पांच सालों में प्रदेश की विकास यात्रा और गौरव दिवस

-बालमुकुन्द द्विवेदी

मध्यप्रदेश को विकसित करने की चाहत तथा वंचितों और बेसहारों को सहारे देने और उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का जुनून ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को सबसे अलग बनाता है। इसी नेक मक्सद के चलते उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री प्रदेश की झोली में ऐसी ऐतिहासिक उपलब्धियां डाली, जिसके बारे पहले शायद उन्होंने भी नहीं सोचा होगा। बेहतर काम के जज्बे की बदौलत ही शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के पहले ऐसे गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने, जिन्होंने इस पद पर पांच साल पूरा किया। मध्यप्रदेश जैसे बडे़ राज्य की जनता ने लगातार दूसरी बार श्री चौहान को मुख्यमंत्री बनाकर उनके प्रति अपने विश्‍वास को पुष्ट किया है। किसान पुत्र शिवराज सिंह चौहान ने अपने सरल स्वभाव, निश्चल व्यवहार, कृतित्व और व्यक्तित्व का विकास कुशाभाऊ ठाकरे के नेतृत्व में किया। संगठन नें जो काम उन्हें सौंपा उसका पूरी तत्परता से निर्वाह किया, उसी का परिणाम है कि उन्हें प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी मिली। उन्होंने जनोन्मुखी, विकास कार्यक्रमों के प्रणेता और एकात्म मानव दर्शन के प्रहरी के रूप में पांच वर्ष का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूर्ण किया। साथ ही गरीबोन्मुखी, किसान हितैषी, मेहनतकशों के चहेता, युवकों के मार्गदशक के रूप में अपनी अलग पहचान बनाते हुए संगठन के आदर्शों को भी नई बुलंदियां दी हैं। जिस भारतीय जनता पार्टी से शिवराज सिंह चौहान बास्ता रखते हैं वह ध्येयवाद समर्थक सामूहिक नेतृत्व देने वाला दल है। जिसका मेरुदंड सिर्फ कार्यकर्ता है। अत: पांच साल पूरा करने के उपलक्ष्य में मनाया जाने वाला कार्यकर्ता गौरव दिवस का आयोजन वास्तव में प्रदेश के पार्टी कार्यकर्ता और आम आदमी का सम्मान है, जो अभिनंदनीय है।

श्री चौहान की इस ऐतिहासिक उपलब्धि की मुख्य वजह उनका व्यक्तित्व ही है, जिसमें आम इंसान की झलक देखने को मिलती है। ऐसा आम आदमी जो किसान है, जो बेटियों के हाथ पीले करने की चिन्ता करता है, जिसको लाडलियों का न केवल भविष्य संवारना है बल्कि उनके प्रति समाज का नजरिया भी बदलना है। सुरसा की तरह मुंह फैलाती महंगाई डाइन से बचाने की सोच रखते हुए गरीबों को तीन रुपये किलो की दर से गेहूं और चार रुपए की दर से चावल उपलब्ध कराना करा रहे हैं। ग्रामीणों तथा गरीबों के जीवन स्तर में सुधार के लिए मुख्यमंत्री आवास योजना, गांव-गांव तक सडकों का जाल बिछाना, गरीबों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभूतपूर्व प्रसार किया जा रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा किए गए कार्य ही हैं जो उन्हें आम आदमी अपना मानता है और उम्मीद करता है कि वे उनके दुख-दर्द को समझते हैं। इसीलिए कोई उन्हें भैया कहता है तो कोई मामा।

कुछ साल पहले तक बिमारू राज्यों में गिना जाने वाला मध्यप्रदेश विकास दर में आज आंध्रप्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल जैसे अग्रणी राज्यों से आगे निगल चुका है। शिवराज सिंह के शासनकाल में मध्यप्रदेश ने गत वित्तीय वर्ष में 8.60 प्रतिशत जीडीपी विकास दर हासिल की जो सिर्फ गुजरात, उत्ताराखंड और छत्तीसगढ से ही कम है। प्रदेश के प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2003-04 में स्थिर मूल्य पर 11 हजार 870 रुपये थी जो आज बढकर 15 हजार 929 रुपए हो गई है।

