सबने एक दीप जलाना है घर मे |

0
475

सबने एक दीप जलाना है घर मे |
सब जगह प्रकाश हो जाएगा ||
सारे संसार से यह कातिल कोरोना |
स्वत: ही सम्पात हो जाएगा ||

बड़े दौर गुजरे है जिन्दगी में |
यह दौर भी रूक जाएगा ||
रोक लो अपने पावों को घरो में |
कोरोना का दौर भी थम जाएगा ||

माना कि,संघर्ष काफी विकट है |
किन्तु लक्ष्य भी काफी निकट है ||
पर संकल्प हम सबने निभाना है |
बाहर किसी को भी नहीं जाना है ||

कुछ अफ्बाहे नयी फैला रहे है |
कुछ पत्थर छतो से फैक रहे है ||
जो सेवा सुरक्षा उनकी करते है |
उन्ही को वे सब पत्थर मार रहे है ||

रावण मरा राम के बनवास से |
कंस मरा नन्द के कारावास से ||
हिरणाक्शय्प मरा झूठे विशवास से |
कोरोना मरेगा हम सबके गृहवास से ||

आर के रस्तोगी

Previous articleमहामारी पर भारी है सकारात्मकता
Next articleरामायण में त्याग मर्यादा और आदर्श की पराकाष्ठा
आर के रस्तोगी
जन्म हिंडन नदी के किनारे बसे ग्राम सुराना जो कि गाज़ियाबाद जिले में है एक वैश्य परिवार में हुआ | इनकी शुरू की शिक्षा तीसरी कक्षा तक गोंव में हुई | बाद में डैकेती पड़ने के कारण इनका सारा परिवार मेरठ में आ गया वही पर इनकी शिक्षा पूरी हुई |प्रारम्भ से ही श्री रस्तोगी जी पढने लिखने में काफी होशियार ओर होनहार छात्र रहे और काव्य रचना करते रहे |आप डबल पोस्ट ग्रेजुएट (अर्थशास्त्र व कामर्स) में है तथा सी ए आई आई बी भी है जो बैंकिंग क्षेत्र में सबसे उच्चतम डिग्री है | हिंदी में विशेष रूचि रखते है ओर पिछले तीस वर्षो से लिख रहे है | ये व्यंगात्मक शैली में देश की परीस्थितियो पर कभी भी लिखने से नहीं चूकते | ये लन्दन भी रहे और वहाँ पर भी बैंको से सम्बंधित लेख लिखते रहे थे| आप भारतीय स्टेट बैंक से मुख्य प्रबन्धक पद से रिटायर हुए है | बैंक में भी हाउस मैगजीन के सम्पादक रहे और बैंक की बुक ऑफ़ इंस्ट्रक्शन का हिंदी में अनुवाद किया जो एक कठिन कार्य था| संपर्क : 9971006425

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here