चैंपियन के एक युग का अंत ?

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-रवि कुमार छवि-
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ब्राजील में चल रहे फीफा विश्व कप में गत चैंपियन स्पेन के बाहर होते ही अटकले शुरू हो गई कि क्या स्पेन की बादशहत के एक युग का अंत हो गया। क्या इस यूरोपीय टीम का मिडास टच खो गया। हालांकि इस तरह की हार से किसी भी टीम के भविष्य पर सवाल करना बेमानी होगी। स्पेन ने जिस तरह से खेल दिखाया वो उसके विश्व चैंपियन और यूरो चैंपियन होने पर सवालिया निशना लगाता है। करीब एक दशक से फुटबॉल विश्व जगत पर धाक जमाए हुए स्पेन के इस शर्मनाक प्रदर्शन से ना सिर्फ उनके करोड़ों फैंस बल्कि कई दिग्गज भी हैरान हैं। विश्व कप शुरू होने से पहले सट्टा बाजार में स्पेन को खिताब का प्रबल दावेदार बताया जा रहा था. लेकिन टीम को अपनी आत्ममुग्धता का खामियाजा का भुगतना पड़ा.

स्पेन जिस तकनीक के सहारे फुटबॉल में महाशक्ति बनी वही उसकी कमजोरी बन गई। पूरे मैच में गेंद को ज्यादा से ज्यादा समय अपने पास रखे रहो. आगे बढ़ाओ, पीछे लौटाओ और टिकी टाका करते रहो. बीच-बीच में गेंद को विपक्षी टीम को पेनल्टी एरिया तक ले कर जाओ और वहां भी टिकी टाका करते रहो. ये इस टीम की खेल की शैली थी लेकिन टीम की यही खासियत उसे ले डूबी जिस पासिंग तकनीक और बेहतरीन मूवमेंट के कारण स्पेन की टीम को इतनी सफलता मिली वो इस विश्व कप में नदारद दिखी. 2010 के वर्ल्ड कप में स्पेन की रणनीति रहती थी कि किसी न किसी मौके पर दूसरी टीम गलती करेगी और टीम एक गोल करके जीत जाएगी. स्पेन की यह रणनीति खासी सफल रही थी. स्पेनिश क्लब बार्सिलोना की पदचिह्नों पर चलते हुए स्पेन वर्ल्ड चैंपियन बन गया था. अगले एक दो साल और टिकी टाका स्टाइल चला. लेकिन अब धीरे धीरे बाकी टीमें इसे समझने लगी थीं. यूरो 2012 के फाइनल में पुर्तगाल ने स्पेन को रुला कर रख दिया था. नतीजा पेनल्टी और भाग्य ने तय किया. पुर्तगाल का एक शॉट गोलपोस्ट से टकराकर बाहर चला गया और स्पेन का ऐसा ही शॉट गोल में बदल गया. स्पेन के लिए यह पहली चेतावनी थी, जिसे अनदेखा किया गया.

उसके कप्तान और गोलकीपर इकेर कैसिलास का साधारण प्रदर्शन भी स्पेन के बाहर होने का एक कारण बना। उन्होंने जिस तरह से नीदरलैंड और चिली के खिलाफ खेल दिखाया उससे वो निसंदेह अपनी टीम के लिए विलेन बन गए। इस विश्व में स्पेन के खिलाड़ी थके से थके नज़र आ रहे थे. वे अपने 2010 के प्रदर्शन के आस-पास, कहीं भी नहीं थे. इसके अलावा टीम के चयन पर भी सवाल खड़ा हुआ डेविड विला को ज्यादा मौके नहीं मिले तो अटैकिंग की जिम्मेदारी एटलेटिको मैड्रिड के डियेगो कोस्टा को दी गई, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहद औसत स्ट्राइकर माना जाता है. बेहद अटैकिंग फुटबॉल खेलने वाले कोस्टा राष्ट्रीय टीम में बार्सिलोना के टिकी टाका खिलाड़ियों के साथ फिट नहीं बैठ पाए.

यहां तक कि स्पेन टूर्नामेंट के पहले चरण से बाहर होने वाली चौथी टीम बनी जो चैंपियपन होते हुए पहले दौर में बाह हो गई। ये निश्चित रुप से एक निराशाजनक रिकार्ड हैं। स्पेन को अपने घर जाकर अपनी खामियों पर काम करना होगा जिसके कारण उन्हें इस फुटबॉल के महाकुंभ से विदा लेना पड़ा। सिर्फ यहीं नहीं अगर उन्हें फिर से इस खेल की महाशक्ति बनना है तो कुछ कड़े कदम उठाने होंगे अन्यथा स्पेन टीम को सिर्फ एक रिकार्ड बुक में लिए याद किया जाएगा.

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