तब्लीगी जमात की घिनौनी करामात

योगेश कुमार गोयल

            फिलीपींस में राष्ट्रपति रोड्रिगो दुर्तेते द्वारा वहां लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए हैं। दरअसल वहां लोग धड़ल्ले से लॉकडाउन का उल्लंघन कर रहे थे, जिससे कोरोना का खतरा वहां लगातार बढ़ रहा था। सिंगापुर में भारतीय मूल के 52 वर्षीय एक व्यक्ति को ‘कोरोना-कोराना’ चिल्लाने तथा होटल के फर्श पर थूकने के मामले में गत दिनों दो महीने की जेल की सजा सुनाई गई है। जर्मनी में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करने वालों पर 500 यूरो (करीब 41 हजार रुपये) का जुर्माना लगाया जा रहा है। सऊदी अरब में जो भी व्यक्ति शॉपिंग मॉल इत्यादि में थूकता पाया गया, उसके लिए वहां मौत की सजा का प्रावधान है। एक तरफ जहां पूरी दुनिया आज कोरोना से जंग में एकजुट है, वहीं भारत में तब्लीगी जमात वालों ने तेजी से सफलता की ओर बढ़ रही कोरोना की लड़ाई को पलीता लगा दिया है। दरअसल जब से तब्लीगी जमात के लोगों में कोरोना महामारी फैली है, तभी से जिस प्रकार इस जमात के लोग पूरे देश में संक्रमित मिल रहे है, उससे समाज में घबराहट पैदा होना स्वाभाविक है। यह वही तब्लीगी जमात है, जिसका मलेशिया में कुआलालंपुर की एक मस्जिद में 27 फरवरी से 1 मार्च तक एक धार्मिक आयोजन हुआ था। उस आयोजन को कोरोना संक्रमण फैलाने का एक बड़ा कारण माना गया था। वहीं से दर्जनों जमाती पर्यटक वीजा लेकर दिल्ली के निजामुद्दीन मरकस में पहुंचे, जहां तमाम सरकारी दिशा-निर्देशों को धत्ता बताकर इस साल एक जनवरी से ही देश-विदेश के कई हजार जमातियों का जमावड़ा कई दिनों तक जुटा रहा। यही इन जमातियों में कोरोना फैलने की बड़ी वजह बना और जिस प्रकार यहीं से इनमें से बहुत सारे जमाती देश के कोने-कोने में चले गए, उनके जरिये कोरोना के अब बड़े स्तर पर फैलने का अंदेशा है।

            दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके से निकाले गए 2361 जमातियों में से बहुत सारे कोरोना संक्रमित पाए जा चुके हैं लेकिन इसके बावजूद अस्पतालों में शांति से अपना इलाज कराने के बजाय इनमें से अधिकांश द्वारा जिस तरह का घिनौना और गैरजिम्मेदाराना रवैया दिखाया जा रहा है, उसे देखते हुए कहीं न कहीं लगने लगा है, जैसे जमात के लोगों द्वारा जानबूझकर देश में कोरोना संक्रमण फैलाया जा रहा है। इन नर पिशाचों के इरादे कितने खतरनाक हैें, यह इसी से पता चलता है कि जब इन्हें निजामुद्दीन मरकस से डीटीसी की बसों से इलाज के लिए अस्पतालों तक ले लाया जा रहा था तो ये चेहरे से मास्क हटाकर स्वास्थ्य कर्मिर्यों, पुलिस वालों और सड़क पर थूक रहे थे। जिस कोरोना से आज पूरी दुनिया भयाक्रांत है, अगर उसी कोरोना को ये लोग जानबूझकर थूक-थूककर हर जगह फैलाने का घृणित प्रयास कर रहे हैं तो यह इनकी जेहादी मानसिकता का स्पष्ट परिचायक है। इस जेहादी मानसिकता का एकमात्र इलाज यही है कि समय रहते ऐसे जहरीले नागों का फन कुचल दिया जाए। दिल्ली के निजामुद्दीन में तब्लीगी जमात के एक कार्यक्रम में शामिल होने आए हजारों लोगों में से बहुत सारे लोग देशभर के विभिन्न इलाकों में अपने-अपने गांव या शहर वापस लौट चुके हैं। ऐसे लोगों की तलाश किया जाना बहुत मुश्किल हो रहा है और इनकी वजह से कोरोना संक्रमण देश के विभिन्न हिस्सों में तेजी से फैलने का खतरा भी गहरा गया है। दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय से जुड़े लोगों को उन्हीं के कुछ लोगों द्वारा सोशल मीडिया के जरिये अफवाहें फैलाकर यह कहते हुए गुमराह किया जा रहा है कि ‘कोरोना’ मुसलमानों के खिलाफ एक बड़ी साजिश है। इसी के चलते कोरोना से जंग जीतने के प्रयासों में जुटे डॉक्टरों, मेडिकल स्टाफ और पुलिस वालों पर जगह-जगह हमले किए जा रहे हैं।

