दिग्विजय सिंह : आतंकियों के स्‍लीपिंग मॉड्यूल्‍स

मृत्‍युंजय दीक्षित

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर अपने निहित स्वार्थों के चलते अपने ताजा बयान से राजनैतिक पारा चढ़ा दिया है। दिग्विजय सिंह ने कहा है कि मुंबई में 26/11 के हमले में शहीद पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे को हिंदू आतंकवादी संगठनों से खतरा था। उनका यह बयान राष्ट्रविरोधी कार्य है। उनके इस बयान से देश आतंकवाद के विरूध्द जो संघर्ष कर रहा है उस पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। लगता है कि दिग्विजय सिंह ने यह बयान जनता का घोटालों से ध्यान हटाने व मुस्लिम समाज में हीरो बनने की दृष्टि से दिया है। दिग्विजय सिंह पूर्व में भी हिंदू संगठनों पर अनर्गल आरोप लगाते रहे हैं। दिग्विजय सिंह ने करकरे पर जो बयान दिया है उसके कारण भारत सरकार पूरे विश्व के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ जो लडाई लड़ रही है वह भी दांव पर लग गयी है। दिग्विजय सिंह हिंदू संगठनों पर झूठे आरोप तो लगा ही रहे हैं,उसके साथ ही साथ आतंकवादियों के संरक्षणदाता बनकर भी उभर रहे हैं। उनके बयानों से शहीद परिजनों को गहरा आधात लगा है । मुम्बई में 26/11 हमलों के बाद तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल को अपनी गद्दी से हटना पड़ गया था ।तब महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ नेता अंतुले ने भी अपने बयानों से केंद्र सरकार को शर्मिंदा किया था तथा कांग्रेस को अंतुले से भी किनारा करना पड़ा था।

दिग्विजय सिंह के नापाक बयान के बाद शहीद हेमंत करकरे की पत्नी कविता करकरे का बयान कही अधिक स्वागत योग्य है। जिसमें उन्होंने दिग्विजयसिंह के बयानों को खारिज करते हुए कहा है कि, राजनैतिक लाभ के लिए मेरे पति की शहादत का मजाक उड़ाने की राजनीति बंद होनी चाहिए। मुम्बई में 26/11 के आतंकी हमलो के पीछे हिंदू संगठनों का हाथ बताना गलत है ऐसे बयान लोगों को भ्रमित करते हैं और इनसे पाकिस्तान को फायदा पहुँचता है।

दिग्विजय सिंह ने अपने तथाकथित बयान से देश समाज व न्याय व्यवस्था तथा स्वयं कांग्रेस पार्टी व अपना कितना नुकसान किया है इसका उन्हें स्वयं अनुमान नहीं है । दिग्विजय सिंह के बयान का असर क्या कसाब के मुकदमें पर नहीं पड़ेगा?एक तो पाकिस्तान आतंक के खिलाफ लड़ाई में भारत का सहयोग वैसे भी नहीं कर रहा है क्या वह ऐसे बयानों के बाद भारत की बात मानेगा। दिग्विजय सिंह के बयानों से तो लगता है कि वह जेलों में बंद आतंकवादियों के पैरोकार बन गये हैं?अभी कुछ समय पूर्व आतंकवाद पर एक फिल्म देखी थी जिसमें गिरफ्तार आतंकवादी पुलिस अधिकारी से कहता है कि भारत में व तुम्हारी सरकार में हमारे कई साथी हैं जिनके चलते मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता ।आज दिग्विजयसिंह उन आतंकियों के ऐसे ही सरगना बन बैठे हैं?

एक ओर तो भारत आतंकवाद के विरूध्द लड़ाई अपने बलबूते लड़ नहीं पा रहा है। निहित राजनैतिक स्वार्थों के चलते जब से मनमोहन सिंह भारत के प्रधानमंत्री तथा संप्रग अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी के नेतृत्व में यह सरकार बनी है तब से एक भी आतंकवादी को विधिवत सजा नहीं मिली है। यही नहीं बड़ी आतंकी वारदातों में बंद कुछ आतंकी जिन पर सर्वोच्च अदालत तक अपना निर्णय सुना चुकी है उन्हें भी जेलों में सरकारी दामाद बनाकर रखा जा रहा है। संसद भवन पर हमले के आरोपी अफजल गुरू इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण है।

