परिचर्चा: काला धन

भ्रष्टाचार देश की जड़ों को खोखला कर रहा है। भ्रष्टाचार के अनेक रूप हैं लेकिन काला धन इसका सबसे भयावह चेहरा है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती है। एक अंतरराष्ट्रीय संस्था ‘ग्लोबल फाइनेंशियल इंटेग्रिटी’ के अनुसार भारत के लोगों का लगभग 20 लाख 85 हजार करोड़ रूपए विदेशी बैंकों में जमा है। देश में काले धन की समानांतर व्यवस्था चल रही है। चूंकि इस धन पर टैक्स प्राप्त नहीं होता है इसलिए सरकार अप्रत्यक्ष कर में बढ़ोतरी करती है, जिसके चलते नागरिकों पर महंगाई समेत तमाम तरह के बोझ पड़ते हैं।

अपनी कमाई के बारे में वास्तविक विवरण न देकर तथा कर की चोरी कर जो धन अर्जित किया जाता है, वह काला धन कहा जाता है। विदेशी बैंकों में यह धन जमा करने वाले लोगों में देश के बड़े-बड़े नेता, प्रशासनिक अधिकारी और उद्योगपति शामिल हैं। विदेशी बैंकों में भारत का कितना काला धन जमा है, इस बात के अभी तक कोई अधिकारिक आंकड़े सरकार के पास मौजूद नहीं हैं लेकिन स्विटजरलैंड के स्विस बैंक में खाता खोलने के लिए न्यूनतम जमा राशि 50 करोड़ रुपये बताई जाती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि जमाधन की राशि कितनी विशाल होगी। स्विस राजदूत ने माना है कि भारत से काफी पैसा स्विस बैंकों में आ रहा है। कुछ महीनों पहले स्विस बैंक एसोसिएशन ने भी यह कहा था कि गोपनीय खातों में भारत के लोगों की 1,456 अरब डॉलर की राशि जमा है।

पिछले दिनों विदेशों में जमा काले धन का मुद्दा और गर्मा गया जब स्विस बैंकर और ह्निसल्ब्लोअर रुडोल्फ एल्मर ने स्विस कानूनों को तोड़ते हुए स्विटजरलैंड की बैंकों में खुले 2000 खातों की जानकारी की सीडी विकीलीक्स के संस्थापक जूलियन असांजे को दे दी। इस सीडी में स्विटजरलैंड की बैंकों में खाता रखने वाले अमेरिकाए ब्रिटेन और एशिया के नेताओं और उद्योगपतियों के नाम हैं।

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा ने विदेशों में जमा काले धन के मामले को जोरशोर से उठाया था और इसे चुनावी मुद्दा बनाया था। उस दौरान प्रधानमंत्री ने भी इसका समर्थन करते हुए प्रचार अभियान में वादा किया था कि सत्ता में आने के 100 दिनों के भीतर वे इस दिशा में ठोस कार्रवाई करेंगे लेकिन वह अपने वायदों से दूर भाग रहे हैं।

स्विस बैंक खातों की खास बात

स्विटजरलैंड में बैंकों के खातों संबंधी कानून बेहद कड़े हैं और लोगों को पूरी गोपनीयता दी जाती है। इन कानूनों के तहत बैंक और बैंककर्मी किसी भी खातें की जानकारी खाताधारक के सिवा किसी और को नहीं दे सकते। यहां तक की स्विटजरलैंड की सरकार भी इन खातों की जानकारी हासिल नहीं कर सकती। यही नहीं स्विस बैंकों में विदेशी लोगों के लिए खाता खोलना भी बेहद आसान है। खाता खोलने की एकमात्र जरूरत सिर्फ यह है कि आपकी उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। यही नहीं खाता खोलने के लिए स्विटजरलैंड पहुंचने की भी कोई जरूरत नहीं है ईमेल और फैक्स पर जानकारी देकर भी खाता खुलवाया जा सकता है।

काला धन राष्ट्रीय संपति की चोरी : सर्वोच्च न्यायालय

पिछले दिनों सर्वोच्च न्यायालय ने विदेशी बैंकों में जमा काले धन पर चिंता जताई। न्यायालय के कड़े रुख से सरकार पर दबाव बढ़ गया है। प्रख्यात वकील श्री राम जेठमालानी द्वारा दायर एक याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि विदेशों में जमा काला धन केवल टैक्स की चोरी मात्र नही है, यह गंभीर अपराध, चोरी और देश की लूट का मामला है। न्यायमूर्ति बी सुदर्शन रेड्डी और न्यायमूर्ति एसएस निज्जर वाली पीठ ने यह कड़ी टिप्पणी की।

काले धन से देश की सुरक्षा को खतरा

काले धन का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने में किया जा रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भी इस ओर इशारा किया है कि विदेशों में जमा काला धन ही आतंकियों को वित्तीय मदद के रूप में भारत में आता है।

प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह और राहुल गांधी का गैरजिम्मेदाराना बयान

काले धन पर यूपीए सरकार के ढुलमुल रवैये से यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार भ्रष्टाचारियों के साथ है। प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 30 जुलाई 2009 को राज्यसभा में बताया था कि विदेशी बैंकों से काले धन को वापस देश में लाने के लिए सरकार कदम उठा चुकी है। प्रधानमंत्री की यह टिप्पणी सदन में वित्त विधेयक पर वित्त मंत्री के बयान पर खुद दी गई थी। प्रधानमंत्री ने देश को आश्वस्त किया था कि स्विस बैंकों में जमा एक लाख करोड़ रुपये के भारतीय काले धन को सत्ता संभालने के 100 दिन में वापस देश में ले आएंगे।

वहीं दूसरी ओर, विदेशी बैंकों में जमा काले धन के बारे में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कड़ा रुख अपनाए जाने पर प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि काले धन को तुरंत वापस लाना आसान नहीं है और इस संबंध में मिली जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद राष्ट्रपति भवन में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने काले धन के बारे में क्या टिप्पणी की है। इसकी उन्हें जानकारी नहीं है, लेकिन काले धन की समस्या का कोई तुरंत हल नहीं है। इस संबंध में विभिन्न देशों से जो जानकारी मिली है उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय संधि के विपरीत होगा। उन्होंने कहा कि सरकार को मिली जानकारी का इस्तेमाल सिर्फ कर वसूली के लिए है। अन्य कार्यों के लिए इसका उपयोग नहीं हो सकता।

जहां प्रधानमंत्री विदेशी बैंकों में भारतीय खाताधारकों के नाम बताने से इनकार कर रहे हैं वहीं कांग्रेस महासचिव श्री राहुल गांधी कह रहे हैं कि काला धन रखने वालों पर मामला दर्ज होना चाहिए। यह बयान केवल एक मजाक है। क्योंकि उन्हें बयान जारी करने की बजाए ठोस पहल प्रारंभ करनी चाहिए।

