बिहार में मौत का डबल अटैक, जिम्मेवार कौन ?

बिहार में चमकी बुखार से मरने वाले बच्चों की संख्या
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 125 से अधिक हो चुकी है, जबकि मुजफ्फरपुर के
लोगों की मानें तो यहां सरकारी आंकड़ों से कई गुणा अधिक बच्चों की अबतक मौत
हो चुकी है। मुजफ्फरपुर के सबसे बड़े सदर अस्पताल में लगातार चमकी बुखार से
प्रभावित मासूम बच्चे पहुंच रहे हैं। इतना ही नहीं इस बीमारी से अभी भी लगातार
मौतें हो रही है। वहीं प्रचंड गर्मी की वजह और लू लगने से अब तक सूबे के कई
इलाकों में सैकड़ो लोग काल के गाल में समा चुके हैं। इतना ही नहीं इस बुखार की
चपेट में मुजफ्फरपुर के अलावे आस-पास के जिले सीतामढ़ी, बेगूसराय और
मोतिहारी में भी बच्चे इस बीमारी की चपेट में आने लगे हैं। इसको लेकर आम जनता
में भय की स्थिति बनी हुई है। वहीं बिहार में चढ़ते पारा के साथ लोगों का जीना
दुश्वार हो गया है। स्थिति यहां तक आ पहुंची है कि अब तक गया और औरंगाबाद में
लू लगने से मरने वालों की संख्या 100 को पार कर चुकी है।
चमकी बुखार से पीड़ित मासूमों की सबसे ज्यादा मौतें
मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच अस्पताल में हुई है। चमकी बुखार की रोकथाम को
लेकर अब तक जो भी प्रयास किए जा रहे हैं वो नाकाम साबित हो रहे हैं। केंद्रीय
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने रविवार को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले का दौरा किया
था, जहां पिछले एक पखवाड़े में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कारण
125 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है।
विशेषज्ञों की एक टीम ने पहले से ही इस बीमारी की एक
वजह लीची खाने को भी माना है। मगर सोचने वाली बात ये है कि जो भी
ज्यादातर मौतें हो रही है उ बच्चों का डिहाइड्रेशन लेबल बहुत ही खराब रहता है,
उनकी सेहत भी खराब रहती है, अतः ऐसा माना जा सकता है कि लीची से ज्यादा
गरीबी और कुपोषण भी बच्चों की मौत की वजह बन रही है। अगर सरकार ने
गरीबी और कुपोषण के लिए कारगर कार्य किए हैं तो फिर ये गरीबी और कमजोरी
देखने को क्यों मिल रही है। यह भी राज्य से लेकर केंद्र सरकार पर सवाल खड़ा कर
रहा है। यहां चमकी बुखार की वजह ढूंढ़ने की बजाए इसी को आधार बनाकर

रिसर्च करने की बात करके लोग अपना पल्ला भले ही झाड़ रहे हैं, मगर यह एक
गंभीर मसला जिसका हल निकालना भी जरुरी है। इस बीमारी से मरने वालों में
15 वर्ष आयु वर्ग तक के बच्चे शामिल हैं जबकि सर्वाधिक एक से सात साल के बीच
के बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। चिकित्सकों ने इसके लक्षण में बताया कि
तेज बुखार, उल्टी-दस्त, बेहोशी और शरीर के अंगों में रह-रहकर हो रहे कंपन
‘चमकी’ होना है।
इस पूरे मसले पर सरकार आनन-फानन में गंभीर रुख
अख्तियार करते हुए दिल्ली से लौटकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठकें की और
कई दिशा निर्देश जारी किए साथ ही आखिर इस बीमारी की वजह क्या है इसको
जानना बहुत जरुरी है। कहीं ऐसा तो नहीं कि चमकी के अलावे किसी अन्य बीमारी
से भी बच्चे हताहत हो रहे हैं। इसके लिए बच्चों के अभिभावकों को भी तत्पर रहना
होगा कि अपने बच्चों को इतनी कड़ी धूप में घर से बाहर निकलने न दें औऱ बच्चों पर
नजर बनाए रखें।
लगातार हो रहे बच्चों की मौत के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य
मंत्री हर्षवर्धन, स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल
पांडेय ने दौरा किया। इस बीमारी के इलाज के लिए केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि
मुजफ्फऱपुर में एईएस के लिए एक रिसर्च सेंटर खोली जाएगी, ताकि आए दिन
फैलने वाली इस बीमारी का पता चल सके और सही समय पर इलाज किया जा
सके। लेकिन इसी बीच एक मामला और है कि मुजफ्फरपुर सीजेएम कोर्ट में केंद्रीय
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के खिलाफ
मुकदमा दायर किया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी को ओर से दायर
इस मुकदमे में 24 जून को सुनवाई भी होनी है। बिहार में एक तरफ चमकी बुखार
से बच्चों की लगातार मौत हो रही है वहीं लू लगने से सैकड़ो लोगों की हुई मौत ने
बिहार के लोगों की नींद उड़ा रखी है। अब ऐसे में सोचने का विषय यह है कि
बिहार में मौत के डबल अटैक के लिए किसे जिम्मेवार माना जाए।

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