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सरकारें चाहें तो नशे का कारोबार उस तरह फल फूल नहीं सकता जिस तरह फल फूल रहा है . . . - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
लिमटी खरे एक समय था जब राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित किया करते थे, तब लोग पूरे ध्यान से उनकी बातें न केवल सुना करते थे, वरन उसे अमल में भी लाया करते थे। कालांतर में सियासी दावपेंचों के कारण सब कुछ पहले जैसा नहीं रह गया है। अब राजनेताओं के…
लिमटी खरे