विदित हो कि भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र ने संकल्प पारित किया है। जिसका उद्देश्य है, गैरकानूनी तरीके से विदेशों में जमा धन वापस लिया जा सके। इस संकल्प पर भारत सहित 140 देशों ने हस्ताक्षर किए और 126 देशों ने इसे लागू कर काले धन की वापसी की कार्रवाई भी शुरू कर दी है।

अभी तक विदेशी बैंकों में जमा काले धन को भारत वापस लाने के लिए हमारे पास ठोस कानून नहीं है। इसलिए इस दिशा में ठोस कानून बनाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही काले धन के मुद्दे पर राष्ट्रीय आम सहमति बनाने का प्रयास हो तथा विदेशों में भारतीय नागरिकों द्वारा जमा किए गए काले धन को वापस लाने के लिए सरकार प्रबल इच्छाशक्ति का परिचय दे।

काले धन की वापसी से भारत की अर्थव्यवस्था का कायापलट हो सकता है। अगर ये काला धन देश की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ दिया जाए तो स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी, बिजली आदि बुनियादी आवश्यकताओं को सहज ही पूरा किया जा सकता है।

34 COMMENTS

  1. माननीय अरुण जेटली जी , आज काले धन के सम्बंद्ध में आपकी फेसबुक पोस्ट पढ़ी साथ ही दैनिक जागरण में इसी विषय पर आपका आलेख भी पढ़ा ,हमारी सरकार घरेलू काला धन को लेकर गंभीर है यह जानकर ख़ुशी हुई। यह बात सही है कि अधिकांश कालाधन अब भी भारत में ही जमा है। इसलिए हमें राष्‍ट्रीय दृष्टिकोण में बदलाव की जरूरत है ताकि प्‍लास्टिक करंसी को अधिकाधिक बढ़ावा दिया जाए तथा नकदी से लेन देन को कम किया जाए. देश में बहुत सारा काला धन खाली प्लॉटों के रूप में मौजूद है , यह खाली प्लॉट देश के विकास में भी रूकावट बने हुए हैं। इन्ही के कारण प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का स्वच्छ भारत अभियान भी कामयाब नहीं हो पा रहा है। क्योंकि इन खाली प्लॉटों में आम पब्लिक तो गन्दगी फेंकती ही है। नगर कौन्सिलों और निगम के कर्मचारी भी इन्हे गंदगी के डम्प बना देते हैं , क्योंकि इनमे से ज्यादातर खाली प्लाटों में काला धन लगा हुआ है। इसलिए यह प्लॉट जल्दी से बिकते भी नहीं हैं क्योंकि इन्हे बेचने वाले अपने काले धन को सफेद बनाना चाहते हैं। जबकि खरीदने वाले के पास इतना अधिक सफेद धन नहीं होता। बहुत से खाली प्लाट तो विकसित कॉलोनिओं में मौजूद हैं नगर कौंसिलों और निगमों को विकास करते समय इन प्लाटों के आसपास भी विकास करवाना पड़ता है जबकि इन खाली प्लाटों से स्थानीय निकाय विभाग को एक रूपए की भी आमदनी नहीं होती ,जब कभी समय समय पर इन प्लाटों में से कुछ पर निर्माण होता है तो इन प्लाटों पर बनने वाली बिल्डिंग को सीवरेज, पानी आदि के कनेक्शन देने के लिए आसपास तोड़फोड़ करनी पड़ती है जिससे नई बनी सड़कों की उम्र भी कम हो जाती है ,जिस कारण स्थानीय निकाय विभाग पर बोझ भी बढ़ता जाता है। काला धन लगा होने के कारण महंगे हो चुके यह प्लाट मध्यमवर्गीय और आम लोगों की पहुँच से दूर हो जाते हैं जबकि इन लोगों को अपने रहने के लिए प्लाटों की जरूरत होती है। नतीजे के तौर पर इन लोगों के लिए नई कॉलोनियां बन जाती है. जिससे भी नगर कौंसिलों और निगमों पर आर्थिक बोझ बढ़ता जाता है. यह खाली प्लाट देश के विकास में रुकावट बने हुए हैं ,देश का ज्यादातर काला धन भी इन प्लाटों पर ही लगा हुआ है इनके होते स्वच्छ भारत अभियान कभी भी सफल नहीं हो पायेगा। सो काला धन खत्म करने के लिए इन खाली प्लाटों को जांच के दायरे में लाना चाहिए ,साथ ही देश में जो प्रॉपर्टी का नाजायज कारोबार हो रहा है ,हर ऐरा गैरा नत्थू खैरा प्रॉपर्टी डीलर बना बैठा है इस पर भी पाबन्दी लगनी चाहिए। बिना जरूरत खाली प्लॉट रखने वालों पर भी पाबन्दी लगनी चाहिए। रिहायशी या कमर्शियल प्लॉट खरीदने वालों के लिए एक निश्चित समय में में बिल्डिंग बनाना जरूरी होना चाहिए

    • दीपक कुमार जी मैं प्रवक्ता.कॉम पर अपनी कोई पुरानी टिप्पणी ढूँढ़ते इस पन्ने पर पहुँच आपके प्रशंसनीय विचार पढ़ रहा हूँ| देश-विदेश का भ्रमण करते आज अधेड़ आयु में जीवन की पाठशाला से प्राप्त विविध व्यक्तिगत अनुभव और पर्यवेक्षकण के पृष्ठपट पर आपके उन्नतिशील विचारों को पढ़ मेरा आपसे निवेदन है कि आप अलग से इस विषय पर लिखें| आज आए दिन मोदी-शासन विरोधी तत्वों द्वारा भारतीयों में शंका संशय भय अथवा व्यर्थ का वाद विवाद उत्पन्न कर रहे मीडिया में धूर्त एवं नकारात्मक लेखों का न केवल विरोध बल्कि सामान्य नागरिकों में जागरूकता फैलाने हेतु सकारात्मक एवं प्रगतिशील रचनाओं द्वारा राष्ट्र-विरोधी तत्वों के क्रूर प्रयास को विफल करना होगा| अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ अथवा साहित्य से जुड़े कल और आज के तथाकथित स्वार्थपरायण साहित्यकारों और समाज के ठेकेदारों ने कांग्रेस-रूपी वाहन को भारतीय जनसमूह की भीड़ से बचते बचाते केवल आगे धकेला है| भारतीय जनसमूह के जीवन को सुखमयी अथवा देश को सुदृढ़ व समृद्ध बनाने में उन्होंने कोई योगदान नहीं दिया अन्यथा आज भ्रष्टाचार और अनैतिकता के बीच एक नहीं, हज़ार नहीं, लाखों नहीं, देश की कुल जनसंख्या का दो-तिहाई गरीब और असहाय जनसमूह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (२०१३) के अंतर्गत निर्वाह करने को बाध्य न होता| भीड़ में सामान्य भारतीय आज भी परंपरागत व्यक्तिवाद के कारण अस्तित्वहीन अकेला ही है| श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में उन्हें संगठित कर भारत का पुनर्निर्माण करना होगा|

  2. काले धन जब सफेद बनेगा तभी तो कर के दायरे में आएगा. यह काले और सफेद के लेबल ने भारत के अर्थतंत्र को तबाह कर के रख दिया. अब कोई समानन्तर अर्थ तंत्र नहीं चलेगा. एक देश, एक अर्थतंत्र. नागरिक का शरीर और धन दोनों राज्य का है. वह राज्य के काम आवे.

