धर्मरक्षा और पेशेवर हिन्दू : डॉ. प्रवीण तोगड़िया

संगठन के प्रवास में हम सबको अनेक लोग मिलते हैं। उनमें से बहुत से ऐसे होते हैं, जो हिन्दुत्व, हिन्दू धर्म के लिए ‘कुछ’ करना चाहते हैं, किन्तु समझ नहीं पाते कि वे क्या करें, क्या कर सकते हैं; कुछ ऐसे मिलते हैं, जो चाहते हैं कि हिन्दू धर्म का, हिन्दुओं का भला हो, लेकिन वह भला विहिप, बजरंग दल जैसे संगठन करें-स्वयं वे इसमें सम्मिलित नहीं होंगे; कुछ ऐसे भी मिलते हैं जो हिन्दू होते हुए भी हिन्दू धर्म का उपहास करने को ‘आधुनिकता’ मानते हैं।

यहां हम उनके विषय में विचार करेंगे जो उत्तम पेशेवर (Professionals) हैं, हिन्दू धर्म के लिए ‘बहुत कुछ’ करना चाहते हैं, परन्तु निश्चित क्या करें, इस विषय में संभ्रमित रहते हैं। यहां हम केवल धनदान की चर्चा नहीं कर रहे हैं, हां वे प्रोफेशनल/पेशेवर हिन्दू धर्म और हिन्दुओं के लिए धनदान के लिए हमेशा आनंदित होते हैं किन्तु हर व्यक्ति की ‘हिन्दुओं के लिए क्या करना चाहिए’ इस विषय में अलग-अलग कल्पना, श्रद्धा होती है। डॉक्टर, वकील, प्रोफेसर्स, निवृत्त न्यायाधीश, आईएएस आफिसर्स, पुलिस, सेनाधिकारी, सी0ए0, इंजीनियर्स, वैज्ञानिक, विविध सेवा/कारखाने चलानेवाले उद्योजक…….यह सूची लंबी है। हम सब जहां-जहां होते हैं, वहां-वहां हमें इन सब बुध्दिमान, यशस्वी, पेशेवर लोगों से मिलने का अवसर रहता है। सभी की दुर्दम्य इच्छा होती है कि वे हिन्दू धर्म के लिए ‘कुछ’ करें-ऐसा कुछ जो धर्मश्रध्दा से जुड़ा हुआ हो, जो हिन्दू धर्म के लिए रचनात्मक हो।

वे क्या-क्या कर सकते हैं, यह चर्चा करने के पहले हम यह देखेंगे कि ये व्यावसायिक हमसे क्या-क्या प्रश्न करते हैं :-

-हिन्दुओं पर भारत में और अनेकानेक देशों में अन्याय हो रहा है, इसके लिए आप क्या कर रहे हैं ? हम क्या कर सकते हैं ?

-आत्महत्या करनेवाला, अपनी समृद्ध कृषि जमीन, आय0टी0 पार्क, चमचमाते मॉल्स, महाभयंकर प्रदूषण करनेवाले कारखाने इनके लिए गंवानेवाला किसान कभी मुसलमान, क्रिश्चियन नहीं होता; वह हमेशा हिन्दू ही होता है-हम उनके बचाव के लिए कुछ करें ?

-शहरों में कई हिन्दू बच्चे भूखे-प्यासे सड़कों पर भीख मांगते हैं, कुछ हताशा में चोरियां करते हैं, कुछ बाल मजदूरी करते हैं, विहिप उनके लिए कुछ जगहों पर चिकित्सीय सहायता, भोजन इत्यादि करती है; क्या हम भी कुछ करें?

-कई और ‘मजहब’ अत्याधुनिक तकनीक से सम्पूर्ण केन्द्र चलाते हैं, संगणकों में, वेबसाईट में, प्रचार-प्रसार में गतिशील अत्याधुनिक तंत्र का वे उपयोग करते हैं; क्या ऐसा करने में हम हिन्दू धर्म को आगे लाएं?

-हिन्दू परिवार हिन्दू धर्म-संस्कार देहातों में, गांवों में सहेजे हुए हैं; परन्तु शहरों में स्पध्र्दा, गतिमय जीवन के कारण माता-पिता चाहते हुए भी बच्चों को ये संस्कार, उनके लिए समय नहीं दे पाते; क्या हम सब मिलकर इसमें आगे आ सकते हैं?

