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मतलब ना हो तो अपने भी पहचानते नहीं.... - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
-इक़बाल हिंदुस्तानी जब ज़िंदगी हमारी परेशान हो गयी, अपने पराये की हमें पहचान हो गयी। सोने की चिड़िया उड़ गयी मुर्दार रह गये, दंगों से बस्ती देश की शमशान हो गयी। मतलब ना हो तो अपने भी पहचानते नहीं, रिश्तों की जड़…