  3. धन देश का होता है, लेकिन उसका रक्षक नागरिक होता है. वह धन चाहे गोरा हो या काला; वह भारत का धन है. भारत का धन भारत की समृद्धि के लिए उपयोगी बने यह हमारा ध्येय होना चाहिए. अगर काला धन भारत में है और किसी तरह अर्थतन्त्र के चक्र के अंदर है तो वह कम घातक है. अगर धन देश के बाहर है तो वह खराब है, घातक है. भारतीय धन जो देश के बाहर है उसे भारत लाने की व्यवस्था की जानी चाहिए. विदेशी ताकते ऐसा नहीं होने देना चाहती है, अतः उनसे सहयोग अपेक्षित नहीं है. देश ने कानून बना कर देख लिया लेकिन धन वापस नहीं आया. देश के मुखिया देश की सरकार को युक्तिपूर्वक काम करना चाहिए जिससे देश का वह धन जो देश के बाहर है वह भारतीय अर्थतंत्र का हिस्सा बने.

  4. काला धन एक दिन में नहीं आता ,पता नहीं कितने सालो से इन लोगो का धंदा चल रहा हे ,कारन आम आदमी के पास तो इतना धन हे नहीं की विदेशो में जमा करे ,रोजी रोटी का जुगाड़ हो जाये वो ही बहुत हे ,तो काला धन इन नेताओ , मंत्रियो ,बड़े बड़े अफसर और पूंजी पतिओ का हे ,इसमें सत्ता और बिपक्ष दोनों के नेता शामिल हे ,अब रोने से क्या फायदा ,अंत और पन्त नेता ही मरे जायेंगे इस काले धन के चक्कर में

  5. ********************************************OMSAIOM*************************************************
    sarkaari व्यापार bhrashtaachaar
    भारत वर्ष में नेता मतलब चोर,बेईमान और भ्रष्ट
    आम आदमी को लड़नी होगी भ्रष्टाचार से सीधी लड़ाई
    भ्रष्टाचार की सीधी लड़ाई आम आदमी को लड़नी होगी और इस सीधी लड़ाई में लाखो भारतीयों का कलेजा सरदार पटेल,भगतसिंह,सुखदेव,चंद्रशेखर आजाद,सुभाष चन्द्र बोस आदि…….जैसा चाहिए ,किन्तु आज जब भ्रष्ट भारत सरकार और राज्य सरकारों की महा भ्रष्ट पुलिस के डंडे और गोलिया चलती है तो ९९% लड़ाई लड़ने वाले चूहों की तरह भाग खड़े होते है और 1% ही श्री अन्ना हजारे की तरह मैदान में डटे रह पाते है | सुप्रीम कोर्ट ने भी हाथ खड़े कर दिए है की भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ने वालो की सुरक्षा के लिए देश में कोई क़ानून ही नहीं है| देश के भ्रष्ट नेताओं और मंत्रियो ने ऐसा कोई कानून बनाया ही नहीं, जिस प्रकार अंग्रेजो ने आजादी के लिए जान देने वालो के लिए कोई क़ानून नहीं बनाया था | मैंने सूना था की देश का क़ानून सर्वोपरि है किन्तु यहाँ तो देश के न्यायालय भी भ्रष्ट नेताओं की जमात पर निर्भर है , यही कारण है की हमारे देश में न्याय और क़ानून भ्रष्ट नेताओं,मंत्रियो और अमीरों की जेब में रखा रुपिया है वे जैसा चाहते है खर्च करते है | जँहा तक लोकपाल विधेयक का सवाल है वहा भी संसद और विधान सभा की तरह बहुमत भ्रष्ट नेताओं,मंत्रियो,संतरियो,अधिकारिओ और अमीरों का ही होना तय है अर्थात फैसला भ्रष्टाचार के पक्ष में ही होना है | आज निरा राडिया २ग़ स्पेक्ट्रुम घोटाले में शरद पवार की अहम् भूमिका बता रही है तो भी देश का कानून चुप है यही कानून जब किसी गरीब आम भारतीय को किसी शंका के आधार पर भी पकड़ता है भारतीय भ्रष्ट पुलिस गरीब भारतीय नीरा या शरद को पागल कुत्ते की तरह इतना दौड़ा कर मारती है की वह निर्दोष होकर भी पुलिस जैसा चाहती है वैसा अपराध कुबूल कर लेते है कई बार तो भरष्ट नेताओं,मंत्रियो,संतरियो, अधिकारिओ और अमीरों के अपराध भी गरीब भारतीयों के गले बांध दिए जाते है | इसलिए आदरणीय अन्ना का लोकपाल विधेयक फ़ैल होना तय है,क्योकि देश को लाखो सरदार पटेल,भगतसिंह,सुखदेव,चंद्रशेखर आजाद,सुभाष चन्द्र बोस चाहिए जो अंग्रेजो की तरह भ्रष्टाचारियो को काटकर भारत माता को बलि चड़ा दे | तभी भारत माता भ्रष्टाचारियो की गुलामी से आजाद हो सकती है| या…………
    भारत सरकार यदि इमानदारी से भरष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण करना चाहती है तो देश से भ्रष्टाचार मिटाने का काम मुझे ठेके पर दे दे जैसे सारे सरकारी काम केंद्र और राज्य सरकारों ने ठेके पर दे रखे (जिनसे देश के भ्रष्ट नेताओं,मंत्रियो,संतरियो,अधिकारिओ,कर्मचारियो और काला बाजारी अमीरों को भरपूर कमीशन मिलता है | सरे हरराम्खोर ऐश कर रहे है और गरीब जनता भूखो मर रही है |) मै ६३ वर्षो के भ्रष्टाचार की कमाई को मात्र ७ वर्षो में वसूल करके सरकारी खजाने में जमा कर दूंगा और भ्रष्टाचार को जड़ मूल से उखाड़ फेकुंगा , मेरी भ्रष्टाचार निवारण की प्रक्रिया के बाद कोई भी नेता,मंत्री,संत्री,अधिकारी,कर्मचारी और कालाबजारी भ्रष्ट होने से पहले हजार बार सोचेगा |
    मुझे कुल वसूली का मात्र 0.०७% मेहनताना ही चाहिए |
    मई पिछले २५ वर्षो से देश के भ्रष्ट कर्णधारों को लिखता आ रहा हु की मुझे भ्रष्टाचार मुक्त भारत का काम ठेके पर दे दो ,मै ६३ वर्षो के भ्रष्टाचार की कमाई को मात्र ७ वर्षो में वसूल करके सरकारी खजाने में जमा कर दूंगा और भ्रष्टाचार को जड़ मूल से उखाड़ फेकुंगा| मेरे पत्रों को पड़कर देश के भ्रष्ट कर्णधारों को सांप सूंघ जाता है |
    “भ्रष्टाचार सामाजिक अन्याय का जन्म दाता है और सामाजिक अन्याय उग्रवाद और आतंकवाद का जन्म दाता है”
    महेश चन्द्र वर्मा , प्रधान सम्पादक,
    सरकारी व्यापार भ्रष्टाचार ,
    साप्ताहिक समाचार पत्र, इंदौर म.प्र.

