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सत्य का ग्रहण और असत्य का त्याग ही मनुष्य का धर्म है - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
किसी विषय पर यदि दो बातें हैं, इनमें हो सकता कि एक सत्य हो और दूसरी असत्य या दोनों ही असत्य भी हो सकती हैं। ऐसी स्थिति में सत्य इन दोनों बातों से भिन्न हो सकता है। सत्य विचारों, सिद्धान्तों और मान्यताओं से जीवन में लाभ होता है और असत्य…