कही फिसल न जाऊ,तेरे ख्यालो में चलता चलते

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कही फिसल न जाऊ,तेरे ख्यालो में चलते चलते |
अपनी यादो को रोको,कही मर न जाऊ रोते रोते ||

मत आया करो मेरे ख्यालो में,ये बारिश का मौसम है |  |
हर बूँद में तुझको ही पाता हूँ,इस बारिश के होते होते ||

बारिश हो रही थी बाहर,वह भीग रही थी मुझमे |
मैंने भी दिल दे दिया उसको,राहो में चलते चलते ||

सोच था हमने,इस बारिश में याद न करगे तुमको |
जब भीग जाता हूँ मै,तुम याद आ जाती सोते सोते ||
 
बारिश के मौसम में,घटाओ को कौन रोक पायेगा ?
बरस जाते है ये बादल,तेरी ही जुल्फ खुलते खुलते ||

ये बारिश,ये हसीं मौसम और ये महकती हवायें |
रस्तोगी न रोक पाया कलम को,ये लिखते लिखते ||


आर के रस्तोगी 
गुरुग्राम मो 9971006425

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आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

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