  6. भाइयों काला धन देश में लाना अत्यंत दुष्कर कार्य है किन्तु असंभव नहीं है, पर इस कार्य को पूरा करने में लोग केसे केसे व्यवधान डालेंगे यह कोई भी बुध्धिमान बिना समझाए समझ सकता है ठीक है काला धन लाने के प्रयास अनवरत जारी रहने चाहिय लेकिन सभी देशवासियों की पहली कोशिश यह होनी चाहिए की सरकार को इतना मजबूर कर दिया जाए की अब और काला धन बहार ना जाने पाए, कल्पना करो की इतना धन विदेशों में जमा है और लगभग पांच हजार विदेशी कंपनियां अनवरत रूप से हमारे देश को लूट रही हैं फिर भी यह देश प्रगति के पथ पर सबसे तेज चल रहा तो इस देश की क्षमता कितनी ज्यादा है, अगर अभी भी बहार पैसा जाना बंद हो जाए तो इस देश का कायाकल्प तय है.

  7. काले धन को लेकर परिचर्चा क्यों? भारत में चिरकाल से बहुधा दो प्रकार के विषयों पर ही परिचर्चा होती रही है| एक स्थाई विषय और दूसरा अस्थाई विषय| स्थाई विषय जवाहरलाल नेहरु की कांग्रेस है| और इस कांग्रेस के काल में अस्थाई विषय नित नए रूप में अपने को प्रस्तुत करता रहा है| मीडिया भी कर्तव्यनिष्ठा पूर्वक उस दिन के विषय को नौटंकी के इश्तिहार की तरह बिना समीक्षा कीये अनपढ़ जनता के सामने लाता रहा है जो सदैव उसकी समझ के बाहर की बात रही है| और सरलमति जनता दिन की नौटंकी को भुला फिर स्थाई परिचर्चा में फंस सत्तारूढ़ी कांग्रेस की शरण में चली जाती रही है| कुछ समय से धीरे धीरे एक नए प्रकार के तीसरे विषय ने जोर पकड़ लिया है| मीडिया ने उस विषय की पूर्णतय अवहेलना करते उसे अपनी मौत मरने को छोड़ दिया था| यह तीसरा विषय तीव्र वेग में उजागर होता बाबा रामदेव का भारत पुनर्निर्माण का शंख नाद है जिसने अनन्त परिचर्चा में फसें प्रत्येक भारतीय की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया है| परंपरागत भारतीय चेतना अब जाग प्रश्न पूछती है कि हम इतने अनैतिक कैसे हो गये; हम इतने भ्रष्ट कैसे हो गये; हम इतने स्वार्थी कैसे हो गये? पत्येक भारतीय नागरिक यदि अपनी अन्तरात्मा में झांके तो इनका और ऐसे ही अनेकों प्रश्नों का उत्तर स्पष्ट हो जायेगा| इन प्रश्नों पर अब और अधिक परिचर्चा की कोई आवश्यकता नहीं है| हमें अपने व्यक्तिगत और व्यावसायिक व्यवहार को समाज और राष्ट्र के हित के अनुकूल बदलना होगा| यदि हम समाज में व्यवस्था चाहते हैं, समाज में नियंत्रण चाहते हैं, समाज में एक अच्छा अनुशासन चाहते हैं तो हमें चाहिए कि बाबा रामदेव के भारत स्वाभिमान आन्दोलन के अंतर्गत भद्र, सचरित्र, न्यायप्रिय, व राष्ट्रवादी लोग राजनीति में आएं और तुरंत भारत पुनर्निर्माण में लग जाएं| उपयुक्त कानून व्यवस्था द्वारा देश विदेश में छुपा काला धन जब्त कर देश भर में उन सामाजिक कार्यों में लगाया जाये जिन से भारतीय समुदाय सदैव वंचित रहा है|

  8. राजनेता इस धन को नहीं लाने देगे इसीलिय कोर्ट को टिपण्णी करने पड़ी > डॉ. मनमोहन सिंग भी इस लूट में सामिल हो गए है . वर्ना अब तक सुप्रेमे कोर्ट क़े टिप्पड़ी क़े बाद उनको त्यागपत्र दे देना चाहियाथा .इसने सरदारों का नाम डुबो दिया .सरदार जो मेरी नजर में सबसे बड़े देशभक्त है जीनोने अपना सबकुछ बलिदान किया परुनता मनमोहन सिंह ने इनका नाम डुबो दिया

  9. श्रीकांत उपाध्याय
    निश्चित रूप से कला धन भारत में वापस आने से देश की आन्तरिक मुलभुत सुविधा में परिवर्तन लाया जा सकता लेकिन हम ये कदापि नहीं भूल सकते की भ्रस्टाचार अब भारत के नागरिको के खून में समां गया है ये ऐसा समय है जिसमे भारत के हर माँ चाहती है की हर घर में एक भगत सिंग हो किन्तु ओ घर पडोसी का होना चाहिए लोग अपने बच्चो को भगत सिंग बनाकर देश के लिए बलिदान नहीं करना चाहते ऐसे परिस्थितियों में हम यदि देश में पैसा वापस ला भी ले तो मूलभूत सुविधाओ में पैशा भले ही न लगे कुछ पार्टियों के लोग जो भारत को अपनी बपोती समझते है वे पैसो का उपयोग भारत के लोगो को हराम का खाने वाले कामचोर बनाने में उपयोग करेंगे इससे तो अच्छा है हम पैसे को महत्व न देते हुवे लोगो में देश के प्रति अपनी जवाबदारी समझाने में अपना समय लगावे | और ये जवाबदेही नेताओ की नहीं हमारी व्यक्तिगत होनी चाहिए हम कब तक नेताओ को दोष देकर अपने कर्त्तव्य से बच सकते है रास्त्र में होने वाले प्रत्येक घटना क्रम पर मध्यमवर्गीय परिवार को अशर ज्यादा पड़ता है अतएव हमे खुद को बचने की तरकीब सोव्हानी चाहिए

