दशहरा

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अधर्म पर धर्म की ,
असत्य पर सत्य की ,
बुराई पर अच्छाई की ,
पाप पर पुण्य की ,
अज्ञान पर ज्ञान की,
अत्याचार पर सदाचार की,
क्रोध पर क्षमा की,
पराएपन पर अपनेपन की ,
दूरियों पर नज़दीकियों की ,
नफरत पर प्रेम की,
बेशर्मी पर शर्म की ,
अनादर पर आदर की, नकारात्मकता पर सकारात्मकता की ,
क्रोध ,लोभ ,अहंकार ,वासना आदि दुर्गुणों पर सद्गुणों की,
संवेदनहीनता पर संवेदनशीलता की ,
पशुत्व पर मनुष्यता की,
दुख पर सुख की,
निराशा पर आशा की ,
अंधकार पर प्रकाश की,
असुरत्व पर सुरत्व की,
रावणत्व पर रामत्व की विजय का त्योहार है दशहरा । केवल रावण के पुतले को ही न जलाएं अपने अंदर छुपी रावण रूपी बुराइयों को भी भस्मीभूत करें ।
सिर्फ अपने लिए ही ना जिएं औरों के लिए भी जिएं। प्रभु राम का सम्पूर्ण जीवन परिवार, समाज और राष्ट्र के हित के लिए समर्पित रहा। उनका जीवन व्यक्तिगत हित के लिए नहीं था। केवल व्यक्तिगत
जीवन जीने वाले हमेशा अकेले होते हैं, औरों के लिए समर्पित जीवन सम्पूर्ण समाज का होता है। मनुष्य जीवन के लिए यही श्रेष्ठ रास्ता है।

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