ये कुछ उदाहरण हैं। ऐसे अनेकविध प्रश्न बुध्दिमान प्रोफेशनल्स/पेशेवर करते हैं। इनमें से कई उनसे बन पाएं। ऐसे हिन्दू धर्म कार्य अपने-अपने क्षेत्रों में करते भी रहते हैं। उन्हें हम क्या-क्या सुझाव देंगे? उन्हें हम किन बातों से अवगत कराएंगे? धर्मरक्षा का उत्तरदायित्तव अपने कंधों पर आनंद से, प्रतिबध्दता से लेकर चलनेवाले लक्ष-लक्ष कार्यकर्ताओं का सहयोग करने हेतु तैयार इन आधुनिक, युवा और अनुभवी वृद्ध दोनों, बुद्धिमान पेशेवरों के लिए कतिपय सुझाव प्रस्तुत हैं :-

-हिन्दू धर्म अति प्राचीन धर्म होने के नाते सम्पूर्ण विश्व में फैला था। आज भी भारत के अलावा कई देशों में हिन्दू धर्म, पूजा पद्धति आदि के चित्र दिखते हैं। ऐसी परम्पराओं को समझें और उनका अध्ययन, प्रसार में लगी संस्थाओं तथा लोगों का आर्थिक, सामाजिक व तकनीकी सहयोग करें।

-भारत में कई पारम्परिक हिन्दू व्यवसाय आज मुसलमान उदरस्थ कर चुके हैं। हमारी आराध्य देवियों के मंदिरों में चढ़नेवाली चुनरियां, सजनेवाला सिन्दूर, गुजरात में उत्तरायण त्यौहार में उड़नेवाले पतंग, दक्षिण के और कुछ और स्थानों के मंदिरों में आरती में जलनेवाला कपूर, ब्रेड-केक बनानेवाली बेकरियां, फल-फूल आदि का थोक और खुदरा व्यापार, सुगंधी द्रव्य और इत्र का उत्पादन, सेब-केसर-ऑलिव्ह आदि विशेष व्यंजन, ऐसे अन्य कई व्यवसाय हैं जो कभी हिन्दुओं के भूषण होते थे। आज ये व्यवसाय और विविध राज्यों में, जिलों में प्रचलित अन्य कई व्यवसाय मुसलमानों की ‘मोनॉपली’-एकाधिकार हो बैठे हैं। पेशेवर हिन्दू इन व्यवसायों को अपनाकर न केवल मुसलमानों का फैलता हुआ जहरी जेहादी अर्थजाल समाप्त कर सकते हैं, अपितु कई हिन्दू बेरोजगार युवकों को रोजगार के अवसर भी प्रदान कर सकते हैं।

-भारत में अद्यावधि 4000 गौशालाएं हैं। जिनमें गायों को प्रेम से सम्हाला जाता है। इनमें से 200 गौशालाएं गायों के गोमूत्र, गोमय, दही, दूध, घृत आदि से उपयुक्त, नैसर्गिक उत्पाद बनाती हैं, जो किसी भी बड़ी कंपनी के उत्पादों से गुणवत्ता में बढ़कर हैं। हिन्दू धर्म के लिए ‘कुछ’ करने की चाह रखनेवाले इन उत्पादों के प्रोफेशनल पैकेजिंग, मार्केटिंग, डिस्ट्रीब्यूशन (मैं समझकर अंग्रेजी शब्द उपयोग कर रहा हूं ताकि इन व्यावसायियों के समझ में अर्थ आएं) में सहयोग कर सकते हैं, अपने दुकानों में इन्हें ‘डिस्प्ले’ भी कर सकते हैं।

-आसेतु भारत में हिन्दू द्रोहियों और ‘सेक्युलर’ का मुखौटा लगाने/दिखानेवाले कई राजनैतिक पक्षों ने जान-बूझकर हिन्दुओं पर, हिन्दू नेताओं पर झूठी कोर्ट केसेस डाली हुई है। बुध्दिमान वकील इन्हें जीतने में हिन्दू धर्म का सहयोग कर सकते हैं और जिन पर ऐसी केसेस हैं उनके परिवार चलाने में, उनके बच्चों की शिक्षा-विवाह आदि में शेष पेशेवर आगे आ सकते हैं।

