भारत की आंखें


—विनय कुमार विनायक
भारत की आंखें
बड़ी ही खूबसूरत होती है
भारत की आंखों में
ईश्वर की मोहिनी मूरत होती है
भारत की आंखों ने
देखी दिखाई दुनिया को
राम कृष्ण बुद्ध महावीर बनकर
भारत की आंखें
गुरु नानक,गोविंद,प्रताप,शिवाजी जैसी
भारत की आंखें त्रिनेत्र होती
भारत की आंखें
भूत, भविष्य, वर्तमान एक साथ देखती है
भारत की आंखें राम जैसी
राजीव नयन नयनाभिराम होती है
भारत की आंखें घनश्याम जैसी
खेल-खेल में मां को मुख में ब्रह्मांड दिखाती है
भारत की आंखें गोपाल कृष्ण जैसी
वृंदावन में गोप, गोपिका,धेनु को लुभाती है
भारत की आंखें युद्ध भूमि में
क्रुद्ध महाकाल का विश्वरुप बन जाती है
शांति काल में हंसता बुद्ध बनके
मंत्र मुग्ध कर जाती है
भारत की आंखें
हमेशा आर-पार परिणाम देखती है
भारत की आंखें अर्जुन जैसी
एकाग्रचित्त लक्ष्य अनुसंधान करती है
भारत की आंखें प्रताप जैसी
शब्द सुनकर शब्दभेदी बाण भेदती है
भारत की आंखें बड़ी सुन्दर होती है
देवबाला अप्सरा उर्वशी, मेनका,
दानवबाला हिडिंबा,नागकन्या उलूपी
कभी पुरुरवा, कभी विश्वामित्र,
कभी भीम,कभी अर्जुन की
मनोहर आंखों पर मोहित हो जाती है
भारत की आंखें
सदा नर्म व गर्म साथ-साथ होती
मगर कभी बेशर्म नहीं होती है
भारत की नर्म आंखें
अगर देखना हो तो देखो
अर्जुन की जिसने नरमी से
उर्वशी की शाप झेली थी
और अशोक पुत्र कुणाल की
जिसने खुद की आंखें विमाता की
कूट राजाज्ञा से निकलवा ली थी
भारत की आंखें वीरमदेव जैसी
जिसमें अलाउद्दीन की बेटी
फिरोजा की आंखें उलझ गई थी
भारत की आंखें
सदा से दूरदर्शी व दूरगामी होती है
भारत की आंखें स्वप्निल होती
पर बेपानी कभी नहीं होती है
भारत की आंखें
विश्व कल्याणी होती एक जैसी
बेगानी नहीं किसी की
कभी बेईमानी शैतानी नहीं करती है
भारत की आंखों ने
बुद्ध की करुणा,
महावीर की अहिंसा,
गुरु गोविंद का गुरूर सिरुर,
दयानन्द की दया,
विवेकानंद की धर्म व्याख्या
विश्व को दाय भाग में दी
भारत की आंखें
कातिल नहीं, बुजदिल नहीं
कभी आक्रांता बनकर
कत्ल नहीं करती किसी का
भारत की आंखों में
बसती है भारत का दिल
भारत की आंखें काली कजरारी
कि सुन्दरता तन में नहीं मन में होती
मन की सुन्दरता आंखों में छलकती है
भारत की आंखों में शर्म हया होती है
भारत की आंखें
जहां तक होती वहां मानवता बसती है
भारत की आंखें
दुनिया की हर भाषा को समझती है!

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