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कही फिसल न जाऊ,तेरे ख्यालो में चलता चलते - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
कही फिसल न जाऊ,तेरे ख्यालो में चलते चलते |अपनी यादो को रोको,कही मर न जाऊ रोते रोते ||मत आया करो मेरे ख्यालो में,ये बारिश का मौसम है | |हर बूँद में तुझको ही पाता हूँ,इस बारिश के होते होते ||बारिश हो रही थी बाहर,वह भीग रही थी मुझमे |मैंने भी…