  10. जब तक न्याय व्यवस्था नहीं बदलेगी तब तक न तो भ्रष्टाचार rukega न ही काला धन vaapad इस देस में आएगा. व्यवस्था बदलने के लिए सरकार बदलना जरुरी है. स्वाभिमानी सरकार, नैतिक सरकार, इमानदार सर्कार. आज जितनी भी राजनैतिक दल है सब के सब काले है. कोई ज्यादा काला है तो कोई कम काला है. सब एक दुसरे पर कीचड़ फैकते है किन्तु एक दुसरे को बचाते है. आखिर चोर चोर मोसरे भाई.

    परिवर्तन के लिए क्रांति जरुरी है, क्रांति के लिए समाज को जागरूक होना जरुरी है. समाज जागरूक होगा हमारे जागरूक होने से. हम खुद समझे. अपने परिवार के लोगो को (खास कर युवा वर्ग) को समझाई की पागल बावरे की तरह किसी भी दल का झंडा लेकर नहीं फिरे. पहले तराजू में सभी को तोले, इतिहास जाने, (पानी पियो छान कर, गुरु अरु दोस्त बनाओ जान कर). फिर भी confusion हो तो अगले बार स्वामी रामदेव जी की पार्टी में वोट दाल दे.

  11. काला धन वापस आना ही चाहिए… पहले विदेशी और विधर्मी इस देश को लूट लूट कर ले गये अब अपने ही कुछ दुष्ट लोग देश को छल रहे हैं…. इसे लूट कर विदेशी बैंकों का पेट भर रहे हैं…

  12. विदेशों के बैंकों में जमा काले धन को वापस लाने की प्रक्रिया बहुत लंबी है और सफलता के आसार भी बहुत कम हैं. इस समय इस बात पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है कि हर सरकारी विभाग में गहराई तक व्याप्त भ्रष्टाचार को कैसे रोका जाए ताकि हर वर्ष कल्याणकारी योजनाओं के मद में होने वाले सरकारी खर्च का लाभ आखिरी आदमी तक पहुंचे. अभी हर विभाग के द्वारा खर्च किये गये धन का सिर्फ 15% से 30% ही काम में लगता है, बाकी हिस्सा सरकारी कर्मचारियों,अफसरों, नेताओं, ठेकेदारों, बिचौलियों के द्वारा हजम कर लिया जाता है, यही भ्रष्टाचार है. यदि इस पर किसी तरह से रोक लगाकर ऐसा प्रबन्ध हो सके कि खर्च का 80% से 90% तक सही उपयोग में आ जाए तो सारी समस्याएं ही दूर हो जाएं. अस्पतालों और स्कूलों में लोगों को सारी सुविधाएं मिलने लगें, गरीबी अपने आप दूर हो जाए. यदि कृषि विभाग अपने सारे काम ईमानदारी से करने लगे तो जितना खर्च यह विभाग करता है उससे तो खेतों में सोना बरसने लगे. न्यायालयों में यदि पैसों का लेन देन बंद हो जाए तो लोगों को त्वरित न्याय मिलने लगे. इसी प्रकार यदि भ्रष्टाचार पर रोक लगा दी जाए तो पुलिस चुस्त दुरुस्त हो जाए, सेना के जवानों को अधिक सुविधाएं मिले, सेना अधिक अशक्त हो जाए. लेकिन हम हल्ला कर रहे हैं विदेशी बैंकों से धन वापस लाने के लिये, वर्तमान व्यवस्था में तो यदि वह धन आ भी गया तो उसका 15% ही उपयोग में आएगा, बाकी तो वर्तमान दूसरे बिचौलियों और नेताओं की जेबे में चला जाएगा. (प्रभाकर अग्रवाल),

  13. देखिये ,इस मुद्दे पर सभी की एक ही राय है कि ये काला धन देश का धन घोषित करके वहां से वापस लाया जाना चाहिए . अब भारत सरकार को अंतर्राष्ट्रीय मंचो जैसे संयुक्त राष्ट्र की मदद से स्वित्ज़रलैंड की सरकार पर दबाव डालकार इस काले धन का पता लगाकर देश में लाना चाहिए.यहाँ पर इच्छाशक्ति की कमी दिखाई देती है. लगभग सभी राजनितिक पार्टियों के नेता इस धंधे में संलिप्त हैं.लगता है यहाँ भी मिस्त्र जैसी क्रांति की आवश्यकता है……….. सानु G

  14. स्विस बैंक में पड़े कालेधन के बारे में हमारी सरकार कानूनी रूप से मजबूर है, एकबार के लिए इस बकवास पर विश्वास कर लेते हैं। सवाल यह है कि क्या सरकार का भारतीय बैंको पर भी कोई जोर नहीं चलता क्या? या वहां भी कोई समझोता आडे आता है? हमारे अपने बैंको के लॉकर्ज में अकूत काला धन भरा पड़ा है, जिसका जीता-जागता प्रमाण पंजाब लोक सेवा आयोग के चेयरमैन सिद्धू और राजस्थान में डेयरी विभाग के सहायक निदेशक शर्मा जैसे लोग हैं, जिनके लॉकर्ज रिश्वत के धन से फटे पड़ रहे थे। इन सबके लिए कानून बनाएगा कौन? वो सांसद जो खुद तीन-चार करोड़ के काले धन से चुनाव जीतकर आते हैं। उन अधिकारियों से क्या उम्मीद रखें जो मलाइदार सीट पर नियुक्ति के लिए नेताओं और उनके दलालों के तलुए चाटते हैं। हम भी कोई दूध के धुले नहीं हैं, हर छोटी-मोटी असुविधा के लिए सुविधा शुल्क देने को तैयार हो जाते हैं।

  15. mujhe bahut prasannata hai ki pravakta.com es gambheer mudde ke prati apani ruchi dikha raha hai. hum sabhi aap ke saath sangharsh men shamil hain.