आज कांग्रेस व तथाकथित सेक्यूलर नेता वोट व नोट की खातिर कुछ भी करने को तैयार हैं। अभी आदर्श सोसाइटी घोटाले में करगिल के शहीदों के लिए बने फ्लैटों पर धोखाधड़ी से कब्जा कर देश के शहीदों का अपमान किया गया वहीं अब दिग्विजय सिंह ने तो पूरी कहानी ही बदलने की साजिश रच डाली है।आज घोटालों ,भ्रष्टाचार व विभिन्न अनियमितताओं में संलिप्त केंद्र सरकार अपने नकारा मंत्रियों व सांसदों के कारण कांग्रेस पार्टी आज पूरी तरह से दबाव में आ गयी है। दिग्विजय सिंह ने सोचा था कि वह इस प्रकार के बयान देकर कांग्रेस में नम्बर-1 तथा देश के हीरो बन जाएंगे लेकिन हुआ इसका ठीक उल्टा। उन्होनें ने अपने बयानों से देश के वीर जवानों की आत्मा को झकझोरा है। उन्होंने शहीद जवानों की आत्मा को शर्मसार किया है। यह देश शहीदों को मोमबत्ती जलाकर श्रध्दांजलि अर्पित करता है क्या यही है शहीदों को सच्ची श्रध्दांजलि?आखिर कब तक देश का जवान शहीद होता रहेगा?आखिर कब तक देश के सेक्यूलर नेता उनकी शहादत का अपमान व उपहास उड़ाते रहेंगे?

आखिर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आत्मा कब जागेगी?कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी ने भी तो अपना पति को आतंकवादी घटना में खोया है।

भारत की हजारों बेटियां आतंकी घटनाओं में विधवा और अनाथ हुई हैं दिग्विजय सिंह ने अपने तथाकथित बयान से उन सभी को आहत किया है। श्रीमती सोनिया गांधी आखिर कब अपनी विराट मुद्रा में आएंगी और ऐसे तथाकथित रूप से पूरी तरह से अप्रांसगिक हो चुके दिग्विजय सिंह को कूड़े के ढेर में फेकेंगी। यदि समय रहते उन्होंने दिग्विजयसिंह को कूड़े के ढेर में नहीं फेंका तो यह व्यक्ति कांग्रेस तो कांग्रेस पूरे देश की साख व सुरक्षा तथा सम्मान को ही समाप्त कर देगा। अभी बिहार के चुनावों में कांग्रेस पार्टी अपना ऐतिहासिक पराभव देख चुकी है। लेकिन फिर भी दिग्विजय सिंह नहीं सुधरे हैं।

प्रायः जब कोई बड़ी आतंकी वारदात होती है तो उसकी जांच के दौरान एक शब्द सामने आता है और वह है आतंकियों के स्लीपिंग मॉडयूल्स। भारत में दिग्विजयसिंह जैसे नेता ही आतंकियों के स्लीपिंग मॉडयूल्स हैं। इस प्रकार के नेता अपने निहित बयानों से जांच की दिशा व दशा को मनोवैज्ञानिक ढंग से प्रभावित करने का कुत्सित प्रयास करते हैं। दिग्विजय राष्ट्रीय स्तर पर आतंकियों के स्लीपिंग मॉडयूल्स या फिर उनके तथाकथित पैरोकार बनकर उभर रहे हैं।

आज आवश्यकता इस बात की है कि यदि कांग्रेस को लम्बे समय तक जनता के दिलों में राज करना है तो उसे निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर देश की सुरक्षा को ध्यान में रखकर कड़े कदम उठाने होंगे। यदि कांग्रेस वास्तविक लड़ाई आतंक के खिलाफ लड़ेगी तो न तो मुस्लिम समाज नाराज होगा और नही देश का बहुसंख्यक समाज।

लेकिन आज कांग्रेस में स्वार्थी तत्वों व जहरीले सांपों का जमावड़ा हो गया है जो कांग्रेस को बर्बाद कर रहे हैं। दिग्विजय सिंह जैेसे नेता जहरीले सांप ही हैं जो कि कांग्रेस को गर्त में धकेल रहे हैं। यदि कांग्रेस ने अपने कलेजे में पल रहे दिग्विजय रूपी जहरीेले सर्प को नहीं निकाला तो यह यह सर्प अपनी कारगुजारियों से पूरी पार्टी को ही डस लेगा और युवराज राहुल गांधी का प्रधानमंत्री बनने का सपना कभी पूरा नहीं हो सकेगा।

आखिर कांग्रेस ने एक विषधारी सर्प पाला है तो उसके विष को पीने या फिर निकालने का साहस भी उसे ही दिखाना होगा। अब देश की जनता सच्चाई जानना चाहती है। अतः दिग्विजय सिंह के बयानों की विधिवत जांच करायी जाये ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। यह कितने शर्म की बात है कि पूरे देश में निंदा होने के बाद भी दिग्विजय सिंह अपने बयानों पर कायम है और पूरी सरकार व कांग्रेस चुप्पी साधकर बैठ गई हैं। इससे यह भी पता चलता है कि कहीं न कहीं दिग्विजय की गतिविधियों को दस जनपथ का मौन संरक्षण प्राप्त है?कांग्रेस दिग्विजय के पापों से बच नहीं सकती नहीं तो बिहार की कहानी आगे भी दोहरायी जा सकती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here