खाद्य सुरक्षा के बसते

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foodबगल में तीन तीन बसते दबाये चोखी लामा फटे थैले सा मुंह लटकाए चले आ रहे थे। हमें मसखरी  सूझी ..और पूछ बैठे ..अरे चोखी मियां ये बच्चों के बसते उठाये इस उम्र   में कौन से स्कूल जा  रहे हो।  हमारी मसखरी चोखी मियां को नागवार गुजरी ! उत्तराखंड के बादल की भांति बिफर पड़े …मियां पैसे वाले हो न इसलिए राशन के थैले बसते नज़र आ रहे हैं। हमने अनजान बनते  हुए फिर से पूछ डाला …  भई चोखी यह सुबह सुबह कहाँ राशन बंट  रहा है ?
चोखी ने ताव खा कर एक थैले से चबूतरा साफ़ कर आसन जमाया और प्रशन चिन्ह सी आँखे तरेर कर पुछा आमिर जादो ! अखबार में खबरें भी देखते हो या सिर्फ निविदा सूचना पढ़ कर ही छोड़ देते हो। इतने मोटे शब्दों में छपा हैं खाद्य सुरक्षा बिल पास हो गया ..सोनिया जी के राज में अब कोई भूखा नहीं सोएगा ..३ रूपए किलो चावल  २ रूपए किलो गेहूं और १ रूपए किलो ज्वार और वह भी ५ किलो प्रति  जन ….और यह जनसंघी नन्द डिपू ही नहीं खोलता …हफ्ते भर से चक्कर काट रहा हूँ .
जन वितरण प्रणाली के सैलाब में डूबे चोखी मियां को हमने सचाई से रूबरू करवाते हुए  बताया ..मियां डिपो तो हमारी चची शकुन्तला जी के नाम था चाचा जी कांग्रेस लीडर थे ,एक जलसे में जाते हुए दुर्घटना ग्रस्त हो गए और उनकी विधवा को कांग्रेस सरकार ने डिपो अलाट कर दिया था ।चाची  जी पिछले महीने चल बसी अब डिपो अलाटमेंट पर राजनेता गोटियाँ भिड़ा रहे हैं …कब किसके नाम लाटरी खुलेगी खुदा  जाने !
चोखी मियां के सर पर तो मानो ज्वारभाटा फूट  गया …मुंह लटकाए घर को पलट गए …राशन के खाली  थैले मेरे चबूतरे पर ही छोड़ गए  ….

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एल. आर गान्धी
अर्से से पत्रकारिता से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में जुड़ा रहा हूँ … हिंदी व् पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है । सरकारी सेवा से अवकाश के बाद अनेक वेबसाईट्स के लिए विभिन्न विषयों पर ब्लॉग लेखन … मुख्यत व्यंग ,राजनीतिक ,समाजिक , धार्मिक व् पौराणिक . बेबाक ! … जो है सो है … सत्य -तथ्य से इतर कुछ भी नहीं .... अंतर्मन की आवाज़ को निर्भीक अभिव्यक्ति सत्य पर निजी विचारों और पारम्परिक सामाजिक कुंठाओं के लिए कोई स्थान नहीं .... उस सुदूर आकाश में उड़ रहे … बाज़ … की मानिंद जो एक निश्चित ऊंचाई पर बिना पंख हिलाए … उस बुलंदी पर है …स्थितप्रज्ञ … उतिष्ठकौन्तेय

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