-‘हिन्दू हेल्प लाईन’ जैसा प्रकल्प संकटग्रस्त या प्रवास में मदद चाहनेवाला ऐसे हिन्दुओं के लिए 24 घण्टे की सहयोग देने जा रहा है। इनके लिए कॉल सेण्टर से लेकर संगणक तक कई आवश्यकताएं होती हैं। इनमें सहयोग यह हिन्दू धर्म की बड़ी सेवा हो सकती है। हिन्दू हेल्प लाईन के सहयोगी डॉक्टर, वकील, टूरिस्ट गाड़ियाँ चलानेवाले, पंडित-अर्चक-पुलिस आदियों की सूची में अपना नाम जोड़कर भी कई प्रोफेशनल्स हिन्दुओं की सीधी सेवा का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं।

-आज की महाभयंकर कमरतोड़ महंगाई में केवल गरीबी रेखा के नीचे रहनेवाले हिन्दू ही नहीं, कष्ट करके अपने परिवार का स्वावलम्बन से पेट भरनेवाले भी अपने बच्चों को एक ग्लास पूर्ण दूध नहीं दे पा रहे हैं। ऐसे परिवारों का सम्मान रखकर उनके घरों में जाकर उन्हें कुछ हद तक धान्य (अनाज) का सहयोग करने हेतु ‘एक मुट्ठी अनाज’ जैसा प्रकल्प चल रहा है। अन्नदान सबसे बड़ा पुण्य है और धर्म की बड़ी सेवा है। अनाज उगाने वाले, क्रय-विक्रय करने वाले और अन्य भी इसमें सहयोग दे सकते हैं।

उत्तरदायित्तव समझकर आगे आयेंगे ‘तभी’ तो हिन्दूराष्ट्र बनने में, बढ़ने में क्या कुछ कमी रहेगी? इसलिए सभी को यह समझ लेना चाहिए कि जिहादियों का विषजाल फैल रहा है, हिन्दू धर्म और हिन्दुओं की धर्मरक्षा करने का उत्तरदायित्व सभी हिन्दुओं का है, न कि केवल पंजीकृत हिन्दू संगठनों का !

चलो, सब हिन्दू मिलकर हिन्दू धर्मरक्षा के लिए तन-मन-धन समर्पित करने का संकल्प करें!

(चित्र परिचय – कैंसर सर्जन डॉ0 तोगड़िया ‘एक मुट्ठी अनाज’ का थैला सम्मान से जरूरतमंदों को प्रदान करते हुए।)

6 COMMENTS

  1. हिन्दुवों की सबसे बड़ी कमजोरी यह है की वे अपनी महान सांस्कृतिक गौरव का ज्ञान जन-जन तक पहुचने में असफल रहा है / मैंने अपने कई अछे पढ़े-लिखे लोगो को भी अपनी महान गौरव-गाथा से अपरिचित पाया है / तभी तो वे उस पीर-मजार पर चक्कर काटते रहते है जिस पीर-फकीरों के कहने पर इस्लाम शासको ने हजारो-लाखो मंदिरों को ध्वस्त करवा दिया था / एक ईसाई हिन्दू मंदिर का प्रसाद नहीं ग्रहण करेगा लेकिन हिन्दू उस चर्च का चक्कर जरूर लगाएगा जहाँ मिशनरी वाले नफरत का शिछा बांटते है /

  2. आपने वयव्हारिक और दरतल वाली बात कही है
    मई आपके सुझाव के हिसाब से कर रहा हूँ और आब मुझे तसल्ली है
    भारत माता की जय

  3. पंकज जी (झा) मेरी दृष्टिसे आपके प्रश्नका उत्तर है: कि जो भारतको पुण्यभूमि, मातृभूमि, पितृभूमि, धर्मभूमि, या कर्मभूमि के रूपमे श्रद्धासे देखता है, वह हिंदू है। जो कर्तव्य की, और सेवाकी दृष्टिसे भारतको माता मानता है, वह हिंदू है। जो कर्तव्योंके प्रति उदासिन और केवल अधिकारोंको (हक) छीननेके लिए हि उद्यत है, उसे हिंदू मानना गलत है। नागरिकत्वके हक तो चाहिए, पर कर्तव्योंके प्रति उदासीन हो, ऐसे व्यक्तिको, मेरी दृष्टिमे हिंदू मानना गलत है। राष्ट्रवादी(संदर्भ मोहनजी भागवत का मुंबईका भाषण) भी हिंदुत्वसे जुडने/जोडनेके के लिए, एक सही विधा सुझाते हैं। और वह है, कि हम सभी हिंदुओंकेहि वंशज है। यह जुडना हृदयसे, भावसे, श्रद्धासे, निष्ठासे हि होना चाहिए। संघ तो कभीसे हिंदू की व्याख्या कुछ निम्न प्रकारसे करता आया है।हिंदू वह है, जो भारतको अपनी मातृभूमि, पुण्य भूमि, —इत्यादि रूपमे देखता है। लेकिन मेरी सीमित जानकारी मे, यह तभी संभव है, जब हिंदू बलशाली होगा। और वह बलशाली तब होगा, जब वह संगठित होगा। अतिथिको भी स्वामीत्वका अधिकार तभी प्राप्त होगा, जब वह घरको अपना माने, और सारी समस्याओंको भी अपनी समझकर सुलझानेमें सहायक हो।

