किसानों को स्नेह और सहानुभूति की जरुरत

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agricultureअसमय बारिश और ओलावृष्टि ने उत्तर भारत के किसानों को तबाह कर रखा है। देश के कोने-कोने से किसानों के आत्महत्या करने और फसल की बर्बादी को देख सदमे से मौत हो जाने की खबरें आ रही हैं। ऐसी खबरों से साफ है कि किसान और उनके परिवारीजन कितनी भयावह मनोदशा से गुजर रहे होंगे। ऐसी परिस्थिति में किसानों को स्नेह और सहानुभूति की आवश्यकता है। कोई तो हो जो यह कहे कि नुकसान की भरपाई हो जाएगी, चिंता की कोई बात नहीं है। एक किसान जिसकी फसल चौपट हो गयी, उसके सामने परिवार के लोगों के पेट भरने की चिंता है, बेटी के ब्याह करने की चिंता है, बैंक से लिए गए कर्ज को चुकता करने की चिंता है।

इन सब परिस्थितियों से निबटने के लिए उसके पास केवल फसल का ही सहारा था। फसल के चौपट हो जाने के बाद किसान अपने को असहाय पा रहा है। ऊपर से उसे बिजली का बिल चुकता करना है, बच्चों की पढ़ाई की फीस भरनी है, किताबें खरीदनी है जैसे तमाम सवाल उसके मन में उत्पन्न हो रहे हें। इस सदमें में वह या मौत को गले लगा ले रहा है या फिर हार्ट फेल हो जाने से उसकी खुद मौत हो जा रही है। देश के राजनैतिक दल, जो समय-समय पर किसानों का हितैषी होने की कसम खाते रहते हैं, उनके लिए किसानों की यह समस्या प्राथमिकता में नहीं हैं। अगर प्राथमिकता में किसान होते तो पिछले एक माह से उत्तर प्रदेश जैसे देश के सबसे बड़े राज्य में अब तक 150 से अधिक किसान की मौत हो चुकी है, पर न तो केन्द्र सरकार की ओर से और न ही राज्य सरकार की ओर से किसानों के पीड़ित परिवारीजनों को कोई भरोसा दिलाया गया।

केन्द्र और राज्य सरकार की ओर से कोई ऐसा सार्वजनिक बयान भी नहीं आया कि संकट की इस घड़ी में किसान के साथ सरकार खड़ी है, किसानों को किसी बात की चिंता नहीं करनी हैं। सरकार उनकी सारी समस्याओं का समाधान कराएगी। इसके बजाय केन्द्र और राज्य की सरकारें एक दूसरे पर दोषारोपण करने में जुटी हैं। केन्द्र में सत्तारुढ़ मोदी की सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक के नाम पर किसानों को हितैषी होने का स्वांग रच रही है तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस भूमि अधिग्रहण का विरोध करके किसानों का हितैषी होने का मुलम्मा ओढ़ रही हैं। कोई भी राजनैतिक दल किसानों को स्नेह और सहानुभूति प्रदान करने के लिए आगे नहीं आया। काफी हंगामा होने के बाद 7 अप्रैल 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने कुछ मंत्रियों के प्रतिनिधिमंडल को उत्तर प्रदेश भेजा है। इस प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई नितिन गडकरी कर रहे हैं। किसानों की फसल बर्बादी की जो रिपोर्ट सामने आ रही हैं, उससे साफ है कि किसानों को आर्थिक मदद मुहैया कराए जाने के साथ ही सरकार के स्नेह और सहानुभूति की भी उन्हें जरुरत है। ऐसे पीड़ित परिवारों के लिए शिक्षा, चिकित्सा जैसी सुविधाओं के लिए भी सरकार को अलग से प्रयत्न करना होगा।

उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार किसानों के लिए सबसे बड़ी दुश्मन साबित हो रही हैं। फसल की सिंचाई के लिए यह सरकार न तो नहरों में पानी उपलब्ध करा सकी, न तो बिजली की उपलब्धता करा पाई। किसी तरह से किसानों ने परिश्रम करके फसल तैयार भी किया तो उनकी उपज का उचित मूल्य दिला पाने में भी अखिलेश सरकार फेल रही है। गन्ना किसानों की समस्या का समाधान अभी तक नहीं हो सका है। आलू किसानों को भी सही मूल्य यह सरकार नहीं दिला पाई। किसानों की यह समस्या अकेले उत्तर प्रदेश में ही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और महाराष्ट्र में भी देखने को मिल रही है। अब समय आ गया है जब किसानों को अपनी समस्याओं को लेकर जागरुक होना होगा। सबसे बड़े शर्म की बात है कि किसानों की समस्या को लेकर संघर्ष करने के लिए कुछ लोगों ने संगठन भी बना रखे हैं, किसानों के नाम पर बने संगठनों के लोग भी इस दौर में नजर नहीं आ रहे हैं। वह लोग भी केवल सत्ता की राजनीति में लगे हुए हैं। आंकड़ों पर गौर करें तो किसान इनी समस्याओं को देखते हुए खेती से मुह फेर रहा है और शहरों की ओर पलायन कर रहा है। पिछले एक दशक में 30 लाख से अधिक किसान परिवारों ने गांव छोड़कर शहर और कस्बों की ओर पलायन किया है। ये आंकड़ें भारत जैसे कृषि प्रधान देश में सत्तासीन दल के लिए चुनौती है।

