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उठाने होंगे अभिव्यक्ति के खतरे - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
बंशीधर मिश्र अब अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने ही होंगे तोड़ने होंगे मठ और गढ़ सब पहुंचना होगा दुर्गम पहाड़ों के उस पार... गजानन माधव मुक्तिबोध की ये पंक्तियां कई दशक पहले जिन संदर्भों में लिखी गई थीं, भले वे बदल गए हों पर हालात बिलकुल नहीं बदले। भले ही…