अनुपम सक्सेना
बहुत सी बातें
ऐसी होती हैं
जो अनकही रह जाती हैं
कई प्रश्न
ऐसे होते हैं
जो अनुत्तरित रह जाते हैं
बहुत कुछ पकड़ने की कोशिश में
कुछ चीजें छूट जातीं हैं
कुछ सच ऐसे होतें हैं
जिन पर पर्दा डाल दिया जाता है
इन्ही अनकहे अनुत्तरित
छूटे हुए सच की
मैं प्रतिध्वनि हूँ ।
नया कलेवर
मैने कविता को
फूलो के जल से स्नान कराया
और इत्र का सुगंधित लेप लगा
हुजूर के दरबार में भेजा
कविता का आत्म गौरव
हुजूर को नागवार गुजरा
उन्होने कविता की चोटी पकड़
उसे फर्श पर पटक दिया
और उसके कपड़े फाड़ दिये
हुजूर के विचार थे कि
कविता में आत्मसम्मान और स्वाभिमान
नहीं होना चाहिए
कविता सामन्तों के मनोरंजन का साधन है
इसलिए उसके फटे कपड़ों से दिखते अंग
सौदर्य और आनन्द की अनुभूति करातें हैं
फिर मैने कविता को
नया कलेवर पहनाया
और उसके हाथ में तलवार थमा
उसे जनता को समर्पित कर दिया.