  4. धन्य्वाद प्रवीण जी ………………सबसे पहले तो मै अपनी अल्प बुद्धि से हिंदुत्व को समझने का प्रयास कर रहा हूँ ………
    वैसे तो खुद को पढ़े लिखे एवं धर्मनिरपेक्ष साबित करने के लिए तमाम शहरी लोग “हिंदुत्व” को महज़ राजनीतिक एवं साम्प्रादायिक मुद्दा बता कर कन्ने काट लेते हैं ……………मुझे उन पढ़े लिखे लोगों से कोई आपत्ति नहीं क्योंकि शायद उनके सोचने का स्तर इतना उंचा हो गया हो की “हिंदुत्व” के मायने उनके लिए मायने नहीं रखते हों ….मै स्वयं की बात करूँ तो कभी किसी हिन्दू सम्मलेन में भाग नहीं लिया हूँ , कभी किसी हिन्दू मुद्दे पर बात नहीं किया हूँ परन्तु मै भी हिंदुत्व की बात करना चाहता हूँ क्योंकि मेरे लिए हिंदुत्व कोई मुद्दा नहीं , कोई संकट ग्रस्त विषय नहीं ,कोई अलग धारा नहीं वरन मेरी आस्था है ! जी हाँ हिंदुत्व मेरी आस्था है ! मेरे अंतर मन में यह गूंज शायद उस गूंज से भी बड़ी है जो आज के दौर में मंचों एवं अभिव्यक्तियों से निकलती है ! शायद ऐसा लिए भी है क्योंकि मुझे बोलने का कोई बड़ा मंच न मिला हो या मिला भी तो वो मंच हिंदुत्व के लिए नहीं बना हो ! इन सारे चीज़ों के बावजूद एक आस्था बसती है मेरे मन में वह है हिंदुत्व की आस्था ! अपनी आस्था को संभालना एवं संजोना उतना बड़ा कर्तव्य है जितना बड़ा राष्ट्र के लिए कुछ करना ! हिंदुत्व के बारे में फ़िज़ूल बातें शायद वही लोग करतें है जो या तो खुद समाज के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर पाते हैं या किसी अन्य अभिधारणा से प्रभावित होतें हैं ! “हिंदुत्व ” मेरे लिए धर्म नहीं है बल्कि यह मेरे लिए धरोहर है , यह मेरे लिए परम्परा नहीं संस्कार है , यह कोई पूजा नहीं जीवन जीने की पद्धति है ! अगर इन सारे चीज़ों के पीछे कोई स्वार्थ न हो तो धर्म भी है “हिंदुत्व”! मै हिन्दू हूँ इसलिए मै हिंदुत्व को नहीं मानता बल्कि हिंदुत्व मुझमे बसता है इसलिए मै हिन्दू हूँ ! मेरे मत में “हिंदुत्व” हिन्दू से ऊपर है , हिन्दू तो सिर्फ हिन्दू के घर में जन्म लेने मात्र से कोई हो सकता है परन्तु हिंदुत्व तो आस्था की विषय वास्तु है !

  5. अभी तक हमने तो यही पढ़ा है कि मुसलमान को भी हिंदू मानते हैं राष्ट्रवादी. उनका यह विचार है कि हिन्दुस्थान में रहने वाले सभी “हिंदू” हैं. फिर यह विभेद क्यू? अभी तक तो सबलोग इस बात का उदाहरण देते रहे हैं कि कई पूजा सामग्रियों के उत्पादन में मुस्लिम मतावलंबी लगे हुए हैं और इसको सद्भाव के तौर पर ही देखा जाता रहा है..फिर ऐसे किसी आह्वान का क्या मतलब कि अमुक व्यवसाय मुस्लिमों ने हड़प लिया है वो उनसे छीन लिया जाय?

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