारण है कि  इस बार के बिहार चुनाव मोदी के लिए अग्निपरीक्षा तो साबित होंगे ही साथ ही उनकी लोकप्रियता का पैमाना भी खींच देंगे। यदि इन चुनावों में भी भाजपा की पराजय होती है तो कंेद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ेंगी और राहुल गांधी और केजरीवाल जैसे टकराव पसंद नेता और उग्र होकर सामने आयेंगे। आज के हालातों में यही कारण है कि कांग्रेस पार्टी विभिन्न मामलों को लेकर संसद नहीं चलने दे रही है। उसे संसद की कार्यवाही ठप करके अपना सियासी फायदा नजर आ रहा है। जबकि देश का जनता का नुकसान हो रहा है। कई विधायी कार्य लटक गये हैं। जनता कांग्रेस व अन्य दलों के रवैये को भी देख रही है। कांग्रेस समझ रही है कि हम जितना दबाव संसद में डालेंगे उसका असर बिहार पर पड़ेगा। बिहार के चुनाव इतने कठिन होन ला रहे हैं कि अब तो दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल भी दिल्ली का कामकाज अपने उपमुख्यमंत्री के हवाले करके पीएम मोदी की पोल खोलने के लिए  बिहार की खाक छानने जा रहे हैं।यही कारण है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार केजरीवाल के साथ मिलकर केंद्र को ही दोषी बताने लगते हैं और कहते हैं कि केंद्र केजरीवाल को काम नहीं करने दे रहा है।

आज की तारीख में बिहार चुनावों को जीतने के लिए सभी तथाकथित सेकुलर दल अपनी पूरी ताकत झोक देंगे और अपनी विकृत मानसिकता अनूठा नमूना पेश करने वाले हैं। यह चुनाव बिहार का भविष्य तय करने वाले हैं। आज बिहार में भाजपा के १६० विकास रथ दौड़ रहे हैं।इस पर नीतिश फरमाते हैं कि भाजपा बिहार को जीतने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रही है जबकि पूरे पटना में नीतिश कुमार के होर्डिग नजर आ रहे है। बिहार की जनता में भय है कि कहीं फिर लालू- नीतिश का राज आ गया तो क्या होगा । अब यह बिहार की जनता को सेाचना है कि वह किस प्रकार का राज चाहती है। जंगलराज का डर या विकास।

प्रेषकः- मृत्युंजय दीक्षित

1 COMMENT

  1. कौन विकास ?कैसा विकास ? बिहार में तो नरेंद्र मोदी पहले ओ.बी.सी. प्रधान मंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किये जा रहे हैं.इसमें बीच में विकास कहाँ से आ गया?२०१४ के चुनाव केलिए भी नमो का नाम प्रधान मंत्री के लिए घोषित होने के बाद स्वनामधन्य सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि नरेंद्र मोदी के नाम पर बिहार और उत्तर प्रदेश का अति पिछड़ा वर्ग एकजुट हो जाएगा.उस समय भी मैंने लिखा था कि पहले हिंदुत्व का मुखौटा,फिर विकास पुरुष और अंत में अति पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधि,आखिर यह माजरा क्या है?आज फिर वही प्रश्न सामने है.यह तो साफ़ होना ही चाहिए कि आखिर किस मुद्दे पर वोट माँगा जा रहा है.
    आखिर में,इस बार तो यह प्रश्न भी उठना स्वाभाविक है कि क्या नमो स्वयं बिहार का शासन चलाएंगे?

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