भारत सरकार ने दिल के बाद अब घुटनों की सर्जरी भी सस्ती कर दी है। इससे उन लाखों बुजुर्गों को लाभ होगा, जो कई साल से घुटना बदलवाना चाहते थे; पर शर्मा जी को लग रहा है कि इसके पीछे सरकार का कोई छिपा एजेंडा जरूर है। कल जब मैं उनके साथ चाय पी रहा था, तो वे इसी बात पर बहस करने लगे।
– ये वैसे तो ठीक है; पर पूरी तरह ठीक नहीं है।
– शर्मा जी, आपकी ये उलटबासी समझ से बाहर है। ठीक तो है; पर पूरी तरह ठीक नहीं है..?
– और क्या ? मोदी सरकार स्वास्थ्य के मामले में इतनी तेजी क्यों दिखा रही है ?
– शर्मा जी, आपके सुपर नेता तो कह रहे हैं कि सरकार की गति हर मोर्चे पर धीमी है।
– हां, वो भी ठीक कह रहे हैं और मैं भी।
– फिर वही उलटबासी..? साफ-साफ बताइये, आप कहना क्या चाहते हैं ?
– देखो वर्मा, तुम राजनीति के मामले में मेरे सामने अभी बच्चे हो। इसलिए इन बातों की गहराई नहीं समझोगे। इस समय भारत एक अजीब दौर से गुजर रहा है। मोदी और शाह की जोड़ी ने राजनीतिक अखाड़े के सब नियम बदल दिये हैं। ये भी उसी खेल का हिस्सा है।
– शर्मा जी, आप भी कैसी बात कर रहे हैं। दिल और घुटने के इलाज का राजनीति से क्या लेना-देना है ?
– यही तो रहस्य है। पहले मोदी ने दिल में लगने वाले स्टंट को सस्ता किया। इसका लाभ उठाकर लाखों लोगों ने ऑपरेशन करा लिये। अब ये सब मोदी के गुण गा रहे हैं। आदमी का दिल ही बदल गया, तो फिर क्या बाकी रहा; कुछ समझे ?
– कमाल है शर्मा जी। ये तो सोचने का बिल्कुल नया दृष्टिकोण है। शायद ये बाबा रामदेव के स्वर्णप्राश का चमत्कार है, जो आप आजकल सुबह-शाम गोमाता के दूध के साथ ले रहे हैं। मेरे दिमाग की दौड़ तो यहां तक नहीं है।
– बेकार की बात मत करो। मोदी का बस चले तो वे बूढ़ों क्या, जवानों के दिल में भी स्टंट डलवा दें। फिर तो सब तरफ उनकी ही जय-जयकार होने लगेगी। मेरे भी बाल पक गये हैं; पर ऐसा स्टंटबाज मैंने कभी सरकस में भी नहीं देखा। पता नहीं, मोदी के दिमाग में क्या-क्या योजनाएं अभी बाकी हैं।
– ये तो मोदी ही जानें; पर अब घुटने बदलना भी सस्ता हो गया है। इससे भी लाखों लोगों को फायदा होगा।
– वर्मा जी, ये बात जितनी सरल लग रही है, उतनी है नहीं। असल में अमित शाह ने तय कर रखा है कि चाहे जैसे भी हो; पर विरोधियों के घुटने जमीन पर लगवाने हैं। जो आसानी से नहीं मानेेगा, उसके घुटने वे चुनाव में तुड़वा देंगे। बंगाल के स्थानीय निकाय चुनाव में उन्होंने अपने मजबूत घुटनों के बल पर कम्यूनिस्टों को पछाड़ दिया है। अब उनका निशाना ममता बनर्जी है।
– ये तो हर राजनीतिक दल का लक्ष्य होता है ?
– पर शाह की तकनीक अलग है। जिस राज्य में वे जाते हैं, वहां दो-चार लोग घुटने टेक ही देते हैं। मतलब एकदम साफ है, राजनेता आसानी से टेकें या जबरदस्ती; पर इस प्रक्रिया में उनके घुटने खराब होंगे ही। बस, इसीलिए सस्ते घुटने बदलने की योजना लागू की गयी है। जिससे सब इसका लाभ उठाकर जल्दी से घुटने टेक दें।
– यानि ये योजना अमित शाह की है।
– बिल्कुल। ये बात मैं अपने नेतृत्व को कब से कह रहा हूं कि इस डिजिटल युग में कुछ नये तरीके से सोचो; पर वे सुनने को तैयार ही नहीं हैं।
– शर्मा जी, आपकी पार्टी में क्या, पूरे विपक्ष के पास इस समय नेतृत्व है ही कहां ? हर कोई खुद को सबसे बड़ा नेता माने बैठा है। देश भर में प्रधानमंत्री पद के 365 दावेदार हैं। झोली में नहीं दाने, अम्मा चली भुनाने।
– तो इसका इलाज क्या है वर्मा ?
– वही, जो आपने अभी बताया। या तो वे अपना दिल बदल कर मोदी के साथ हो जाएं; वरना आज नहीं तो कल, शाह उनके घुटने टिकवा देंगे।
शर्मा जी ने ये सुनकर कुछ जवाब नहीं दिया। आज सुबह पता लगा कि उन्होंने भी दिल और घुटने की सर्जरी के लिए अस्पताल में नाम लिखवा दिया है।
– विजय कुमार,