            एक ओर डॉक्टर, नर्स, पुलिस जैसे हमारे कोरोना योद्धा अपनी जान पर खेलकर कोरोना से जंग जीतने की कोशिशों में जुटे हैं, वहीं ऐसे समाज विरोधी तत्व जिस प्रकार इन प्रयासों में हर कदम पर बाधा पहुंचा रहे हैं, ऐसे अपराध के लिए इस तरह के लोगों को ऐसा कड़ा दण्ड दिए जाने की सख्त आवश्यकता है, जिससे इनके परिजनों की भी रूह कांप उठे और इनकी सात पीढि़यां तक ऐसा करने के बारे में सपने में भी न सोच सकें। वर्तमान परिस्थितियों में हमारे स्वास्थ्य कर्मी किसी मसीहा से कम नहीं हैं लेकिन कोरोना के संदिग्ध माने जा रहे जमातियों द्वारा हर जगह स्वास्थ्य परीक्षण में असहयोग करने और बेहूदगी की सारी हदें पार करने के कारण संक्रमण बढ़ने के खतरे के साथ-साथ मेडिकल स्टाफ की चुनौतियां भी कई गुना बढ़ गई हैं। दरअसल जमातियों की बेहूदगी की पराकाष्ठा को देखते हुए कई अस्पतालों में मेडिकल स्टाफ से महिला स्टाफ को पूरी तरह हटाने को विवश होना पड़ा है। अधिकांश अस्पतालों से इस तरह की खबरें सामने आ रही हैं कि ये लोग किस प्रकार मेडिकल स्टाफ के साथ न केवल दुवर््यवहार और अश्लील हरकतें कर रहे हैं बल्कि जगह-जगह थूकने के अलावा अपने हाथों पर थूक लगाकर दीवारों, रेलिंग इत्यादि सभी जगहों पर पोत रहे हैं। गाजियाबाद के अस्पताल में तो छह जमातियों ने नर्सों के सामने अपने सारे कपड़े उतारकर और अश्लील हरकतें कर अपनी सड़ी-गली मानसिकता का स्पष्ट परिचय भी दिया था। आश्चर्य होता है यह जानकर, जब जलील हरकतें करने वाले जमातियों के परिजन यह कहते देखे जाते हैं कि अभी तो देखा ही क्या है, ये तो अभी और भी बहुत कुछ कर सकते हैं।

