समाज में सेवा से संबल दे रहा एकल

कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने देश को झकझोर कर रख दिया है। क्या सरकार, क्या सिस्टम और क्या समाज; शुरूआती दौर में सभी इसके समक्ष बेबस हो गए थे। चूँकि इस लहर की तेजी का किसी को अनुमान नहीं था अतः महामारी की रोकथाम को लेकर कई स्तर पर विसंगतियां दिखीं। लोगों ने अपने स्वजनों को खोया, समाज ने सुधारकों को और देश ने विभूतियों को अंतिम विदाई दी। जैसे-जैसे संसाधन जुटे इस महामारी से लड़ाई में भी तेजी आई। किन्तु अब यह महामारी शहरों से निकलकर गाँवों-देहातों तक पहुँच गई है। सरकारें अपने स्तर पर प्रयत्नशील हैं कि गाँव में महामारी विकराल रूप धारण न कर पाये किन्तु सुदूर वनवासी अंचलों में स्थित कस्बे जहाँ सरकार की सीमित पहुँच है वहां एकल ने समाज के साथ मिलकर अपनों को सुरक्षित करने की पहल शुरू की है। देश भर में वनवासी अंचलों में शिक्षा के लिये अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संगठन एकल के आरोग्य फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने महामारी से पीड़ित लोगों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जिसपर 20 मई, 2021 तक 1,376 कॉल्स आईं जिनका निराकरण किया गया। वहीं सुदूर अंचल में कार्यकर्ताओं के माध्यम से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से 897 मरीजों का निरीक्षण किया गया। जहाँ इन्टरनेट की सुविधा नहीं है वहां कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित कर भेजा गया और उन्होंने ग्रामीणों को निरीक्षण किया। कुल 1,63,141 गाँवों में दीवारों पर हेल्पलाइन नंबर व कोरोना से बचाव तथा उसके प्रारंभिक उपचार को लिखकर ग्रामवासियों को जागृत किया जा रहा है।

इतना ही नहीं, एकल के सेवाव्रती व जीवनव्रती कार्यकर्ता अपने-अपने स्तर पर गाँवों को कोरोना महामारी से बचाने में लगे हुए हैं। ग्राम के एकल शिक्षक के माध्यम से ग्रामवासियों को मास्क, सेनिटाईजर व दो गज दूरी के नियम का पालन करवाया जा रहा है। एकल की पहल से ग्रामवासियों ने स्वयं ही पूरे गाँव को सील कर दिया है। यदि कोई बाहरी व्यक्ति गाँव में प्रवेश करता है तो उसकी जांच की जाती है तथा बहुत आवश्यक होने पर ही उसे गाँव में प्रवेश करने दिया जाता है। गाँव में प्रवेश के बाद भी उक्त बाहरी व्यक्ति को 15 दिवस के लिए आइसोलेट किया जा रहा है। यदि किसी ग्रामवासी को कोरोना के लक्षण दिखते हैं अथवा उसकी तबीयत बिगड़ती है तो तत्काल स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क कर उसे चिकित्सा उपचार दिलाया जाता है। एकल ग्राम प्रमुख आस-पास के बड़े कस्बों के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से संपर्क स्थापित कर किसी भी आपातकालीन स्थिति के लिए तैयार रहते हैं। आरोग्य विभाग की सेविकाओं द्वारा गाँव-गाँव में आयुष काढ़े का घर-घर प्रचार-प्रसार करने के साथ ही उसके वितरण की व्यवस्था भी की जा रही है। सेविकाओं द्वारा ग्रामीणों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकास हेतु योग व प्राणायाम एवं पंचामृत के प्रयोग पर बल दिया जा रहा है। एकल ग्रामोत्थान विभाग द्वारा कोरोना सुरक्षा कवच के बैनर द्वारा जागरूकता का कार्य किया जा रहा है।

एकल ग्रामोत्थान के कुल पांच महिला सशक्तिकरण केन्द्रों पर मास्क निर्माण का कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है। अभी तक कुल 42,300 मास्क निर्मित हो चुके हैं जिनमें से 25,500 मास्क का गाँवों में वितरण किया जा चुका है। इसके अलावा दिल्ली समिति के माध्यम से ताइवान के प्राप्त एक लाख मास्क का वितरण 21 मई, 2021 से आरम्भ हो चुका है। गाँव के सेनिटाईजेशन से लिए लंग केयर फाउंडेशन, दिल्ली के माध्यम से प्रारंभिक शुरुआत में एकल के पांच हजार गाँवों में दवा कीट का वितरण किया जा चुका है। इसकी संख्या बढाई जा रही है। गाँवों में टीकाकरण को लेकर जागरूकता आये व अधिक संख्या में ग्रामवासी टीकाकरण करवाएं इस हेतु 2,91,444 पेम्फलेट व पोस्टर गाँव-गाँव में बांटे गए हैं। इसमें सख्त लॉकडाउन के चलते दक्षिण भारत व पंजाब शामिल नहीं है। ग्रामोत्थान एवं सरकारी सहयोग से तिनसुकिया ग्रामोत्थान अनुसन्धान केंद्र पर अब तक 724 ग्रामवासियों का टीकाकरण हो चुका है। एकल सेवा केंद्र ने आइसोलेशन सेंटर बनाकर उपचार की समुचित व्यवस्था की है। एकल ग्रामोत्थान अनुसंधान केंद्र जरंग्लोई, झर्शुगुडा, करंजो (चक्रधरपुर), सोनगढ़, तिनसुकिया, गजरौला, नैमिषारण्य, खंडोली (गिरिडीह), खरगोन, उच्चैन में 100 आइसोलेशन बेड की व्यवस्था की गई है। ये सभी ग्रामोत्थान अनुसन्धान केंद्र आसपास के ग्रामों का जीवन बन चुके हैं। इसके इतर दुम्मा (देवघर), दाहोद, डंग, देदियापारा (नर्मदा) व मथुरा के आईवीडी केंद्र पर 30 बिस्तरों के आइसोलेशन सेण्टर का निर्माण किया गया है। इसी प्रकार छोटा उदयपुर, अयोध्या, गुमला (विशुनपुर) व तीतरों (सहारनपुर) के छोटे केन्द्रों पर भी 25 बिस्तरों के आइसोलेशन सेण्टर की व्यवस्था की गई है। इन सभी आइसोलेशन सेंटरों 26 कोरोना पीड़ितों को भर्ती किया गया है जिनमें से मात्र एक गंभीर पीड़ित को शहर के बड़े अस्पताल में भर्ती करवाया गया है। शेष सभी स्वस्थ हैं। उपरोक्त केंद्रों के अतिरिक्त वनबंधु परिषद, कोलकाता द्वारा आईएलएस अस्पताल तथा हवेली होटल के सामूहिक सहयोग से एकल आइसोलेशन सेंटर शुरू किया गया है जिसमें कोविड मरीजों के लिए समस्त आवश्यक सुविधायें उपलब्ध हैं।

