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होती व्यर्थ कपोल कल्पना - प्रवक्‍ता.कॉम - Pravakta.Com
एक दिन चाचा गधेराम ने, देखा सुंदर सपना| लेकर नभ में घूम रहे थे,उड़न खटोला अपना|| खच्चर दादा बैठ बगल में,गप्पें हांक रहे थे| रगड़ रगड़ तंबाकू चूना,गुटखा फाँक रहे थे|| चंद्र लॊक की तरफ यान ,सरसर बढ़ता जाता था| अगल बगल में तारों का, झुरमुठ मिलता जाता था|| हाय…