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ढ़ूँढ़ने में लगाया हर कोई ! - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
ढ़ूँढ़ने में लगाया हर कोई, बना ऋषि घुमाया है हर कोई; ख़ुद छिपा झाँकता हृदय हर ही, कराता खोज स्वयं अपनी ही ! पूर्ण है पूर्ण से प्रकट होता, चूर्ण में भी तो पूर्ण ही होता; घूर्ण भी पूर्ण में मिला देता, रहस्य सृष्टि का समझ आता ! कभी मन…