पाकिस्तान का एक और झूठ उजागर

सुरेश हिन्दुस्थानी
आतंकवाद को पोषित करने वाले देश के रुप में कुख्यात होने वाला पाकिस्तान सुधरने का नाम नहीं ले रहा। भारत के प्रति दुर्भाव रखने वाले पाकिस्तान की हर कार्यवाही किसी भी प्रकार से भारत पर दबाव बनाने की रहती है। ऐसा करते समय पाकिस्तान संभवत: यह भूल जाता है हमेशा दबाव की राजनीति करना किसी भी प्रकार से सही नहीं मानी जा सकती, एक न दिन सच्चाई का सामना करना ही होता है। झूठी कहानियां गढ़ना पाकिस्तान की फितरत में शामिल हो चुका है। पाकिस्तान को समझना चाहिए कि झूठ का कोई आधार नहीं होता, लेकिन पाकिस्तान झूठ को आधार बनाने का ही काम करता रहा है। इस बार पाकिस्तान का एक और झूठ सामने आया है। जिसमें उसने एक भारतीय व्यापारी को बिना सोचे समझे, जासूस बताने का षड्यंत्र किया है। पाकिस्तान ऐसा करके संभवत: भारत की स्वच्छ छवि को दुनिया के सामने बदनाम करने का प्रयास कर रहा है, लेकिन पाकिस्तान को चाहिए कि वह अपने गिरेबान में झांके और आत्म सुधार के मार्ग पर अग्रसर होने की कार्यवाही करे।
पाकिस्तान ने कुलभूषण सिंह जाधव को जिस प्रकार से भारतीय जासूस बताकर मौत की सजा सुनाई है, उससे तो यही प्रमाणित होता है कि पाकिस्तान अपने गुनाहों को छिपाने के लिए उसे जासूस बताने की असफल चेष्टा कर रहा है। कहते हैं किसी का गुनाह बताने के लिए जब उसकी तरफ अंगुली की जाती है तो हाथ की बाकी अंगुली उसकी स्वयं की तरफ होती हैं। यानी अंगुली करने वाले का दोष सामने वाले से चार गुना ज्यादा होता है, लेकिन जब किसी निरपराध की तरफ इस प्रकार की कार्यवाही की जाती है तो स्पष्ट तौर पर यह स्वयं के दोष को छिपाने का षड्यंत्र ही कहा जाएगा। पाकिस्तान का चरित्र एक बार फिर सबके सामने है। इस बार हालांकि उसका दोष पिछली बार की अपेक्षा कहीं ज्यादा है, क्योंकि जिस कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान जासूस की संज्ञा दे रहा है, वह व्यापार करने के लिए ईरान गया था और ईरान सरकार की जांच में उसके बारे में कोई भी ऐसा प्रमाण नहीं मिला, जो उसे जासूस सिद्ध करता हो। इतना ही नहीं कुलभूषण जाधव के दस्तावेजों से भी यह प्रमाणित नहीं हो रहा है कि वह जासूस है। ऐसे में पाकिस्तान ने किस आधार पर कुलभूषण को मौत की सजा दी है, इस पर सवाल उठने लगे हैं। भारत सरकार ने भी इस मामले में अपनी जबरदस्त प्रतिक्रिया दी है। सरकार ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि उसे बिना प्रमाण के सजा दी तो यह पूर्व नियोजित हत्या ही मानी जाएगी। बात सही भी है, क्योंकि कुलभूषण के पास ऐसा कुछ भी नहीं मिला, जो उसे जासूस प्रमाणित करता हो। इस बात को पाकिस्तान भी अच्छी तरह से जानता है कि कुलभूषण जासूस नहीं, व्यापारी है, पाकिस्तान की नजर में कुलभूषण का दोष केवल इतना ही है कि वह भारतीय है।