            इन लोगों की कैसी फितरत है और उन्हें कैसा जेहादी पाठ पढ़ाया जाता है, यह इसी से समझा जा सकता है कि जमात का मौलाना साद कंधालवी खुद लोगों को यह कहकर भड़काता रहा कि यह सब जमात के विरूद्ध एक साजिश है और सोशल डिस्टेंसिंग की कोई जरूरत नहीं है। सरकारी सख्ती देखते हुए मौलाना साद ने खुद को तो क्वारंटाइन कर लिया लेकिन अपने जमातियों के दिलोदिमाग में जहर भरकर उन्हें समाज के बीच पूरे देश को संक्रमित करने के लिए खुला छोड़ दिया। इन लोगों की मानसिकता इतनी जहरीली बना दी गई है कि ये लोग इन्हें बचाने वालों पर ही थूक रहे हैं, उन्हीं को अपना निशाना बना रहे हैं। दुनिया में कोई भी धर्म हो, उसके मूल में प्रेम, सद्भाव और भाईचारे का ही संदेश निहित होता है लेकिन जमातियों की मानसिकता इस कदर जेहादी बना दी गई है कि उन्हें अपना ही भला नजर नहीं आ रहा है। ऐसे लोगों को लाख समझाने पर भी उन्हें समझ नहीं आ रहा कि दुनियाभर में हजारों लोगों की जान ले चुका कोरोना वायरस किसी का धर्म या सम्प्रदाय देखकर उस पर हमला नहीं करता और ऐसे अदृश्य दुश्मन से लड़ने वाले डॉक्टर तथा नर्सें ही हमारे सच्चे हितैषी हैं। उत्तर प्रदेश के अनेक इलाकों के अलावा, इन्दौर, बेंगलुरू, हैदराबाद, मुंगेर, रांची, मधुबनी इत्यादि देश के विभिन्न स्थानों से ऐसे ही लोगों द्वारा स्वास्थ्य कर्मियों और पुलिस पर किए जा रहे लगातार हमलों से कोरोना से जंग के मामले में हालात भयावह होते जा रहे हैं। अपने साथ दूसरों की जान को भी खतरे में डाल रहे ऐसे निकृष्ट लोग देश और समाज के समक्ष सबसे बड़ा खतरा बनकर सामने आए हैं। ऐसे तमाम लोगों पर नकेल कसते हुए इन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कठोरतम दण्ड दिया जाना समय की मांग है। इससे जहां पुलिस तथा स्वास्थ्यकर्मियों का मनोबल बढ़ेगा, वहीं शैतानी मानसिकता वाले उपद्रवियों के हौंसले भी पस्त होंगे।

            केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में डॉक्टरों का भगवान का दर्जा दिया जाता है क्योंकि भगवान के बाद डॉक्टर ही हैं, जिनसे किसी भी व्यक्ति की जिंदगी बचाने की उम्मीद की जाती है। एक डॉक्टर किसी मरीज का इलाज करने से पहले कभी उसका धर्म या मजहब नहीं पूछता। इसी प्रकार एक बहन की भांति मरीजों की सेवा में लिप्त रहने के कारण ही नर्सों को ‘सिस्टर’ कहा जाता है। जब मानवता की निस्वार्थ भाव से सेवा करते करूणा की प्रतिमूर्ति बने ऐसे लोगों के साथ दुवर््यवहार होता है या उन पर इस प्रकार हमले होते हैं तो हर सच्चे भारतीय का खून खौल उठना स्वाभाविक है। जाहिल और निकृष्ट किस्म की मानसिकता वाले ऐसे लोगों के प्रति अत्यधिक सख्त रवैया अपनाए जाने की जरूरत है।

            कोरोना मरीजों का इलाज करते-करते दर्जनों डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी भी कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं और एक समुदाय विशेष के लोगों द्वारा जिस तरह के हालात पैदा करने की कोशिशें की जा रही हैं, ऐसे में जरा सोचकर देखिये कि अगर कोरोना मरीजों का उपचार करने में जी-जान से जुटे स्वास्थ्य कर्मी हड़ताल पर चले जाएं तो देश के हालात कितने भयावह हो जाएंगे। यही स्वास्थ्य कर्मी अपने परिवार की खुशियां त्यागकर आज हमारे लिए रक्षा कवच बनकर कोरोना से लड़ रहे हैं और कोरोना संक्रमितों के सम्पर्क में रहने के कारण स्वयं इन्हें संक्रमण का खतरा कई गुना ज्यादा बरकरार रहता है। ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों पर जहां फूल बरसाए जाने चाहिएं, अगर उन पर पत्थर बरसाए जा रहे हैं या उन पर थूका जाता है अथवा उनके साथ अश्लील हरकतें की जाती हैं तो निसंदेह यह ऐसा अक्षम्य अपराध है, जिसके लिए कड़े से कड़ा दण्ड भी बहुत छोटा होगा। इस्लाम धर्म में पत्थर शैतानों पर मारे जाते हैं तो क्या जमातियों की जिंदगी बचाने की कोशिशें कर रहे हमारे कोरोना योद्धा इनके लिए शैतान के समान हैं? अगर ऐसा ही है तो समझ लेना चाहिए कि इन लोगों की नफरत और शैतानी मानसिकता अब उस मुकाम तक पहुंच चुकी है, जहां मानवता के इन दुश्मनों को इलाज के लिए किसी दवा की नहीं बल्कि किसी दूसरे तरीके की जरूरत है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here