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हिन्दी जगत में बनाई जाएं फतवा कमेटियाँ / राजीव रंजन प्रसाद - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
मंगलेश डबराल प्रसंग हिन्दी साहित्य जगत के कूड़ाघर हो जाने की व्यथा कथा का उपसंहार है। यह पूरी घटना एक छटपटाहट का नतीजा है जो मेरी मुर्गी की एक टाग़ वाली प्रवृत्ति से निकली है और जिन्हें दो टाँगे दिख रही थी उन्हें भी फतवा-वितरकों ने जन्मान्ध घोषित करने के…