  16. धन धरा की धुरी है
    है वाहन जिसका उल्लू
    ये दोनों स्वयं श्रेष्ठ हैं
    मैं पकड़ूं किसका पल्लू।
    असमंजस की बात बताऊं
    द्वार जाकर अलख जगाऊं
    या निकट बुलाकर आरती गाऊं।
    पथ-प्रगति के दो ये निर्णायक बिन्दु
    पर कभी कहीं क्या ठहरे हैं बोले बन्धु।

  17. कालाधन को अबस्य ही वापस हमारे देशा में लाना चाहिए , पैर किया इधन हमारे देशा की जनता की काम आ सकता हे ,कियोंकि हमारा देशा में हो रहे व्रस्ताचार का कोई तोडा ही नही हे / मेरा मनन इह हे की बदती हुई व्रस्ताचार इसे ही हो ती रहेगी और हमारी नेताए सब्कुचा ठीक करने का दिलासा देती रहेंगी , अगर रूपया देशा में आ भी गया तो नेताओं के जेब में जाएगा, .और रही गरीब, स्कूल, हस्पताल, रोड, और अन्य देशा बिकाश कार्य कितिनी सफलता पुरबा हो रही हे ये आप भी आची तरह से जानते हैं , में ये नही कहेती की कार्य नही हुआ हे हुई हे पैर उस में भी कुछा तो कमी हे.. महासए, अगर कहीं कुछा लिखाबत में भूल हो तो माफा कीजिएगा

  18. Money (black or white) i don’t know but it’s issue our money is deposit in out country as soon as possible again in india so not show the name then every polytical and business men easily agree and use in right way in money.

    – first is education
    – second is unemployed person help
    – third is used in other electric, water etc.

    Because my experience every person or every country come on the road (not strike) but show the message and highlight the matter .

    Thanks for receive message
    Have a good luck and best wishesh

  19. काले धन के कई प्रकार हैं । मुख्यतः दो प्रकार माने जा सकते हैं एक जो कानून सम्मत कर नहीं पटा कर जमा किए गए जिसमें विभिन्न प्रकार के कर एवं स्त्रोत से चोरी शामिल है। इसके लिए तो सबसे ज्यादा इस देश के महान लोग जिन्होने ऐसे कानून बनाए की चोरी अनिवार्य हो गयी । एक समय था जब आय पर 98% कर था ? अब उस समय ऐसा कौन ईमानदार रहा होगा जो पूरी आय बताता रहा होगा । तो चोर ( मेरे अनुसार यह चोरी है कानून के प्रावधानों के अनुसार) बनाने के कानूने से इस देश ने स्वतंत्र रूप लिया । इस देश के कानूनों ने और कुछ किया हो या नहीं , इस देश के हर व्यक्ति को अपराधी तो बना ही दिया ।

    दूसरे हैं वे लोग जो अपने काम करने के लिए तंख्वाह और सुविधा तो जनता के पैसों से पाते हैं लेकिन उसी जनता को जुतियाते और देश और जनता का पैसा खाते हैं। ऐसे लोगों पर तो देशद्रोह का आरोप और उसके अनुसार सजा मिलनी चाहिए , चाहे वह चपरासी हो या राष्ट्रपति ।

    रही बात इस शोशेबाजी की धन वापस लाया जाना चाहिए । बहुत अच्छा विचार है । लेकिन क्या आपके पास ऐसी व्यवस्था है की यह फिर नए चोरों की नजर नहीं चढ़ जाएगा ।

  20. मैंने निम्न टिपण्णी राष्ट्र हित में बाधक काला धन के सन्दर्भ में की थी, पर मैं समझता हूँ की यह टिपण्णी इस परिचर्चा के लिए ज्यादा उपयुक्त है अतः मैं उसको यहाँ उसी रूप में उद्धृत करने की गुस्ताखी कर रहा हूँ.
    “काला धन पर चर्चा तो बहुत होती है और लोग कहने में नहीं थकते की काला धन का श्रोत अपराधिक कारोवार स्मगलिंग इत्यादि हैं,पर मैं कहता हूँ की काला धन तो भारत बनाम इंडिया के हर कोने में हर वक्त पनपता है.जब भी आप कोई चीज खरीदते हैं और उसका रसीद नहीं लेते आप काला धन की श्रृष्टि में जाने या अनजाने भागीदार हो जाते हैं.है तो यह छोटी सी बात, पर जब भारत बनाम इंडिया की करोडो जनता इस तरह का व्योहार अपने रोजमर्रा की जिंदगी में करती है तो यह गिनती अरबों में हो जाती है.यह तो हुई छोटी छोटी बाते जो अरबों तक काला धन सृजन करने में सहायक है.अब थोडा ऊपर आइये.बड़े शहरों में जमीन या मकान खरीद फरोख्त में एक सर्कल रेट होता है यह वह नयूनतम मूल्य है जिस पर मकान या जमीन की रजिस्टरी होती है.कभी आप लोगों ने इस पर ध्यान दिया है की इसमे एक एक खरीद फरोख्त में कितने काला धन का आदान प्रदान होता है?आपको एक उदाहरण देता हूँ हरयाणा के गुडगाँव ,फरीदाबाद इत्यादि शहरों के लिए सर्कल रेट है ७५०० रुपये प्रति वर्ग गज और जमीन की रजिस्टरी वहां इसी रेट पर होती है,पर वास्तविक मूल्य सेक्टर अनुसार २००००रुपये प्रति गज से लेकर ८००००रुपये प्रति गज तक है.अगर आप बैंक से कर्ज लेकर इस तरह की जमीन खरीदना चाहते हैं तो आप ऐसा नहीं कर सकते.आप अनुमान लगाइए की इस तरह देश में प्रति दिन कितना काला धन पैदा होता है? टाइम्स आफ इंडिया के दिल्ली एडिसन में प्रत्येक शनिवार को एक सप्लीमेंट होता है प्रोपर्टी पर. उसके पहले पृष्ठ के दाहिनी और दिल्ली के उच्चवर्गीय आवादी वाले इलाकों के प्रचलित दर लिखे होते हैं.उससे और दिल्ली के सर्कल रेट की तुलना करके देखिये,पता चल जायेगा की वहां एक लेन देन में कितना कालाधन पैदा होता है. मैं नहीं जानता की इसके बारे में विशेषज्ञों की राय क्या है पर मुझे तो यह साफ़ साफ़ दिखता है की भारत बनाम इंडिया में अरबों रुपये का काला धन रोज पैदा होता है तो इसको छिपाने का कोई न कोई जरिया तो लोग खोज ही लेंगे.चाहे वह अपनी तिजोरियां हो या अपने देश के बैंकों के लॉकर हो या विदेशी बैंक हो.जिसकी जहां तक पहुच है वह वहां तक जाएगा. ये तो केवल दो उदाहरण हैं ऐसे सैकड़ों श्रोत होंगे जहाँ काला धन पैदा होता है.पहले सरकार या क़ानून इन श्रोतों को बंद करे और फिर लग जाए कालाधन निकालने में और विदेशों में गए हुए काला धन को वापस लाने में”
    आर.सिंह .