एकल ग्रामों को डायग्नोस्टिक सपोर्ट भी उपलब्ध करवा रहा है। इसके अंतर्गत एकल विद्यालय फाउंडेशन ऑफ अमेरिका के सहयोग से भारत से कुल 5,000 गाँवों में वितरण हेतु एक-एक यूनिट ऑक्सीमीटर व थर्मामीटर उपलब्ध करवाया गया है जिसका वितरण शुरू हो चुका है। इसकी भी संख्या बढाने के प्रयास किये जा रहे हैं। एकल आरोग्य योजना के माध्यम से आरोग्य संसाधन केंद्र के कुल 1,230 ग्रामों में ऑक्सीमीटर व थर्मामीटर वितरित किये जा चुके हैं। एकल ने ग्रामों को इस महामारी से बचाने के लिए अन्य सामाजिक संस्थाओं का सहयोग भी प्राप्त किया है। आयुष विभाग की साझेदारी में एकल आरोग्य योजना द्वारा 21 मई से 21 जून, 2021 (अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस) तक एक माह प्रतिदिन एक घंटे वर्चुअल योग शिविर का आयोजन किया जा रहा है। जिस ग्राम में इन्टरनेट की सुविधा नहीं है वहां इसकी रिकॉर्डिंग को दिखाकर ग्रामवासियों को योग के प्रति जागरूक किया जाता है। सेवा भारती द्वारा दिल्ली में 18 कोविड हेल्थ केयर सेंटर का शुभारभ हुआ है जिसमें एकल द्वारा सहयोग हेतु प्रत्येक केंद्र में दो-दो कार्यकर्ता समेत कुल 36 कार्यकर्ता नियुक्त हुए हैं। इसके अलावा लंग केयर फाउंडेशन, दिल्ली के डॉक्टर्स द्वारा एकल के कार्यकर्ताओं को नियमित अंतराल पर कोरोना से बचाव के सुझाव दिए जाते हैं जिसे कार्यकर्ता ग्रामवासियों के साथ साझा करते हैं।

विश्व हिन्दू परिषद् के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रद्धेय श्री अशोक सिंघल जी ने एकल के विषय में कहा था, ‘समाज के हाथ में ब्रह्मास्त्र लग गया है, जिसका नाम एकल विद्यालय है। इसके माध्यम से हम देश की सारी समस्याओं का समाधान करेंगे।’ उनका कथन एकल ने शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए अपना मूलमंत्र बनाया था किन्तु इस कोरोना महामारी के कालखंड में उनके इस कथन ने एकल कार्यकर्ताओं में जोश भरते हुए समाज को सेवा के माध्यम से संबल देने का मार्ग दिखाया है। गाँवों को कोरोना से बचाना ही एकल का एकमेव लक्ष्य बन गया है।

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सिद्धार्थ शंकर गौतम
ललितपुर(उत्तरप्रदेश) में जन्‍मे सिद्धार्थजी ने स्कूली शिक्षा जामनगर (गुजरात) से प्राप्त की, ज़िन्दगी क्या है इसे पुणे (महाराष्ट्र) में जाना और जीना इंदौर/उज्जैन (मध्यप्रदेश) में सीखा। पढ़ाई-लिखाई से उन्‍हें छुटकारा मिला तो घुमक्कड़ी जीवन व्यतीत कर भारत को करीब से देखा। वर्तमान में उनका केन्‍द्र भोपाल (मध्यप्रदेश) है। पेशे से पत्रकार हैं, सो अपने आसपास जो भी घटित महसूसते हैं उसे कागज़ की कतरनों पर लेखन के माध्यम से उड़ेल देते हैं। राजनीति पसंदीदा विषय है किन्तु जब समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का भान होता है तो सामाजिक विषयों पर भी जमकर लिखते हैं। वर्तमान में दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, हरिभूमि, पत्रिका, नवभारत, राज एक्सप्रेस, प्रदेश टुडे, राष्ट्रीय सहारा, जनसंदेश टाइम्स, डेली न्यूज़ एक्टिविस्ट, सन्मार्ग, दैनिक दबंग दुनिया, स्वदेश, आचरण (सभी समाचार पत्र), हमसमवेत, एक्सप्रेस न्यूज़ (हिंदी भाषी न्यूज़ एजेंसी) सहित कई वेबसाइटों के लिए लेखन कार्य कर रहे हैं और आज भी उन्‍हें अपनी लेखनी में धार का इंतज़ार है।

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