पिछले पांच वर्षों में स्वयं के संसाधनों की बदौलत मध्यप्रदेश की आमदनी तीन गुना और बजट ढाई गुना बढा है। इस दौरान प्रदेश की आमदनी 6 हजार करोड रुपए से बढकर 18 हजार करोड़ रुपये पहुंच गई है। प्रदेश तथा प्रदेशवासियों की तरक्की का मुख्य माध्यम उद्योग है, जिसका प्रदेश में कुछ समय पूर्व तक ज्यादा विस्तार नहीं था। लेकिन शिवराज सिंह के प्रयासों से बदली अनुकूल परिस्थितियों तथा सुदृढ होती संरचना के कारण ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के आयोजनों से देश विदेश के उद्योगपतियों का ध्यान मध्यप्रदेश की ओर आकर्षित हुआ है। जिसका सुखद परिणाम है कि दो लाख 35 हजार करोड रुपए से भी ज्यादा के उद्योग प्रदेश में लगाए जाने के लिए विभिन्न उद्योगपतियों से करार हुआ हैं।

आम तथा खास की समस्याओं के समाधान के लिए मुख्यमंत्री समाधान ऑनलाईन के माध्यम से रूबरू हो रहे हैं। हर दोषी अधिकारी और कर्मचारी दण्डित हो रहा है चाहे वो कितना ही वरिष्ठ या कनिष्ठ क्यों न हो। प्रदेशवासियों का हर सरकारी काम समय से पूर्ण हो सके इसके लिए म.प्र. लोक सेवा गारण्टी प्रदान योजना लागू की गई है। जिसके हर काम की एक निश्चत समय सीमा है जिसके अन्दर संबंधित अधिकारी या कर्मचारी को उसे पूरा करना होगा।

मध्यप्रदेश तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में भी मुख्य केन्द्र के रूप में उभर रहा है। पिछले पांच वर्षों में मप्र में इजीनियरिंग तथा अन्य तकनीकी पाठ्यक्रमों की सीटों में लगभग 335 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि हुई है। प्रदेश में हर माह औसतन दो इन्जीनियरिंग महाविद्यालय खोले गये हैं। कुछ साल पहले तक मध्यप्रदेश के विद्यार्थी इंजीनियरिंग की पढाई के लिए महाराष्ट्र और दक्षिण भारत की शरण लेते थे। लेकिन आज हालात पूरी तरह से बदल गए है, आज मध्यप्रदेश दूसरे राज्यों के विद्यार्थियों को भी आकर्षित कर रहा है।

प्रदेश में 2005 में 69 इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर कॉलेज थे। आज इनकी संख्या बढकर 222 हो गई है। पांच सालों में इस लंबी छलांग का औसत निकाला जाये तो हर साल 30 इंजीनियरिंग कॉलेज खुले हैं जो कि पूरे देश में इसी अवधि में खोले गये इंजीनियरिंग कॉलेजों में सर्वाधिक है। इसी प्रकार एमबीए कॉलेजों की संख्या 42 से बढकर 218, एमसीए की संख्या 55 से बढकर 94, फार्मेसी संस्थानों की संख्या 70 से बढकर 127 और पॉलीटेक्निक कॉलेजों की संख्या 44 से बढकर 58 हो गई है।

आदिवासी इलाकों में छात्रावास एवं शालाओं में पढने वाले विद्यार्थियों को पौष्टिक आहार तथा उनके बौद्धिक विकास के लिए राज्य सरकार ने विद्यार्थियों को दी जाने वाली शिष्यवृत्ति की दरों को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के साथ जोडा है। इस निर्णय से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के आधार पर विद्यार्थियों की शिष्यवृत्ति की दर में 175 रुपये की वृद्धि हुई शिष्यवृत्ति का लाभ एक लाख से अधिक विद्यार्थियों को मिलेगा।

मध्यप्रदेश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में पिछले पांच सालों में आए नवाचार भी सराहनीय हैं। प्रदेश सरकार ने महिलाओं और बालिकाओं के लिए सभी क्षेत्रों में प्रगति के द्वारा खोले हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नन्हीं बेटियों के ‘मामा’ का किरदार निभा कर इन बेटियों का भविष्य उज्जवल कर दियाहै। महिलाओं को एक ओर जहां घरेलू हिंसा से निजात दिलाने के लिए बनाए गए कानून का कड़ाई से पालन किया जा रहा है, वहीं स्थानीय निकायों में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण के साथ इनकी सत्ता में भागीदारी का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

