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भूले नहीं कि एक मां गंगा भी है - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
दरअसल हमने गंगा को अपनी मां नहीं, अपनी लालच की पूर्ति का साधन समझ लिया है; भोग का एक भौतिक सामान मात्र! मां को कूङादान मानकर हम मां के गर्भ में अपना मल-मूत्र-कचरा-विष सब कुछ डाल रहे हैं। अपने लालच के लिए हम मां को कैद करने से भी नहीं…