  21. जब तक वर्तमान आर्थिक और प्रशाशनिक व्यवस्था नहीं बदलेगी तब तक कोई भी सरकार काले धन पर रोक नहीं लगा सकती. एक दिन आजतक के एक कार्यक्रम में एंकर बार बार बाबा रामदेव से कह रही थी की वे देश हित में उनके पास जो नाम हैं, उसे उजागर करें. क्या इससे सर्कार काले धन को वापस ला सकती है. सजा देने वाले ही जब चोरी कर रहे हों तो नाम बता देने भर से क्या होगा ? और congress तो bhrastachar की janani है, yah baat pandit nehru के jamaane से है- mamohan singh और sonia gandhi से कोई umeed की jaa सकती है क्या ? — anchal sinha, kampala, uganda, e. africa

  22. ये कैसी लोकशाही. भ्रष्ट्र नेता की भ्रष्ट्राचार के लिये ऐसा INDIA की लोकशाही का मतलब रह गया है.
    माना कि रामचंद्र ने सिया से कहा था; “ऐसा कलयुग आएगा, हंस चुंगेगा दाना …कौवा मोती खायेगा….लेकिन उनकी बात कौवा और हंस तक ही जाकर रुक गई थी. शायद इतनी भयावह स्थिति के बारे में स्वयं उन्होंने ने भी नहीं सोचा होगा. अगर सोचते तो कौवा और हंस से आगे की भी बात जरूर करते. आख़िर भगवान थे.
    भू दान से हमारा सफ़र सेज विकास के नाम खेती हड्ड़प करो यहाँ तक आके पहुंचा है. ओरीसा में यूनिवर्सिटी निर्माण के नाम पर ६००० एकर से ७००० एकर मोके की जमिन हड़पने डाव में अखेर सुप्रीम कोर्ट के दखल देना पड़ा . आज काला धन स्विस बैंक में जमा नही होता वो काला धन किसान की भूमि पर कबज्जा कराने के लिये काम आ रहा है. किसी भी कस्बे में जावो वंहा ७० लाख से १ करोड़ रुपये एकड़ जमिन के भाव हो गये है . उद्योगपति की लाइन लग्गी है. इस भाव में जमिन खरेदी करके साक्षात् कुबेर को भी खेती में घाटा होगा और वो आत्महत्या कर देगा . मगर शतुरमुर्ग जैसा अपना सर मिटटी में घुसाकर अमेरिकी की ढोल पर नाचने वाले हमारे मन मोहन और उनके अर्थशास्त्री के ध्यान में नही आता होगा क्या यह इक सवाल है.
    नैतिकता किस झाड़ की मुली है ये लोग पूछते है. भ्रष्ट्राचार , बेईमानी ये शिष्टाचार हो गया है. न्यूज पेपर बिकवु हो गये है. स्वतंत्रा के बाद देशहित के लिये मिडिया की क्या भूमिका रही ये आइना लगाकर देखना पड़ेगा .मिडिया राडिया हो गया है. . बड़े उद्योगपति का योगदान विकास से ज्यादा भ्रष्ट्राचार बढ़ाने के लिये हुवा है. आज हम भूदान से भूखंड माफिया का किताब हासिल कर चुके है. किस उद्योग को कितनी जमिन चाहिए इसका हमारे पास कोई हिसाब नहीं. इक यूनिवर्सिटी के लिये ६५०० एकर जमिन क्यों चाहिए इसका जबाब कोई नहीं देता .गरीबों की जमिन विकास के नाम पर हड़प करो इसको आप विकास कहते हो तो ये विकास तुम्हे मुबारक. आज विकास के नाम पर भारत का भकास हो रहा है. खेल ये खेल से जादा बेईमानी भ्रष्ट्राचार बदनाम हुवे. इक पुल बंधने के लिये अखिर मिलट्री को आना पड़ा. IPL का सट्टा खुले आम चल रहा है. जनता बगावत ना करे इसलिए क्रिकेट की नशा मे जनता को डुबो दीया. अनाज को जनता तरस रही है मगर शराब बनाने के लिये अन्नाज सडा दे रहे नेता अन्नाज से शराब में जादा दिलचस्पी ले रहे है .
    स्विस बैंक में काला पैसा कैसा जमा होता ये सरकारी अधिकारी मंत्री ,अर्थ विभाग , RBI को मालूम नही क्या? आयत निर्यात के नाम पर करोडो का व्यवहार के कागजी घोड़े दौड़ाये जाते है. ना माल आता है ना जाता है मगर रूपया गायब हो जाता है.सब के मुह पर गाँधी छाप चिकट पट्टी लगाई जाती है. इक घोड़े के तबेले का मालिक हसन अली ३५००० करोड़ स्विस बैंक में जमा करता है मगर उसने इतना पैसा कान्हां से ये कोई सरकारी विभाग पूछता नही. जिन आरोपीको सारे आम फासी देनी चाहिए उसे ५ स्टार अस्पताल में बीमारी के बहाने रखा जाता hai आम आदमी ने इक घर बनाया या शादी पर खर्चा कीया तो INCOME TAX उसके पीछे हात धोके लगता है. गये ५-१० साल से ये काला धन शेअर बाजार और उससे ही ज्यादा जमिन में लग रहा है. रुपये १० लाख की जमिन की सरकारी हिसाब से २ लाख में रजिस्ट्री हो जाती है बाकी ८ लाख काला धन जमा होता है. आज किसी भी कस्बे में जावो वंहा ७० लाख से १ करोड़ रुपये एकड़ जमिन के भाव हो गये है क्या आप इस भाव में जमिन खरेदी कर के खेती करेंग . आज जमिन काला पैसा रखने का सबसे बड़ा जरिया बन गया है. काले कमाई का एक बड़ा जरिया बन गए हैं। कितनी जमिन अधिग्रहण करना इसका कोई कानून नही. आज इक इक आदमी के पास ४-५ प्लाट है और दूसरी तरफ काला पैसा नही होने से करोडो लोग झोपड़पट्टी में नरकमय जीवन जी रहे है. अनाधिकृत झोपड़पट्टी गिराई जाती मगर बिल्डर ने बंधीवाली अनाधिकृत कलानिया को सरकार हात नही लगाती. या वहां के लोगोपर कार्यवाई करती है मगर जो बिल्डर काला पैसा निर्माण करता है अवैध बांधकाम करता है उसका सरकार बाल भी बांका नही कर सकती. अनाधकृत बांधकाम और किसान की जमिन हड़प कराने में काला पैसा लग रहा है. और ये बातपर से लोगोका ध्यान नही लगाना इसीलिए स्विस बैंक का भूत इन्ही लोगोने बाटल के बाहर निकाला है.