इसके विपरीत भारत की बात की जाए तो दोनों देशों के व्यवहार के बारे में जमीन आसमान का अंतर दिखाई देता है। जहां भारत ने साक्ष्य होने के बाद भी किसी भी पाकिस्तान के जासूस को मौत की सजा नहीं दी। इससे स्पष्ट होता है कि भारत हमेशा से शांति के मार्ग पर बढ़ा है, लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा ही अशांति का वातावरण पैदा किया, इतना ही नहीं भारत में लगातार अशांति फैलाने में पूरा योगदान दिया। यहां तक कि भारत में आतंकी गतिविधियों का संचालन करने वालों को भी पाकिस्तान ने पूरा संरक्षण दिया। सारी दुनिया को यह बात पता है कि दाऊद इब्राहिम और हाफिज सईद जैसे खुखार आतंकी आज भी पाकिस्तान के आका की भूमिका में जी रहे हैं। इनके तंत्र के बारे में भारत में भी स्वर सुनाई देते हैं। इस बात के भी भारत में कई प्रमाण मिल चुके हैं कि पाकिस्तान भारतीय युवाओं को गुमराह करके आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की कार्यवाही करता रहा है।
पाकिस्तान द्वारा कुलभूषण जाधव के बारे में की गई कार्यवाही से पूरा देश व्यथित है। इस कार्यवाही की सोशल मीडिया पर जबरदस्त प्रतिक्रिया मिल रही है। सभी लोग पाकिस्तान को पूरी तरह से कठघरे में खड़ा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसमें पहली बात तो यह है कि पाकिस्तान ने कुलभषण को भारतीय सेना का अधिकारी बताया है, जो पूरी तरह से झूठ है, क्योंकि कुलभूषण वर्तमान में एक व्यापारी है और व्यापार करने के लिए ही ईरान गया था। उसे मात्र इस कारण से ही पकड़ा गया कि वह केवल भारतीय है और भारत के बारे में पाकिस्तान हमेशा ही दुर्भावना से काम करता रहा है। पाकिस्तान की यह दुर्भावना कई अवसरों पर प्रकट भी हो चुकी है। जिसके प्रमाण भी भारत द्वारा दिए जा चुके हैं। इन प्रमाणों के बाद भी पाकिस्तान ने कार्यवाही करना तो दूर की बात, भारत विरोधियों का हित संवर्धन किया है।
वर्तमान में हमारे देश में पाकिस्तान के हर भारत विरोधी कृत्य की जबरदस्त प्रतिक्रिया मिलती है, लेकिन एक सवाल बार बार मन में आता है कि ऐसे देशभक्ति के मामले में भारत के अल्पसंख्यक समुदाय की ओर से कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं की जाती। वास्तव में मुसलमान समाज द्वारा भी राष्ट्रभाव को प्रदर्शित करने वाला भाव व्यक्त करना चाहिए। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो मुसलमान की तरफ संदेह पैदा होता है। इस संदेह को दूर करने के लिए मुसलमानों को भी राष्ट्र की मुख्य धारा में आने का प्रयास करना चाहिए, जिससे समाज के अंदर व्याप्त वैमनस्य के भाव को समाप्त करने में सहयोग मिल सके।
पाकिस्तान ने जिस प्रकार से कुलभूषण को मौत की सजा सुनाई है, उससे पाकिस्तान की नीयत में खोट दिखाई देता है। भारत ने जिस प्रकार से आतंकी कसाब को सारे प्रमाण होने के बाद भी वकील उपलब्ध कराकर उसे अपने आपको निर्दोष प्रमाणित करने की खुली छूट दी थी, लेकिन पाकिस्तान ने कुलभूषण को अधिकार होने के बाद भी किसी प्रकार की कोई सुनवाई का अधिकार नहीं दिया। ऐसा केवल इसलिए ही किया होगा, क्योंकि कुलभूषण भारत का बेटा है।
इस पूरे मामले से एक बात उठने लगी है कि पाकिस्तान जैसे देश पर कितना भरोसा किया जाए। क्योंकि पूरे विश्व में संदेह की दृष्टि से देखे जाने वाले पाकिस्तान एक बार फिर अपने संदेह को पुष्ट करता हुआ दिखाई दे रहा है। उसका झूठ एक बार फिर उजागर हुआ है। अब भारत को भी अपनी ओर से जबरदस्त प्रतिक्रिया देना होगी, यही समय की मांग है।

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