तुम्हारी भी जय जय हमारी भी जय जय

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ए एन शिबली

महेंदर सिंह धोनी की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम जब दक्षिण अफ्रीका के दौरा पर जा रही थी तो हर किसी ने यही कहा था कि यह दौरा धोनी के लिए एक बहुत बड़ा चैलेंज है और देखना यह है कि धोनी भी दूसरे कप्तानों की तरह ही दक्षिण अफ्रीका में फ्लॉप रहते है या फिर जिस प्रकार वो धीरे धीरे दूसरे देशों में सफलता के झंडे गाड़ रहें हैं वैसे ही दक्षिण अफ्रीका में भी डालेंगे या नहीं। चूंकि सचिन तेंडुलकर, राहुल द्रविड़ और वी वी एस लक्ष्मण जैसे बड़े खिलाड़ी दक्षिण अफ्रीका में पहले बहुत सफल नहीं रहे थे इस लिए यह डर तो बना ही हुआ था कि कहीं धोनी का हश्र भी दूसरे भारतिए कप्तानों की तरह न हो जाए। मगर नतीजा जब सामने आया तो साबित हो गया कि धोनी की टीम सिर्फ अपने देश में ही शेर नहीं है बल्कि अपने देश से बाहर और वो भी दक्षिण अफ्रीका जैसे देश में भी शानदार खेल पेश कर सकती है। धोनी के जांबाज़ों ने बेहतरीन खेल पेश कर के न सिर्फ सिरीज़ ड्रा कराई बल्कि नंबर वन का ताज भी बरकरार रखा।

पहले टेस्ट की पहली पारी में जब भारत की टीम मात्र 136 रन के स्कोर पर आउट हो गयी तो ऐसा लगा कि भारत के बल्लेबाज़ों के लिए दक्षिण अफ्रीका के तेज़ गेंदबाजों को झेलना आसान नहीं होगा मगर दूसरी पारी में भारतिए बल्लेबाज़ों ने शानदार बल्लेबाज़ी की और 459 रन बना कर बता दिया कि इस बार हम इतनी आसानी से घुटने टेकने वाले नहीं हैं। यह अलग बात है कि भारत को पहले टेस्ट में पारी के अंतर से हार का मुंह देखना पड़ा मगर दूसरे टेस्ट में 87 रन से जीत हासिल कर के भारत ने बता दिया कि इस बार हमारा इरादा कुछ और ही है। तीसरा टेस्ट जब शुरू हुआ तो भारत के लिए पहली चुनौती तो यह थी कि टेस्ट बचा कर पहली बार दक्षिण अफ्रीका में सेरीज़ ड्रा खेली जाये मगर जब टेस्ट शुरू हुआ और जैसे जैसे आगे बढ़ा इस टेस्ट में भारत की पोजीशन बेहतर होती चली गयी। भला हो जैक कलिस का जिन्‍होंने अस्वस्थ होने के बावजूद दोनों पारियों में शतक बना कर न सिर्फ दक्षिण अफ्रीका को मजबूत किया बल्कि एक बार तो भारत को ऐसे ड्रा दिया कि उसे हार भी हो सकती थी मगर कॅलिस की भांति ही ज़ख्मी गौतम गंभीर के कमाल से भारत ने इस टेस्ट को ड्रा करने में सफलता हासिल कर ली और इस तरह धोनी भारत के ऐसे पहले कप्तान बने जिन्हों ने दक्षिण अफ्रीका में सिरीज़ ड्रा करने में सफलता पाई। इस से पहले भारत की टीम जब भी दक्षिण अफ्रीका गयी उसे हार का ही सामना करना पड़ा। भारत की टीम सबसे पहले 1992-93 में मोहम्मद अजहरुद्दीन की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका गयी थी। तब उस दौरे पर 4 टेस्ट हुये थे जिन में से एक में दक्षिण अफ्रीका जीता था जबकि बाक़ी के तीन टेस्ट ड्रा रहे थे। 1996-97 में सचिन की कप्तानी में भारत ने दक्षिण अफ्रीका से दक्षिण अफ्रीका में 3 टेस्ट खेला। इस में से भारत को दो टेस्ट में हार मिली जबकि एक टेस्ट ड्रा रहा। 2001-02 में सौरव गांगुली की कप्तानी में भारत ने दक्षिण अफ्रीका में दो टेस्ट खेले जिस में से एक टेस्ट ड्रा रहा जबकि एक टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका को जीत मिली। 2006-07 में जब भारत की टीम दक्षिण अफ्रीका गयी तो भारत के कप्तान राहुल द्रविड़ थे। उस दौरे पर तीन टेस्ट हुये जिसमें से दो में भारत को हार मिली और एक टेस्ट में उसे जीत का सामना करना पड़ा। यानि कोई भी भारतीय कप्तान दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट सिरीज़ ड्रा नहीं करा सका। अब धोनी और उनके धुरंधरों ने यह सफलता हासिल कर ली है। कॅलिस ने मामला खराब कर दिया नहीं तो भारतिए टीम 2-1 से सिरीज़ जीतने के करीब पहुँच गयी थी। कुल मिलकर देखा जाये तो भारत के लिए यह दौरा सफल कहा जा सकता है। यह अलग बात है कि राहुल द्रविड़ और वीरेंदर सहवाग सफल नहीं रहे मगर इस के बावजूद यदि एक टीम के तौर पर भारत का प्रदर्शन देखा जाये तो उसे बेहतर कहा जा सकता है। यही कारण है कि कप्तान धोनी ने भी अपने खिलाड़ियों की प्रशंसा करते हुये कहा कि मुझे अपने खिलाड़ियों पर गर्व है। इस सिरीज़ में व्यक्तिगत प्रदर्शन की बात करें तो हालांकि सिरीज़ में सब से ज्यादाह 498 रन जॅक कॅलिस ने बनाए मगर यह सिरीज़ यदि किसी के लिए सबसे ज़्यादा यादगार रही तो वो सचिन रहे। सचिन ने इस सिरीज़ के दौरान अपने शतकों का अर्धशतक पूरा किया बल्कि अंतिम टेस्ट में भी शतक लगा कर वो टेस्ट में नंबर एक बल्लेबाज़ बन गए। सचिन ने इस सीरीज के तीन मैचों में 81.50 की औसत से 326 रन बनाए जिसमें 146 रन उनका उच्चतम स्कोर रहा। इस सिरीज़ में बेहतर खेल से उनहों ने दक्षिण अफ्रीका में अपने रिकार्ड में सुधार भी किया जो कि इस महान बल्लेबाज़ के लिए अब तक बहुत अच्छा नहीं था।

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