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उभरेगा कवि सम्मेलनों का डिजिटल स्वरूप - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
डॉ. अर्पण जैन 'अविचल'संसार का सार्वभौमिक नियम है परिवर्तन और इसी परिवर्तन के कारण ही संसार संचालित भी है।दशकों पहले जब मनोरंजन के संसाधन सीमित थे तब न तो टेलीविज़न था न ही अन्य कोई संसाधन, तब नुक्कड़ नाटकों, मैदानों में होने वाली रामलीला, मेले, हास्य मंच व कवि सम्मेलनों…