प्रदेश में लाडली लक्ष्मी, कन्यादान योजना, नि:शुल्क गणवेश व सायकिल वितरण, बालिका शिक्षा, आंगनवाडी केन्द्रों में किशोरी बालिका दिवस, गांव की बेटी योजना, प्रतिभा किरण, बालिका भ्रूण हत्या रोकने के कानून का कडाई से पालन, आंगनवाडी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं की बडी संख्या में भर्ती, महिला नीति का क्रियान्वयन आदि ऐसी योजनाएं है, जिनके फलस्वरूप मध्यप्रदेश की एक नई तस्वीर उभरकर सामने आई है।

लडकी के जन्म को लेकर सकारात्मक सोच, लिंगानुपात में सुधार, बालिकाओं के शैक्षणिक और स्वास्थ्य की स्थिति में सुधार तथा उनके अच्छे भविष्य की आधारशिला रखने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने वर्ष 2007 में ‘लाडली लक्ष्मी योजना’ की शुरुआत की। सरकार की इस योजना से अब तक लगभग साढे पांच लाख से भी अधिक बालिकाएं लाभान्वित हो चुकी हैं। इस योजना की सफलता के बाद सीख लेते हुए इसे दूसरे राज्यों ने भी अपनाया है, जिससे इसकी उपादेयता को बल मिला है। उत्तारप्रदेश और नई दिल्ली जैसे राज्यों ने भी इस योजना को लागू किया है। मप्र प्रदेश सरकार की इस पहल की देशव्यापी सराहना हो रही है। इसके साथ ही पं. दीनदयाल उपचार योजना, कन्यादान योजना, स्कूल चलो जैसे तमाम कार्यक्रमों ने गांवों की फिजा में स्पंदन पैदा किया है।

प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह ने गरीब की बेटियों की भी खूब चिंता की है। उन्होंने इन लडकियों की शादी का खर्चा उठाने के लिए ‘मुख्यमंत्री कन्यादान योजना’ बनाई है। यह योजना प्रदेश की बेटियों के लिए वरदान साबित हो रही है। इस योजना के तहत अब तक एक लाख 40 हजार 440 कन्याओं के विवाह सम्पन्न कराए जा चुके हैं। वहीं अब इस योजना की हितलाभ राशि 7500 से बढाकर 10 हजार रूपये कर दी गई है। जिससे गरीब बेटियों को और लाभ मिल सकेगा।

‘गांव की बेटी योजना’ ने तो ग्रामीण लडकियों के सपनों को पंख लगा दिए हैं। अब ग्रामीण लडकियां चूल्हा-चौके से निकलकर उच्च शिक्षा प्राप्त कर अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं। इस योजना के तहत गांव की बेटियों को 12वीं कक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए प्रतिभाशाली बेटियों को प्रति माह पांच सौ रुपये छात्रवृत्तिा देने का प्रावधान है। तकनीकी व चिकित्सा शिक्षा पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेने वाली लडकियों को 750 रुपये प्रति माह दिया जाता है। वहीं शहरी क्षेत्र के गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवार की बालिकाओं के उच्च शिक्षा के लिए ‘प्रतिभा किरण’ योजना चलाई जा रही है। गत वर्ष से इस योजना के तहत दी जाने वाली सहायता राशि 3000 रुपये प्रतिवर्ष के स्थान पर 5000 रुपए की गई है।

विगत पांच सालों में प्रदेश के विकास में शिवराज सिंह चौहान द्वारा की गई मेहनत रंग ला रही है। प्रदेश मेहनतकशों को स्वामित्व का गौरव प्राप्त हुआ है। किसानों को समर्थन मूल्य पर बोनस देकर सरकार ने कृषि लागत की भरपायी की है। किसानों को दी जाने वाली सहायता आंकडे के लौह आवरण में सिमटी न रहे, इसके लिए सरकार ने महंगई के सूचकांक से भी इस सहायता को जोड दिया है। इससे राज्य शासन की संवेदनशीलता उजागर होती है। विकास का जो पैमाना मध्यप्रदेश ने पेश किया है, उसका अनुकरण केंद्र सरकार और अन्य राज्यों द्वारा किया जाना मध्यप्रदेश के लिए वास्तव में गौरव की बात है। कार्यकर्ता गौरव दिवस का आयोजन इसकी सार्थकता है। मुख्यमंत्री की विकास के लिए विकास नहीं बल्कि इंसान के चहुंमुखी संवर्धन के लिए विकास की सोच मध्यप्रदेश में धरातल पर दृष्टिगोचर हो रही है।

(लेखक ‘हिन्दुस्थान समाचार’ बहुभाषी न्यूज एजेंसी के संवाददाता हैं)

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