न बोल बुरा___

निसंदेह अब कांग्रेस का निरंतर होने वाले पतन को कोई नही रोक सकता । जब तक मणिशंकर अय्यर व दिग्विजय सिंह जैसे नेता अपने तुच्छ विचारों को परोसते रहेंगे राष्ट्रवादियों की विजय निश्चित होती ही रहेगी। देश में प्रचंड बहुमत से चुने हुए प्रधानमंत्री को “नीच” जैसे शब्दों के द्वारा तीर चलाना या अपनी जलन या पीड़ा को ठंडक पहुचांना किसी भी देशवासी के लिए अत्यंत अशोभनीय व निंदनीय है।कोंग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने भी 2007 में श्री नरेन्द्र मोदी को “मौत का सौदागर” कह कर स्वयं ही अपने आप को एक असभ्य व अशिक्षित महिला होने का परिचय कराया था। संभवतः सोनिया के इस निंदनीय दुःसाहस के उपरांत ही अन्य कांग्रेसी नेताओं में भी ऐसे कड़वे शब्दों से भरी गंदी राजनीति करने का चलन बढ़ा। राजनीति का स्तर इतना अधिक गिर चुका हैं कि मुख्यतः 2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के समय सोनिया , राहुल, प्रियंका , सलमान खुर्शीद,  गुलाम नवी, राशिद अल्वी , मनीष तिवारी, बेनीप्रसाद , इमरान , लालुयादव, मायावती व फारुक अब्दुल्ला आदि ने भी बहुत असभ्य भाषा में मोदी जी को अपमानित किया था । ‎मार्च, अप्रैल, मई  2014 के समाचार पत्रों में मोदी जी को अपमानित करने वाले ऐसे बहुत से कथन मिलेंगे जिनसे हमारी बहुलतावादी सामाजिक संस्कृति पर अत्यंत निंदनीय राजनैतिक प्रहार का पता चलता है। वैसे भी आज राष्ट्रवादी मोदी जी की योजनाओं व साहसिक निर्णयों से सारा विपक्ष बेरोजगार होता जा रहा हैं। इसीलिए वे सब मोदी जी को जब भी अवसर मिलता है कोसने से नही चूकते।
कांग्रेस के बुजूर्ग व थिंक टेंक के बड़े बुद्धिजीवी कहलाएं जाने वाले ये नेता अपनी ढलती आयु में भी कुछ पुण्य कार्य क्यों नही करना चाहते ? क्या महात्मा गांधी को अपना आदर्श मानने वाले कांग्रेसी नेता गांधी जी के उन तीन बंदरों में से एक “न बोल बुरा” मुंह बंद रखने वाले बंदर को भूल गये ? इससे पहले भी संम्भवतः  2013 में भी भारत सरकार के बड़े अधिकारी से राजनेता बनें मणिशंकर अय्यर ने मोदी जी के लिए “सांप”, “बिच्छू”, और “गंदा आदमी”  आदि के विशेषण भी प्रयोग किये थे।यह  वहीं मणिशंकर है जिन्होंने 1998 में बीजेपी के तत्कालीन वरिष्ठ नेता श्रीमान अटल जी को “नालायक” कहा था और ये शत्रु देश पाकिस्तान से व कश्मीरी अलगाववादियों से भी प्रेम बनाये रखने में विश्वास रखते है। ध्यान रहें कि मणिशंकर अय्यर ने अपनी दूषित मानसिकता का दर्शन कराते हुए केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद पाकिस्तानी टीवी चैनल को यह सुझाव भी दिया था कि पाकिस्तान व भारत के बीच शांति तब सम्भव है जब वर्तमान मोदी सरकार गिर जाए। उन्होंने पाकिस्तानी शत्रुओं से कहा कि वे भाजपानीत भारत सरकार को गिराने में उनकी सहायता करें। अगर उनके इस दुःसाहस को देशद्रोही कृत्य कहा जाय तो क्या अनुचित होगा ? ऐसे घृणित व्यक्ति को क्षमा मांगने या क्षमा करने का कोई महत्व ही नही। इनको कांग्रेस से निकालो या न निकालो कोई अंतर नही पड़ता, 2-4 माह में ये फिर अपने राजनैतिक रंग में आ जाते है। आज इन जैसे सैकड़ो-हज़ारों जयचंदों के कारण ही हमारा देश अनेक चुनौतियों से घिरा हुआ है।
राजनीति में उतार-चढाव व हार-जीत कालचक्र के समान स्थिर नही होती और न होनी चाहिये अन्यथा अधिनायकवादी प्रवृत्ति मन-मस्तिष्क को विवेकहीन करके आत्मघात के मार्ग पर ले जाती हैं । कांग्रेस के पतन का सबसे मुख्य कारण सोनिया गांधी के अयोग्य होने पर भी वर्षों से भोग रही सत्ता सुख का अहंकार ही तो है। वर्षों सत्ता का सुख भोगने वाले जब देश व जनता के लिए कुछ अच्छा नही करेंगे और अपने स्वार्थ में लगे रहेंगे तो उन्हें एक न एक दिन तो सत्ता से बाहर होना ही पड़ेगा। अतः लोकतंत्र में सामाजिक व राष्ट्रीय हित सर्वोपरि होता हैं। इसलिये राजमद में संविधान की शपथ किसी भी नेता को नही भूलनी चाहिये नही तो सत्ताहीनता की पीड़ा से तिलमिला रही सोनिया गांधी व उसकी मंडली के समान अन्य नेता भी कुछ ऐसे ही “बुरे बोल” बोलने  लग जाये तो कोई आश्चर्य नही ?

विनोद कुमार सर्वोदय

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