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खाली हाथ - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
सारी रात नींद आँखों से कोसों दूर है ख्‍यालों का पुलिंदा मधुर पल की चाह में एक पल के लिये जीने को उत्‍सुक है। नितांत अकेला, कुर्सी पर बैठा आदमी विचारों में ड़ूबा तलाश रहा है उस पल को और वह मधुर पल उसके हाथों से खिसक कर बहुत दूर…