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सावधान : बाड़ खेत को खा रही है - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
महर्षि व्यास लिखते हैं :- जात्या च सदृशा: सर्वे कुलेन सदृशास्तथा। न चोद्योगे न बुद्घया वा रूपद्रव्येण वा पुन:। भेदोच्चैव प्रदानच्च भिद्यन्ते भिद्यन्ते निपुभिर्गणा:।। (महा. शा. 107. - 30, 31) अर्थात जाति और कुल में सभी एक समान हो सकते हैं, परंतु उद्योग, बुद्घि, रूप, तथा सम्पत्ति में सबका एक…