प्रदेश कांग्रेस कार्यालय की कुर्की करने पहुंचे डीटीसी के अधिकारी

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congress दिल्ली प्रदेश कांग्रेस और शीला सरकार एक बार फ़िर आमने सामने है । बात इतनी बिगड़ गई है कि प्रदेश कार्यालय की कुर्की-जब्ती की नौबत आ गई । मामला डीटीसी का बकाया राशिः न चुकाए जाने का है । डीटीसी बसों के किराये को चल रहे विवाद में न्यायालय ने कुर्की का आदेश दिया । न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए डीटीसी अधिकारीगण दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित प्रदेश कार्यालय ‘राजीव भवन ‘ आ धमके । जमकर हंगामे के बाद कुर्की तो नहीं हो पाई परन्तु ,प्रदेश कांग्रेस की इज्जत जरुर नीलाम हो गई !

दरअसल २० साल पहले कांग्रेस ने एक रैली में डीटीसी बस का इस्तेमाल किया था जिसका २ लाख ६८ हज़ार रुपया उन्होंने नहीं चुकाया । वर्तमान में कर्ज बढ़कर ५ लाख से ज्यादा हो चुका है । यह कोई पहला मामला नहीं है जब राजनितिक दलों द्वारा सार्वजनिक उपक्रमों का निजी स्वार्थ में इस्तेमाल किया गया है । दूरसंचार निगम , नगर निगम ,जल बोर्ड , बिजली बोर्ड और भी न जाने कितने सरकारी साधनों का उपभोग बगैर शुल्क चुकाए होता रहा है । इस तरह के मामले में न्यायालय के आदेशों की धज्जियाँ खुले आम उडाई जाने पर भी कुछ नहीं हो पाता है । संगठित भ्रष्टाचार का इससे बड़ा उदाहरण शायद ही कहीं मिले । जनप्रतिनिधि ही जब जनता की पूंजी खाने लगे तो देश का क्या होगा ? अभी-अभी संपन्न हुए आम चुनावों में स्विस बैंक के काले धन की वापसी को लेकर खूब उठापटक हुई थी ।विदेशी संस्थाओं में जमा काले धन की वापसी , हवाला के सहारे भ्रमण कर रहे पैसों पर लगाम लगाने की बात तो दूर की कौडी है , पहले अपने देश में चल रही अनियमितताओं का कुछ किया जाए ! सत्ताधारी दल अपनी जिम्मेवारी निभाने के बजाय ख़ुद भी इस दलदल में फंसी दिखती है । ऐसे में भ्रष्टाचार एक सामाजिक जरुरत बनता हुआ दिख पड़ता है ।

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