खुशियों के कुछ पलों के लिए
घोंसले में चहकता है पंछी
पंखो के बाहुपाश में समेटता
चमन को ।
चोंच टकराता
घरोंदे के ओर- छोर,
उमंग ढूंढता
जीतना चाहता अपने मौन को ।
मस्तमंगल धुन में,
संसार के पराभव को गाना चाहता
खुशी की व्यंजना में
प्रेम का शब्दावरण
पहनाना चाहता।
क्रूर बाज के तीक्ष्ण निगाहों से
घरोंदे को बचाना चाहता