 

– रमेश पाण्डेय

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  1. गुजरात में सात रूपये से अधिक प्रति यूनिट बिजली का रेट है , राज्य सरकार का टैक्स अलग से क्या इतनी महंगी बिजली दिल्ली वालों को चाहिए ??? ( Kisan bijlee ret se pareshan hokar Aatmahatya tak kar rahe hain ) यहाँ तो म्हारो गुजराती भाई का सवाल है , दिल्ली में तो रिलायंस जैसी कम्पनियां जनता को चूस डालेंगी- अभी बंबई में मेट्रो रेल का किराया रिलायंस ने बढ़वा लिया है – जनता परेशान है — मोदी के बहकावे में मत आओ – वो मोदी के मुखौटे में मुकेश अम्बानी बोल रहे हैं आपको बर्बाद करने के लिए : ——-( Ambani ke karan hi sarkar Iran Gas Pipe Line ko anumati nahin de rahi hai aur janta lut rahee hai )
    रिलायंस देश को लूट रही है, रिलायंस कम्पनी जामनगर ( गुजरात ) में लोग आत्महत्या करने को मजबूर हैं, पाकिस्तान बॉर्डर पर राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर जाँच कराने का महामहिम राष्ट्रपति-राज्यपाल तथा प्रधानमंत्री के निर्देशों के बावजूद गुजरात सरकार चुप है ? ? ? सरकार ने प्राकृतिक गैस के दाम 33% बढ़ाकर मुकेश अम्बानी को खुश किया( देखिए राजस्थान पत्रिका- 03-11-14,पेज नम्बर – 13 ) गैस के दाम बढ़ने से सी.एन.जी.भी महंगी हो जाएगी -किराया – महँगाई अपने आप बढ़ जाएगी ! उर्वरक कारखानों में अपूर्ति होने वाली प्राकृतिक गैस के दाम बढ़ने से युरिया के दाम में 10फीसदी की बढ़ोत्तरी होगी फलस्वरूप महँगाई बढ़ेगी या किसान आत्महत्या करने को मजबूर होंगे 21-1-15 ke NDTV News ke anusar kisanon ko uriya nahin mil pa rahi hai, maharashtr men garibon ko milane vala anaj nahin batega kyonki kendr sarkar ne paise nahin bheje hain – jabaki dono jagah BJP Governmet hai ??? ! एक चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मचारी सपना ( 9824597192) को रिलायंस द्वारा बहुत घृणित और अमानवीय व्यवहार के साथ निकाला गया वो गरीब महिला अधिकारियों के पैर पकड़कर फुट-फुट कर रोती रही और ये रिलायंस के राक्षस अधिकारी हँसते हुए महिलाओं की दुर्दशा करते रहते हैं ——- पर गरीबों की कौन सुनता है —- रिलायंस की हराम की कमाई डकार कर महिला समितियाँ और मानवाधिकार समितियाँ भी चुप हैं –
    jamnagar (gujarat ) men relians aspas ke gav valon ko bhi ujad rahi hai मिस्टर अज़ीज़ ( 7600639265) सिक्का पटिया गाँव जामनगर( गुजरात ) निवासी को रिलायंस (वालों ने गलत इल्जाम लगाकर नेशनल सेक्यूरिटी एक्ट में बंद करवा दिया है जिससे आसपास के किसान लोग भी डरकर अपने जमीन के बकाया पैसे माँगने रिलायंस के पास नहीं जा रहे हैं ! कुछ समय पहले डीजल चोरी का गलत इल्जाम लगाकर नवा गाँव जामनगर की महिला सरपंच के पति श्री घनश्याम सिंह झाला को भी रिलायंस वालों ने ही गिरफ्तार करवाके दहशत फैलाया था(देखिए राजस्थान पत्रिका -16-5-14,पेज – 05)!

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