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डॉ. मधुसूदन की कविता/ बुखारी जी से... - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
आप की नमाज में ”नम” धातु, है, ”देव वाणी” का। और ”आमीन” हमारे ॐ का अपभ्रंश है। - ”बिरादर” आपका, हमारा ”भ्रातर” है। ”कारवाई” आपकी, हमारी ”कार्यवाही” है। - मोहबत में भी मोह (प्रेम) भी तो, उधार हमारा है। - मक्का करते ही हो ना प्रदक्षिणा, और काबा का पत्थर…