    Thanks & regard,

    Thanthanpal,
    Always visit:-
    https://www.thanthanpal.blogspot.com

  23. I think we all are guilty of the corruption. If we start pointing fingure at those who do not pay tax or take bribes, – and hand them on the lal kila(redfort), I think only a handful people will b left in Inidia. From a teacher, policeman, doctors, journalist and any one with a little authority they all are brothers and sisters in the villages and towns. They are all at it. Pointing fingures at the Governmnet and rich people has become a ‘political sturnt’ for many years. Opposition politicins thrive on it to show how cean they themselves are! Frankly, the root caus eis our religious leaders who have lost the plot. If they ever srate serious actions, most of the religious places will have to shut down as their organisers would be in jail. Temples in foreign countries also involved in money laundring for politicians and families. And we point fingues at Manmohan Singh and Sonia..

  24. पिपल काले धन की बात करते है जेसे ये कोए दुसरे वयकटी की बात है. हम सब इस में भागीदार है. परदेश में जो पैसा ही उस बहाने पोलिटिक्स चला रहे है. ये नई कोई बात नही हे. आम जनता को भड़काने का अक तरीका हीसहा. मूल खोट तो हमारे धर्मं सिंचन और साहित्य और कला में ही हे. हर आदमी येही सोचता हे की मुझे आज और अभी क्या मिलेगो ओर किसकी जेब में से कुछ मुफ्त में निकललू. कानून व्यस्था हम आम जनता ने ही तोड़ी है. कानून होनेकी वजय हम ही तोड़ते है..हरेक गावमें, हेरर्मे पोलिसे, शिक्षक, डॉक्टर से लेकर सब अपने अपने जेबे भर रहे है. बादमे कालेधन की बात करके सरकार और परदेश में रखे धन की बाते करते हें.

  25. सरकार की गलत नीति के कारन ही कालाधन जमा होता हे . तो लालकिले पर फांसी पर किसे चढाओगे

  26. मुझे लगता है देश में काला धन की परिभाषा और टैक्स सिस्टम दोनों में बदलाव होना चाहिए क्योंकि इस देश का टैक्स पालिसी ही हमे अपने गाढे महनत की कमाई को काले धन में परिवर्तित करने में मजबूर करता है. इस देश में आज के मात्र १५०००० की टैक्स छुट है जबकि महंगाई आसमान को छु रही और ऐसे में क्या बड़े शहर में रहकर इंसान अपना गुजर बसर १५०००० में कर सकता है ? शायद नहीं तब ऐसे में इस दायरे को क्यों नहीं बढाया जाता और शायद इस कारण आज हम सबके पास काला धन है . किसी के पास ज्यादा और किसी के पास कम. दूसरी वजह हमारे देश में अनगिनत टैक्स प्रणालिया है जिसके अंतर्गत एक व्यक्ति को न जाने कितने बार टैक्स देना पड़ता है. एक उदहारण हम अपने कमाई में से इनकम टैक्स पटाते है फिर भी हमे रोड पर चलते हुए रोड टैक्स , टोल टैक्स, नए वाहन खरीदने पर टैक्स , मोबाइल बिल पर टैक्स , पानी का टैक्स , खाना खाने पर टैक्स और न जाने कितने टैक्स . इस सिस्टम को समझने और बदलने की जरूरत है अपने आप काला धन की समस्या ख़तम हो जाएगी . इतना हल्ला मचाने की जरूरत नहीं है काम करने की जरूरत है . पर इतनी समझ राजनैतिक पार्टियो में बची कहाँ है .

  27. मनमोहन सिंह भ्रष्टाचारियों के नाम उजागर न करने में इसलिए लाचार हैं क्यों कि संभवत: इससे उनकी या उनकी राजमाता व युवराज की पोल खुल जाए| वरना 100 दिन में विदेशी बैंकों में जमा धन को वापस भारत लाने का दावा भरने वाला व्यक्ति आज इतना कन्फ्यूज़ क्यों है?

  28. देश के प्रधान्मंर्ती डॉ. मनमोहन सिंह को कांग्रेस एक ईमानदार व्यक्ति के तौर पर पेश कर फूली नहीं समाती जबकि सदा की भान्ति आज भी कांग्रेस राज मैं देश को दोनों हाथों से लूटा जा रहा है और हमारे ईमानदार प्रधामंत्री देश का लूटा गया धन विदेशों से वापिस भारत में लाने की बजाये सुप्रीम कोर्ट को ही अपनी हद में रहने को कह रहे हें ! इससे पता चलता हें क़ि ये कोन लोग देश पर शाशन कर रहे हेँ! वेसे अब इनकी पोल खुलने लगी है और आशा हें क़ि ये लोग अब और अधिक इस देश क़ि जनता को उल्लू नहीं बना पाएंगे ! बस इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका ना बिकने वाले पत्रकारों क़ी है ताकि उनके प्रयासों से जनता में जागरूकता आये और वो इन लुटेरों को बाहर का रास्ता दिखाए ,वरना काला धन हो या भ्रश्टाचार कभी इस देश से ख़त्म नहीं होगा

  29. मुझे तो लागता है की विदेशो में जमा कला धन सरकार लाना ही नहीं चाहती थी तभी जब ये खुलासा समाज के सामने हो गया तब जाकर तो अपनी सरकार जाने के डर से इस मामले पर कडा रुख अपनाने का नाटक करके समाज को झांसा दे रही है. ठोस क़ानून इसलिए नहीं बनाये गए कही उनकी पोल न खुल जाए| कुल मिला कर समाज का दोष है क्योंकि समाज के लोग इन्हें वोट देते ही क्यों है बल्कि में तो कहता हु की समाज के लोग इनको वोट न देकर खुद ही अपने बीच से ही किसी को रज्नैएत बन्ने के लिए खड़ा करदे|

  30. विदेशी बैंकों में सबसे अधिक भारतीयों के ही पैसे जमा है। कुल राशि है 20 लाख 85 हजार करोड़ रूपए। वहीं दूसरी ओर हमारा देश गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा और बेरोजगारी से जूझ रहा है। आखिर प्रधानमंत्री खाताधारकों के नाम उजागर करने से क्‍यों हिचकिचा रहे हैं जबकि सर्वोच्‍च न्‍यायालय कह रहा है कि ऐसे लोगों के नाम उजागर करो। वास्‍तव में यूपीए सरकार भ्रष्‍टाचारियों के साथ है।

  31. ये कालाधन सिर्फ कला धन नहीं बल्कि इस देश और समाज के साथ गद्दारी कर इस देश की जनता के खून को चूस कर बनाया गया धन है……ये धन वापिस आये या ना आये लेकिन जिन हरामियों का ये धन है उनको लाल किले पे फांसी पे चढ़ाया जाना बहुत जरूरी है….

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